Move to Jagran APP

वैज्ञानिकों के सामने आया ब्रह्मांड से जुड़ा एक और रहस्‍य, जानें- कैसे हुआ होगा इसका निर्माण

ब्रह्मांड के रहस्‍यों को सुलझाने वाले वैज्ञानिकों को इस बारे में कुछ नया पता लगा है। अंतरिक्ष आधारित गामा-रे टेलीस्कोप के जरिये अल्पजीवी रेडियोन्युक्लिआइड अल्युमीनियम 26 से निकली गामा-रे का पता लगाया गया है। इससे एक नए रहस्‍य का पता चला है।

By Kamal VermaEdited By: Published: Thu, 19 Aug 2021 02:54 PM (IST)Updated: Thu, 19 Aug 2021 02:54 PM (IST)
वैज्ञानिकों के सामने आया ब्रह्मांड से जुड़ा एक और रहस्‍य, जानें- कैसे हुआ होगा इसका निर्माण
हमें सबसे बढ़िया डाटा ओफिउचुस कम्प्लेक्स में मिले हैं।

वाशिंगटन (एएनआइ)। सौर मंडल के निर्माण के बारे में नया रहस्य सामने आया है। ओफिउचुस तारों के निर्माण क्षेत्र के अध्ययन से यह अंदाजा लगा है कि किन परिस्थितियों में हमारे सौर मंडल का निर्माण हुआ होगा। यह अध्ययन नेचर एस्ट्रोनामी जर्नल में प्रकाशित हुआ है।

loksabha election banner

इस अध्ययन से यह भी पता चला है कि हमारे सौर मंडल किस प्रकार से संक्षिप्त जीवनकाल वाले रेडियो एक्टिव तत्वों से समृद्ध हुआ। दरअसल, पिछली शताब्दी के छठे दशक में ही विज्ञानी जब उल्का पिंडों में मौजूद खनिजों का अध्ययन कर रहे थे तो उन्हें रेडियो एक्टिव तत्वों के प्रमाण मिले थे। उसके आधार पर यह निष्कर्ष निकाला गया कि सौर मंडल में प्राचीन अवशेष हैं और ये अल्पजीवी रेडियोन्युक्लिआइड के क्षय उत्पाद हैं। माना जाता है कि ये रेडियो एक्टिव तत्व नजदीकी तारा (सुपरनोवा) के विस्फोट से या फिर बड़े तारों (जिन्हें वुल्फ रेयेत के भी नाम से जाना जाता है) की जोरदार हवाओं से नवजात सौर मंडल में फैले होंगे।

इस नए अध्ययन में ओफिउचुस तारा के निर्माण क्षेत्र के विभिन्न तरंग दैर्ध्‍य का इस्तेमाल किया है। इसमें नया इंफ्रारेड डाटा भी शामिल है। इससे तारों का निर्माण करने वाली गैस के बादल और नए तारों में बने रेडियोन्युक्लिआइड्स की अंतरक्रियाओं की जानकारी मिल सकी।

अध्ययन के सह लेखक यूनिवर्सिटी आफ कैलिफोर्निया, सांता क्रूज के एस्ट्रोनामी एंड एस्ट्रोफिजिक्स के मानद प्रोफेसर डगलस एन. सी. लिन ने बताया कि संभव है कि हमारा सौर मंडल एक बड़े मालिक्युलर क्लाउड के साथ तारकीय समूह और एक या अधिक सुपरनोवा से मिलकर बना हो और गैस वाला यह समूह सूर्य तथा इसके ग्रह तंत्र का निर्माण हुआ हो। उन्होंने कहा कि हालांकि ऐसी परिस्थितियों के बारे में पहले भी बताया गया है, लेकिन इस अध्ययन की खासियत यह है कि विविध तरंग दैघ्र्य के अवलोकन के साथ परिष्कृत सांख्यिकीय विश्लेषण भी किया गया है ताकि माडल की संभावना का मात्रत्मक माप निर्धारित किया जा सके।

अध्ययन के प्रथम लेखक जान फोर्ब्स ने बताया कि अंतरिक्ष आधारित गामा-रे टेलीस्कोप के जरिये अल्पजीवी रेडियोन्युक्लिआइड अल्युमीनियम-26 से निकली गामा-रे का पता लगाने में हम सक्षम हो सके। हमें सबसे बढ़िया डाटा ओफिउचुस कम्प्लेक्स में मिले।

ओफिउचुस क्लाउड कम्प्लेक्स में तारा निर्माण के विभिन्न चरणों में कई घने प्रोटोस्टेलर कोर (तारों के निर्माण का प्रारंभिक चरण) तथा प्रोटोप्लैनेटरी डिस्क का विकास पाया गया, जो ग्रह निर्माण व्यवस्था का शुरुआती चरण है।

मिलीमीटर से लेकर गामा-रे तक के तरंगदैघ्र्य वाले इमेज डाटा को मिला कर शोधकर्ता ओफिउचुस स्टार के निर्माण क्षेत्र में अल्युमीनियम-26 के फ्लो को देखने में सक्षम हुए। फोर्ब्स ने बताया कि ओफिउचुस में इस प्रकार की संवर्धन प्रक्रिया वैसी ही है, जैसी कि पांच अरब वर्ष पहले सौर मंडल के निर्माण के समय थी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.