सऊदी अरब, चीन व तुर्की ने FATF में पाकिस्तान के खिलाफ प्रस्ताव को रोका
अमेरिका ने पाकिस्तान को आतंकवाद को धन देने वालों की सूची में रखने का प्रस्ताव पेश किया था।
वाशिंगटन (पीटीआई)। पाकिस्तान के करीबी सहयोगी चीन, सऊदी अरब और तुर्की उसकी मदद के लिए सामने आए। तीनों देशों ने आतंकवाद को धन देने वालों की निगरानी करने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था की सूची में पाकिस्तान को शामिल करने के अमेरिका के प्रस्ताव को रोक दिया। ट्रंप प्रशासन ने पेरिस में चल रही फिनांशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की बैठक में यह प्रस्ताव रखा था।
वाल स्ट्रीट जनरल के मुताबिक, सऊदी अरब और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन के बीच असहमति का यह दुर्लभ मामला है। सऊदी अरब का कहना है कि उसने गल्फ को-ऑपरेशन काउंसिल (जीसीसी) की तरफ से काम करते हुए यह फैसला लिया। अमेरिका एफएटीएफ में अब भी इस पर फैसले का प्रयास कर रहा है।
अमेरिकी अधिकारियों ने कहा कि हम सऊदी अरब पर दबाव बनाने समेत पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई के लिए फिर मतदान कराने का प्रयास करेंगे। एफएटीएफ की बैठक शुक्रवार तक चलने की संभावना है। प्रस्ताव रोके जाने को पाकिस्तान अपनी जीत बता रहा है और दावा किया कि उसने अमेरिका के प्रयास विफल कर दिया। इससे उसे पेरिस स्थित अंतरराष्ट्रीय निगरानी संस्था से तीन महीने की राहत मिल गई है।
चीन ने पहले भी जैश-ए-मुहम्मद सरगना मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र प्रस्ताव के तहत आतंकी घोषित करने के भारत, अमेरिका और ब्रिटेन के प्रस्ताव पर रोक लगाई है। अमेरिका आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने पर पाकिस्तान से नाराज है। ट्रंप प्रशासन ने पिछले महीने पाकिस्तान को करीब दो अरब डॉलर (लगभग 13017 करोड़ रुपये) की रक्षा सहायता रोक दी थी।
सूची में शामिल होने पर क्या होगा
आतंकी फंडिंग को रोकने के लिए काम नहीं करने वाले 'उच्च खतरे' वाले देशों की सूची में शामिल होने के बाद पाकिस्तान पर आर्थिक असर पड़ेगा। पाकिस्तान के साथ कारोबार करने वाले बैंक और अंतरराष्ट्रीय कंपनियां उसके साथ वित्तीय संबंध रखने पर पुनर्विचार कर सकती हैं। ऐसे में पहले से आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान की हालत और बिगड़ेगी।