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Ukraine War: यूक्रेन का युद्धविराम से इन्कार, डोनबास में रूस ने की बीएमपी-टी टैंकों की तैनाती, पोलैंड के राष्ट्रपति डूडा पहुंचे कीव

यूक्रेन ने मौजूदा परिस्थितियों में रूस के साथ युद्धविराम की संभावना से इन्कार किया है। कहा है कि डोनबास में भीषण लड़ाई और वहां के उद्योगों को बुरी तरह से नुकसान होने के बाद युद्धविराम नहीं किया जा सकता।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Sun, 22 May 2022 08:19 PM (IST)Updated: Sun, 22 May 2022 11:03 PM (IST)
Ukraine War: यूक्रेन का युद्धविराम से इन्कार, डोनबास में रूस ने की बीएमपी-टी टैंकों की तैनाती, पोलैंड के राष्ट्रपति डूडा पहुंचे कीव
यूक्रेन ने मौजूदा परिस्थितियों में रूस के साथ युद्धविराम की संभावना से इन्कार किया है।

कीव, रायटर। यूक्रेन ने मौजूदा परिस्थितियों में रूस के साथ युद्धविराम की संभावना से इन्कार किया है। कहा है कि डोनबास में भीषण लड़ाई और वहां के उद्योगों को बुरी तरह से नुकसान होने के बाद युद्धविराम नहीं किया जा सकता। यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की इस मसले पर कह चुके हैं कि 24 फरवरी से पूर्व की स्थिति में जाकर दोनों देशों के बीच युद्धविराम हो सकता है। इसके बाद उन्होंने कहा, यूक्रेन के क्षेत्रों पर रूस का कब्जा अस्थायी है। जल्द ही डोनबास, क्रीमिया और मारीपोल समेत वे सारे इलाके वापस लिए जाएंगे जिन पर रूस ने 2014 से अभी तक कब्जा किया है।

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एक इंच जमीन भी नहीं छोड़ेगा यूक्रेन

रविवार को कीव पहुंचे पोलैंड के राष्ट्रपति एंद्रेजेज डूडा ने यूक्रेन की संसद को संबोधित किया। कहा, देश की एक इंच जमीन भी छोड़ना यूक्रेन और सहयोगियों को कमजोर करने जैसा होगा। उन्होंने यूक्रेन को आश्वस्त किया कि पोलैंड पूरी मजबूती से उसके साथ खड़ा है। यूक्रेन को यूरोपीय यूनियन की सदस्यता दिलाने के लिए भी पोलैंड मजबूती से पैरवी करेगा।

पोलैंड के राष्‍ट्रपति ने कही यह बात

पोलिश राष्ट्रपति ने कहा, केवल यूक्रेन को अपने भविष्य का फैसला करने का अधिकार है, किसी अन्य को नहीं। डूडा पहले विदेशी नेता हैं जिन्होंने रूसी हमले के बाद यूक्रेन आकर वहां की संसद को संबोधित किया है। पोलैंड ही वह पड़ोसी देश है जहां पर यूक्रेन से भागे 60 लाख लोगों में से आधे से अधिक शरण लिए हुए हैं।

इसलिए पोलैंड पर हमले का साहस नहीं जुटा पाया रूस

पोलैंड ही वह देश है जहां से यूक्रेन को ज्यादातर विदेशी हथियारों की आपूर्ति होती है। चूंकि पोलैंड नाटो (उत्तर अटलांटिक संधि संगठन) का सदस्य देश है, इसलिए रूस उस पर हमले का साहस नहीं जुटा पाया है। लेकिन रूस ने उसकी गैस आपूर्ति रोक दी है।

डोनबास में कब्जे के लिए भीषण लड़ाई

मारीपोल कब्जे में आ जाने के बाद रूसी सेना का पूरा ध्यान अब डोनबास (डोनेस्क और लुहांस्क) पर कब्जे की ओर है। लुहांस्क पर कब्जे के लिए सीविरोडोनेस्क और लिसिचांस्क पर रूस की ओर भारी गोलाबारी हो रही है। यूक्रेन की ओर से भी करारा जवाब दिया जा रहा है। लेकिन यूक्रेनी सेना के पास हथियारों की कमी रूसियों को फायदा पहुंचा रही है। यहां पर यूक्रेन के अलगाववादी भी रूसी के साथ मिलकर लड़ रहे हैं।

यूक्रेन की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा असर

उन्हीं का डोनबास के एक हिस्से पर 2014 से कब्जा है। अब पूरे डोनबास को कब्जे में लेने की कोशिश है। डोनबास यूक्रेन का औद्योगिक क्षेत्र में है, जहां पर यूक्रेन का ज्यादातर उत्पादन होता रहा है। लेकिन रूसी हमले से हुई बर्बादी के बाद वहां की स्थिति बिगड़ गई है। जाहिर है कि उसका असर यूक्रेन की अर्थव्यवस्था पर भी पड़ेगा।

डोनबास में रूस ने की बीएमपी-टी टैंकों की तैनाती

ब्रिटेन के रक्षा मंत्रालय के अनुसार रूस ने डोनबास में बीएमपी-टी टर्मिनेटर टैंक भी तैनात कर दिए हैं। रूस का यह अत्याधुनिक टैंक अपनी गोलाबारी से भारी तबाही के लिए कुख्यात है। हालांकि कीव में इसका लाभ लेने में रूसी सेना विफल रही थी। इसका बड़ा कारण यूक्रेनी सेना का कीव से 25 किलोमीटर पहले रूसी सेना को रोक देना था। कीव के नजदीक यूक्रेनी सेना की मोर्चेबंदी, ड्रोन और एंटी टैंक मिसाइलों से रूसी सेना को भारी नुकसान उठाना पड़ा था। 


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