Move to Jagran APP

नोटबंदी और जीएसटी से विकास दर हुई धीमी : रघुराम राजन

नोटबंदी और जीएसटी की वजह से पिछले साल भारतीय अर्थव्यवस्था को गहरा झटका लगा है और मौजूदा सात प्रतिशत की वृद्धि दर देश की जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं है।

By TaniskEdited By: Published: Sat, 10 Nov 2018 05:37 PM (IST)Updated: Sat, 10 Nov 2018 09:48 PM (IST)
नोटबंदी और जीएसटी से विकास दर हुई धीमी : रघुराम राजन
नोटबंदी और जीएसटी से विकास दर हुई धीमी : रघुराम राजन

 वाशिंगटन, प्रेट्र। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) और नोटबंदी जैसे फैसलों को पिछले वर्ष भारत की आर्थिक विकास दर को सुस्त करने की बड़ी वजहों में गिनाया है।

loksabha election banner

बर्कले स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया में एक सभा को संबोधित करते हुए राजन का कहना था कि नोटबंदी और जीएसटी से पहले 2012 से 2016 तक देश की विकास दर तेज रही थी। उन्होंने यह भी कहा कि भारत की मौजूदा सात फीसद की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) विकास दर देश की बढ़ती जरूरतों के लिए नाकाफी है।

फ्यूचर ऑफ इंडिया पर भट्टाचार्य लेक्चरशिप के दूसरे आयोजन में राजन ने कहा, 'नोटबंदी और उसके बाद जीएसटी जैसे दो लगातार झटकों ने भारत में विकास दर को खासा प्रभावित किया। दिलचस्प यह है कि भारत की विकास दर ऐसे मौके पर सुस्त पड़ी, जब ग्लोबल इकोनॉमी की विकास दर रफ्तार पकड़ रही थी।'

पूरे भाषण के दौरान आरबीआइ के पूर्व गवर्नर का मुख्य फोकस इस बात पर रहा कि सात फीसद या उससे थोड़ा ऊपर की मौजूदा विकास दर भारत के लिए संतोषजनक नहीं है।

गौरतलब है कि नोटबंदी के दो वर्ष पूरे होने पर आठ नवंबर को वित्त मंत्री अरुण जेटली ने एक फेसबुक पोस्ट में नोटबंदी का विरोध करने वालों की तीखी आलोचना की थी। उन्होंने लिखा था कि नोटबंदी की आलोचना करने वाले झूठे साबित हुए हैं और देश लगातार पांचवें वर्ष सबसे तेजी से विकास कर रही अर्थव्यवस्था बना हुआ है।

राजन ने कहा कि अतीत में लंबे अरसे तक भारत तीन से साढ़े तीन फीसद की विकास दर से संतुष्ट रहा। इसे 'हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ' नाम दिया गया था। अब ऐसा लगता है कि सात फीसद की विकास दर नया हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ बन गया है।

राजन का कहना था कि अगर लगातार 25 वर्षो तक सात फीसद विकास दर बनाए रखी जा सके, तो यह बहुत मजबूत विकास दर होगी। लेकिन जिस तरह की श्रम शक्ति बाजार में उतर रही है और उसे जिस तरह के रोजगार की जरूरत है, उसे पूरा करने के लिए यह विकास दर कतई काफी नहीं है।

बैंकों के बढ़ते फंसे कर्ज (एनपीए) के बारे में राजन का कहना था कि इन परिस्थितियों में 'पूर्ण सफाई' ही सबसे बेहतर विकल्प है। भारत को बैंकों की सफाई में खासा वक्त लगा, क्योंकि बुरे कर्जो से निपटने के लिए पर्याप्त उपकरण मौजूद नहीं थे। अब इन्सॉल्वेंसी एंड बैंक्रप्सी कोड (आइबीसी) जैसे उपकरण हैं। लेकिन अकेले आइबीसी से बड़े स्तर पर एनपीए से निपटना मुश्किल काम है।

शक्ति का केंद्रीकरण बड़ी समस्या
आरबीआइ के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कहा है कि राजनीतिक निर्णय प्रक्रिया में शक्ति का किसी एक के हाथ में केंद्रित होना भारत की प्रमुख समस्याओं में एक है। उन्होंने कहा कि हाल ही में 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' के अनावरण के लिए भी प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के अनुमोदन की जरूरत पड़ी।

राजन ने कहा कि शक्ति का केंद्रीकरण भारत की बड़ी समस्या है। भारत जैसा देश केंद्र से शासित नहीं हो सकता है। वहां विकास तभी हो सकता है जब सभी लोग मिलकर बोझ उठाएं। लेकिन मौजूदा सरकार की शक्ति बहुत ज्यादा केंद्रित हो गई है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.