स्ट्रोक के खतरे को बढ़ा रहा कोरोना, मरीजों के नर्वस सिस्टम पर विशेष नजर रखने की दरकार
Risk of stroke due to Coronavirus अमेरिका के माउंट सिनाई के इकॉन स्कूल ऑफ मेडिसिन के वैज्ञानिकों का कहना है कि कोरोना संक्रमण तीव्र स्ट्रोक के लिए बड़ा जोखिम है।
न्यूयॉर्क, पीटीआइ। कोरोना के बारे में किए गए एक ताजा अध्ययन से पता चला है कि इससे स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। अध्ययन में कहा गया है कि वायरस से संक्रमित रोगियों के नर्वस सिस्टम पर विशेष नजर रखी जानी चाहिए। अमेरिका के माउंट सिनाई के इकॉन स्कूल ऑफ मेडिसिन (Icahn School of Medicine at Mount Sinai) के शोधकर्ताओं के मुताबिक कोरोना संक्रमण तीव्र स्ट्रोक के लिए बड़ा जोखिम है।
अमेरिकन जर्नल ऑफ न्यूरोरेडियोलॉजी में प्रकाशित अध्ययन में कहा गया है कि स्ट्रोक के संदेह में मार्च से अप्रैल के बीच न्यूयॉर्क के छह अस्पतालों में भर्ती मरीजों का विश्लेषण किया गया। अध्ययन में वैज्ञानिकों ने लिखा कि उन्होंने 41 मामलों का अध्ययन किया। आयु, लिंग और जोखिम कारकों का समायोजन करने के बाद वैज्ञानिकों ने पाया कि कोरोना संक्रमण का इस्केमिक स्ट्रोक के साथ महत्वपूर्ण संबंध है।
बता दें कि स्ट्रोक तब आता है जब अचानक मस्तिष्क के किसी हिस्से में रक्त आपूíत रुक जाती है या मस्तिष्क की कोई रक्त वाहिका फट जाती है और मस्तिष्क की कोशिकाओं के आसपास की जगह में खून भर जाता है। स्ट्रोक बनाम गैर-स्ट्रोक वाले रोगियों के समूह की तुलना करते हुए वैज्ञानिकों ने पाया कि जो मरीज कोरोना संक्रमित थे, उनमें स्ट्रोक का जोखिम अधिक बढ़ गया। शोध के सह लेखक पुनीत बेलानी ने कहा कि इस तरह का यह पहला अध्ययन है, जिसमें पता चला है कि कोरोना स्ट्रोक के जोखिम को बढ़ाता है।
अभी हाल ही में अमेरिका स्थित थॉमस जेफरसन विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने अपने अध्ययन में पाया था कि कोरोना वायरस के कारण स्वस्थ युवाओं में स्ट्रोक का बड़ा खतरा पैदा हो गया है। यह अध्ययन सांइस डेली में प्रकाशित हुआ था। वैज्ञानिकों ने पाया है कि 30 से 40 साल की उम्र के संक्रमित मरीजों को बेहद गंभीर स्ट्रोक आ रहे हैं। इस तरह के स्ट्रोक आमतौर पर उम्रदराज मरीजों में देखे जाते हैं। खास बात यह कि संक्रमित होने से पहले इन युवाओं में इस तरह के गंभीर स्ट्रोक के कोई लक्षण मौजूद नहीं थे।