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रूस ने काला सागर पर उड़ान भर रहे अमेरिका के दो टोही विमानों को अपने Su-27 के जरिए खदेड़ा

रूस ने काला सागर के ऊपर उड़ान भर रहे अमेरिका के दो टोही विमानों को अपने फाइटर जेट Su-27 के जरिए खदेड़ दिया है। इससे दोनों देशों के बीच तनाव पैदा होने की आशंका है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Thu, 13 Aug 2020 03:55 PM (IST)Updated: Thu, 13 Aug 2020 04:50 PM (IST)
रूस ने काला सागर पर उड़ान भर रहे अमेरिका के दो टोही विमानों को अपने Su-27 के जरिए खदेड़ा
रूस ने काला सागर पर उड़ान भर रहे अमेरिका के दो टोही विमानों को अपने Su-27 के जरिए खदेड़ा

मास्‍को, आइएएनएस। रूस ने काला सागर (Black Sea) के ऊपर उड़ान भर रहे अमेरिका के दो टोही विमानों को अपने फाइटर जेट सुखोई-27 (Russian Su-27 fighter jet) के जरिए खदेड़ दिया। समाचार एजेंसी सिन्‍हुआ ने रूसी रक्षा मंत्रालय के हवाले से बताया है कि यह घटना कल 12 अगस्त को हुई। अमेरिकी टोही विमानों के लौट जाने के बाद रूसी जेट भी अपने ठिकाने पर वापस चला आया था। इस घटना से दोनों देशों के बीच तनाव पैदा होने की आशंका है।

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रूस के रक्षा मंत्रालय के जवेज्दा ब्रॉडकास्टिंग सर्विस ने बताया कि 12 अगस्त को रूसी हवाई क्षेत्र नियंत्रण प्रणालियों ने काला सागर के तटवर्ती जल क्षेत्र में रूसी सीमा के नजदीक आ रहे दो विमानों का पता लगाया। इसके बाद रूस के दक्षिणी सैन्य जिले के एक एसयू-27 फाइटर जेट को इन टोही विमानों को रोकने के लिए भेजा गया। रूस के Su-27 विमान ने उड़ान भरी और अमेरिका विमानों को वापस खदेड़ा। बाद में Su-27 विमान सुरक्षित वापस लौट आया।

इस दौरान रूसी लड़ाकू जेट के चालक दल ने अमेरिकी वायु सेना के रणनीतिक टोही विमान आरसी-135 (aircraft RC-135) और अमेरिकी नौसेना के गश्ती विमान पी-8ओ पोजीडन (aircraft P-8A Poseidon) की पहचान की। समाचार एजेंसी आइएएनएस के मुताबिक, बीते कुछ हफ्तों में रूस के लड़ाकू विमानों ने काले सागर के ऊपर अमेरिकी टोही विमानों को कई बार रोका है। इससे क्षेत्र में एक नया तनाव पैदा हुआ है।

उल्‍लेखनीय है कि हाल ही में अमेरिका ने जर्मनी में तैनात अपने सैनिकों की संख्या में से एक तिहाई कम करने का फैसला किया था। जर्मनी में तैनात कुल 36 हजार अमेरिकी सैनिकों में से 12 हजार को वापस बुलाने का ट्रंप ने फैसला किया है। समाचार एजेंसी रॉयटर ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि रूस की चुनौती के मद्देनजर इनमें से छह हजार को यूरोप के ही किसी सैन्य ठिकाने पर तैनात किया जाएगा। इस कवायद से भी जाहिर है कि रूस और अमेरिका के रिश्‍ते अच्‍छे नहीं हैं।  


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