लंबे समय तक बैठे रहने वाले किशोरों में डिप्रेशन का खतरा, पढ़ें अध्ययन में सामने आई बड़ी बातें
तनाव को कई परेशानियों का कारण माना जाता है। अब एक नए अध्ययन में पाया गया है कि ज्यादा तनाव सोचने की क्षमता पर भी असर डाल सकता है।
वॉशिंगटन, एजेंसी। एक अध्ययन में आगाह किया गया है कि किशोरावस्था में लंबे समय तक बैठे रहने की आदत बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह हो सकती है। ऐसे बच्चों को 18 साल की उम्र में डिप्रेशन (अवसाद) का सामना करना पड़ सकता है।
शोधकर्ताओं के अनुसार, 12 साल की उम्र में रोजाना 60 मिनट अतिरिक्त खेलने या टहलने जैसी गतिविधियों का संबंध डिप्रेशन के लक्षणों में दस फीसद कमी से पाया गया है। यह निष्कर्ष 4,257 किशोरों पर किए गए एक अध्ययन के आधार पर निकाला गया है। ब्रिटेन के यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के शोधकर्ता एरोन कंडोला ने कहा, 'हमारे निष्कर्षो से जाहिर होता है कि पूरे दिन के दौरान निष्कि्रय रहने वाले बच्चों को 18 साल की उम्र में डिप्रेशन के उच्च खतरे का सामना करना पड़ सकता है।' (प्रेट्र)
सोचने की क्षमता पर असर डाल सकता है ज्यादा तनाव
तनाव को कई परेशानियों का कारण माना जाता है। अब एक नए अध्ययन में पाया गया है कि ज्यादा तनाव सोचने की क्षमता पर भी असर डाल सकता है। इसके चलते समस्या के समाधान जैसी सोचने की प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है।
अमेरिका की मिसौरी यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ताओं के अनुसार, एक ऐसे संभावित संकेतक की खोज की गई है, जिससे यह जाहिर हो सकता है कि तनाव का मस्तिष्क और समस्या समाधान की क्षमता पर किस तरह का असर पड़ता है। इस खोज से तनाव संबंधी बीमारियों से जूझ रहे रोगियों के लिए नया उपचार विकसित करने में मदद मिल सकती है। यह निष्कर्ष 45 वयस्कों पर किए गए अध्ययन के आधार पर निकाला गया है। इन लोगों में आनुवांशिक तौर पर सेरोटोनिन ट्रांसपोर्टर जीन (एसईआरटी) की मौजूदगी पाई गई। इसका संबंध तनाव से होता है। -एएनआइ