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    ट्रंप प्रशासन में नस्लीय हमले तेज, मंदिरों और भारतवंशियों को बनाया जा रहा निशाना; H-1B वीजा पर भी धमकियां

    Updated: Sun, 02 Nov 2025 10:14 AM (IST)

    ट्रंप प्रशासन के दौरान अमेरिका में भारतवंशियों के खिलाफ नफरत अपराध बढ़े हैं। अक्टूबर 2025 तक ट्रोलिंग के मामलों में 91% की वृद्धि हुई। वीजा और नौकरियों को लेकर धमकियां भी बढ़ीं। एच-1बी वीजा शुल्क में वृद्धि और भारतीयों के निर्वासन ने माहौल को और बिगाड़ दिया, जिससे मंदिरों पर हमले और गोलीबारी की घटनाएं हुईं। 

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    ट्रंप प्रशासन में हेट क्राइम के मामलों में 91% की बढ़ोत्तरी


    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अमेरिका में ट्रंप प्रशासन के दूसरे कार्यकाल में भारतवंशियों के खिलाफ हेट क्राइम के मामले बढ़े हैं। अक्टूबर 2025 तक ट्रोलिंग के मामलों में 91 प्रतिशत की वृद्धि हुई। वीजा और माइग्रेंट मामलों पर बहस के बाद 'नौकरियां छीनने' की धमकियां बढ़ीं। ट्रंप ने एच-1बी वीजा शुल्क शुल्क बढ़ाकर भारतीयों के डिपोर्टेशन से माहौल भड़काया।

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    दरअसल, अमेरिका में बाइडेन कार्यकाल में दक्षिण एशियाई मूल के लोगों के खिलाफ ऑनलाइन नफरत व हिंसा सीमित रही। अक्टूबर 2024 तक 46,000 ट्रोलिंग और 884 धमकियां दर्ज हुईं। जबकि ट्रंप के लौटते ही माहौल बिगड़ गया। एक साल में यानी अक्टूबर 2025 तक ट्रोलिंग बढ़कर 88,000 तक पहुंच गई। यानी ट्रंप सरकार में ट्रोलिंग के मामलों में 91 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। नस्लभेद का यह ट्रेंड पूरे दक्षिण एशियाई समुदाय को निशाना बना रहा है।

    सेंटर फॉर द स्‍टडी ऑफ ऑर्गनाइज्‍ड हेट की रिपोर्ट के अनुसार, दिसंबर में वीजा और माग्रेंट मामले में ट्रम्प-मस्क-रामास्वामी बहस के बाद 76 प्रतिशत धमकियां 'नौकरियां छीनने' से जुड़ी रहीं। इस दौरान ट्रंप प्रशासन के एच-1बी वीसा शुल्क बढ़ाने और 104 भारतीयों को डिपोर्ट करने के फैसले ने माहौल को और खराब कर दिया। इससे टेक्सास, वर्जीनिया और कैलिफोर्निया में गोलीबारी और मंदिरों पर हमलों में वृद्धि आई है। वहीं, बीते कुछ महीनों में नस्लभेदी पोस्ट्स में भी तेजी देखने को मिला है।

    दक्षिण एशियाई समुदाय को बना रहा निशाना

    सेंटर फॉर द स्‍टडी ऑफ ऑर्गनाइज्‍ड हेट की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका में बढ़ते नस्लभेद का यह ट्रेंड केवल भारतीयों तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे दक्षिण एशियाई समुदाय को निशाना बना रहा है। आइए जानते हैं इसके पीछे के की वजह....

    अमेरिका, यूरोप और ऑस्ट्रेलिया में प्रवासियों के खिलाफ जो वैश्विक नाराजगी बढ़ी है। नस्लभेदी ट्रेंड दुनियाभर में उभर रही दक्षिणपंथी राजनीति का अहम हिस्सा बन चुकी है।

    इधर अमेरिका में एच-1बी वीजा को लेकर ट्रेंड भी गुस्सा को बढ़ा रहा है। दक्षिणपंथी समूहों का आरोप है कि भारतीय 'कम योग्य' होते हुए भी अमेरिकी नागरिकों के हक की नौकरियां छीन रहे हैं। यही वजह है कि यहां सोशल मीडिया पर 'भारतीयों को देश से निकालो' जैसे नारों में इजाफा हुआ। ट्रंप की जीत की बाद से श्वेत वर्चस्ववादी गतिविधियां चरम पर पहुंच गई है।

    निशाने पर भारतीय समुदाय के लोग

    रिपोर्ट के अनुसार, नवंबर 2024 से अक्टूबर 2025 के बीच अमेरिका के कई शहरों में भारतीय समुदाय के लोगों को निशाना बनाकर हिंसक हमले किए गए। कैलिफोर्निया में पूरे साल मंदिरों पर हमले किए गए। वहीं, ओहायो, इलिनॉय और इंडियाना राज्यों में छात्रों से हेट क्राइम के मामले सामने आए। इसके अलावा सोशल मीडिया के माध्यम से भी ऑनलाइन घृणा अभियानों के संगठित प्रयास जारी रहे।

    इन भारतीयों को बनाया गया निशाना

    इसी साल फरवरी 2025 में वर्जीनिया में एक भारतीय-अमेरिकी कारोबारी की गोली मारकर हत्या कर दी गई। इसके कुछ दिन बाद मार्च 2025 में एक किराना स्टोर पर हुए हमले में पिता-पुत्री की जान चली गई। इसके अलावा सितंबर 2025 में टेक्सास के डलास में दो छात्रों और श्रमिकों की हत्या कर दी गई। इसके अलावा हाल ही में चंद्रमौली नागमल्लैया की सिर काटकर हत्या ने पूरी दुनिया को झकझोर दिया। अक्टूबर 2025 में पेंसिल्वेनिया के पिट्सबर्ग में एक मोटेल पर गोलीबारी में भारतीय मूल के मालिक और कर्मचारियों को निशाना बनाया गया।

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