Move to Jagran APP

वैज्ञानिकों ने किया चमत्‍कार, हार्ट फेल होने से बचाने की दवा बनाई, ऐसे करती है काम

Drug to prevent heart failure वैज्ञानिकों ने एक ऐसी दवा बनाई है जो हार्ट अटैक और हार्ट फेल होने के खतरे से बचा सकती है। इस खोज को किसी चमत्‍कार से कम नहीं माना जा रहा है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Sun, 06 Oct 2019 12:24 PM (IST)Updated: Sun, 06 Oct 2019 12:28 PM (IST)
वैज्ञानिकों ने किया चमत्‍कार, हार्ट फेल होने से बचाने की दवा बनाई, ऐसे करती है काम
वैज्ञानिकों ने किया चमत्‍कार, हार्ट फेल होने से बचाने की दवा बनाई, ऐसे करती है काम

टोरंटो, प्रेट्र। वैज्ञानिकों ने एक ऐसी दवा विकसित की है, जो हार्ट अटैक और हार्ट फेल होने के खतरे से बचा सकती है। वर्तमान में इन दोनों ही बीमारियों का कोई सटीक इलाज उपलब्ध नहीं है। नेचर कम्युनिकेशन बायोलॉजी नामक जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में बताया गया है कि हार्ट अटैक की तीव्र प्रतिक्रिया से दिल को गहरा आघात पहुंचता है, जो अंत में लाइलाज हार्ट फेल का कारण बनता है। लेकिन अब एसआर 90009 नामक दवा का उपयोग करने से इस खतरे से बचा जा सकता है।

loksabha election banner

हार्ट फेल होने से बचाती है दवा

इस दवा को विकसित करने वाले शोधकर्ताओं में कनाडा की गुएल्फ यूनिवर्सिटी के शोधार्थी भी शामिल थे। शोधकर्ताओं का दावा है कि नई दवा में ऐसी क्षमता है कि यह हृदयाघात से तो बचाती ही है। साथ ही इसके खतरे से बचने के लिए मरीज जो दवाएं लेते हैं उसकी आवश्यकता को भी समाप्त कर देती है। अक्सर देखा जाता है कि एक बार हार्ट अटैक पड़ने के बाद मरीज आजीवन दवाएं खाते हैं। फिर भी दवाओं का कोई खास असर नहीं दिखता है। ऐसे में नई दवा बेहद उपयोगी सिद्ध हो सकती है।

बॉडी क्लॉक के आधार करती है काम

शोधकर्ताओं ने कहा कि नई दवा हमारे शरीर की प्राकृतिक घड़ी यानी बॉडी क्लॉक के आधार काम करती है। इसे सर्कैडियन रिदम भी कहा जाता है। यह शरीर की कोशिकाओं के काम को प्रभावित करती है। अध्ययन में कहा गया है कि बॉडी क्लॉक में जीन और प्रोटीन होते हैं, जो हृदय गति और रक्तचाप जैसे प्रमुख कार्यों को विनियमित करने के लिए दिन और रात के चक्र में काम करते रहते हैं।

रक्त प्रवाह नियंत्रित करता है बॉडी क्लॉक

शोधकर्ताओं ने कहा बॉडी क्लॉक का तंत्र हृदय में स्वस्थ रक्त के प्रवाह को नियंत्रित करता है। साथ ही इलाज के दौरान भी सकारात्मक प्रतिक्रिया देता है। गुएल्फ यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता और इस अध्ययन के सह-लेखक टैमी मार्टिनो ने कहा, ‘यह शोध वास्तव में रोमांचक है क्योंकि यह एक ऐसी पद्धति के उपयोग पर जोर देता है, जिससे हार्ट अटैक को तो ठीक किया ही जा सकता है। साथ ही साथ हार्ट फेल के खतरे को भी विकसित होने से रोका जा सकता है।’

तेजी से असर करती है दवा

मार्टिनो ने कहा,‘चूहों पर परीक्षण के दौरान हमने पाया कि इस दवा का उपयोग करने के बाद चूहे को हार्ट अटैक नहीं पड़ा।’ उन्होंने कहा कि यदि कोई आघात नहीं पहुंचता तो हृदय को किसी प्रकार की भी क्षति नहीं होगी और भविष्य में भी मरीज स्वस्थ जीवन जी सकता है। उन्होंने कहा कि यह दवा इतनी तेजी से असर करती है कि इसकी कार्यप्रणाली देखकर हम सभी चकित रह गए थे। शोधकर्ताओं ने कहा कि यह खोज अन्य हृदय रोगों के उपचार का रास्ता भी खोजने में भी मदद कर सकती है और इससे मरीज को समय रहते बचाया जा सकता है।

ऊतकों को नुकसान पहुंचाता है एनएलआरपी-3

मार्टिनो और उनकी टीम ने बॉडी क्लॉक के एक मुख्य यौगिक को लक्षित करने के लिए एसआर90009 नामक दवा का उपयोग किया और ऐसे जीनों के व्यवहार (जीन एक्सप्रेशन) को बाधित किया, जो हार्ट अटैक के बाद प्रतिकूल प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया (एडवर्स इम्यून रिस्पोंस) देते हैं। जब शोधकर्ताओं ने इस दवा का चूहों पर परीक्षण किया तो पाया कि इससे एनएलआरपी3 नामक सेलुलर सेंसर का उत्पादन कम हो गया। यह सेंसर हृदय के ऊतकों को नुकसान पहुंचाता है। अध्ययन ने बताया गया है कि पहली बार हार्ट अटैक से बचे लोगों का इलाज इस दवा के जरिये रेपरफ्यूजन जैसी पारंपरिक थेरेपी से कहीं बेहतर तरीके से हो सकता है। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.