वैज्ञानिकों ने माना ग्लोबल वार्मिंग की वजह से बीते 50 सालों में बढ़े अत्यधिक बारिश के मामले
शोधकर्ताओं के मुताबिक बीते 50 साल के दौरान जलवायु परिवर्तन में तेजी के साथ बहुत ज्यादा बारिश (अतिवृष्टि) के मामलों में भी आश्चर्यजनक रूप से बढ़ोतरी देखने को मिली है।
वाशिंगटन, प्रेट्र। अतिवृष्टि यानी बहुत ज्यादा बारिश कई बार अपने साथ बाढ़ जैसी तबाही और जलजनित बीमारियां लेकर आती है। वैज्ञानिकों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन (ग्लोबल वार्मिंग) के कारण बीते 50 साल में दुनियाभर में अतिवृष्टि के मामलों में काफी बढ़ोतरी हुई है। वाटर रिसोर्सेज जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक, वर्ष 1964 से लेकर 2013 तक अत्यधिक बारिश की सर्वाधिक घटनाएं हुई और यह वही समय था जब ग्लोबल वार्मिग भी तेज हो गई थी।
अध्ययन के मुताबिक, अत्यधिक वर्षा की घटनाएं कनाडा के कुछ हिस्सों, यूरोप, अमेरिका के मध्य-पश्चिम और पूवरेत्तर क्षेत्र, उत्तरी ऑस्ट्रेलिया, पश्चिमी रूस और चीन के कुछ हिस्सों में बढ़ी हैं। कनाडा में सास्काचेवान यूनिवर्सिटी में हाइड्रो-क्लाइमेटोलॉजिस्ट साइमन पापालेइसीउ ने कहा ‘इस अध्ययन के लिए वैश्विक स्तर पर सैकड़ों बारिश के रिकॉर्ड खंगाले गए, जिसमें हमने पाया कि बीते 50 साल के दौरान जब ग्लोबल वार्मिंग में तेजी आनी शुरू हुई तो अतिवृष्टि के मामले भी आश्चर्यजनक रूप से बढ़ोतरी देखी गई। यह बदलती प्रवृत्ति जलवायु परिवर्तन के खतरों के प्रति आगाह करती है।
2004 से 2013 के बीच अतिवृष्टि के मामलों में सात फीसद बढ़ोतरी
इस अध्ययन का नेतृत्व करने वाले साइमन ने बताया कि शोध के लिए दुनियाभर के बारिश पर नजर रखने वाले एक लाख स्टेशनों के 8700 रिकार्डो का अध्ययन किया गया। इसमें पाया गया कि वर्ष 1964 से लेकर 2013 तक दशक-दर-दशक अतिवृष्टि के मामले काफी बढ़े हैं। वर्ष 2004 से 2013 के बीच वैश्विक स्तर पर अतिवृष्टि के मामलों में सात प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई। इसी दौरान यूरोप और एशिया के भागों में 8.6 फीसद ज्यादा अतिवृष्टि हुई। शोधकर्ताओं का मानना है कि ग्लोबल वार्मिंग के कारण भारी बारिश के मामले बढ़ रहे हैं। क्योंकि ज्यादा गर्मी केे कारण पृथ्वी से पानी का वाष्पन ज्यादा होता है और संघनन होने पर पानी अचानक बरस जाता है, जिससे बाढ़ जैसे हालात बन जाते हैं। साथ ही यह कई बीमारियों को भी अपने साथ लेकर आती है, जो लोगों के स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक है।
वर्ष 1980 से 2009 के बीच अतिवृष्टि के कारण आई बाढ़ में लगभग पांच लाख लोगों की मौत हो गई। भारी बारिश के कारण भूस्खलन होने के साथ-साथ इमारतें गिर जाती हैं, फसलें खराब हो जाती हैं। बोलोग्ना यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अल्बटरे मोंटानारी ने कहा कि ग्लोबल वार्मिंग के कारण वातावरण में पानी तो बहुत ज्यादा मात्र में बरकरार रखता है, लेकिन इसके खतरों के प्रति भी सजग रहने की जरूरत है।
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