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प्रतिष्ठित आइंस्टीन पुरस्कार से नवाजे जाएंगे प्रोफेसर अभय आश्तेकर

इंस्टीट्यूट फॉर ग्रैविटेशन एंड द कॉसमास के निदेशक अभय को यह पुरस्कार सामान्य सापेक्षता, ब्लैक होल के सिद्धांत व क्वांटम फिजिक्स के क्षेत्र में बेहतरीन योगदान के लिए दिया जा रहा है।

By TaniskEdited By: Published: Mon, 15 Oct 2018 01:34 PM (IST)Updated: Mon, 15 Oct 2018 11:57 PM (IST)
प्रतिष्ठित आइंस्टीन पुरस्कार से नवाजे जाएंगे प्रोफेसर अभय आश्तेकर
प्रतिष्ठित आइंस्टीन पुरस्कार से नवाजे जाएंगे प्रोफेसर अभय आश्तेकर

 शिकागो, आइएएनएस। चार दशकों से गुरुत्वाकर्षण विज्ञान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण शोध कर रहे भारतीय-अमेरिकी प्रोफेसर अभय आश्तेकर को प्रतिष्ठित आइंस्टीन पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा।

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अमेरिकन फिजिकल सोसाइटी द्वारा दिए जाने वाले पुरस्कार के तहत विजेता को 10 हजार डॉलर का इनाम दिया जाता है। इस साल के अवार्ड की घोषणा 23 अक्टूबर को होगी। महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन के नाम पर दिए जाने वाले इस पुरस्कार की शुरुआत 1999 में हुई थी।

 पेंसलवेनिया स्टेट यूनिवर्सिटी के इंस्टीट्यूट फॉर ग्रैविटेशन एंड द कॉसमास के निदेशक अभय को यह पुरस्कार सामान्य सापेक्षता, ब्लैक होल के सिद्धांत व क्वांटम फिजिक्स के क्षेत्र में बेहतरीन योगदान के लिए दिया जा रहा है।

पुरस्कार पाने को लेकर उत्साहित अभय ने कहा, 'स्कूल में पढ़ने के दौरान मैंने न्यूटन के सिद्धांत और गुरुत्व बल की सार्वभौमिकता को जाना। जिस बल के कारण कोई भी सामान धरती पर नीचे आता है उसी बल के कारण पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करती है।

यह बहुत उत्साहित करने वाला था। उसके बाद ही मैंने इस विज्ञान को समझने का मन बना लिया था। इसी से मुझे अंतरिक्ष, समय और प्रकृति से जुड़े सवालों के जवाब मिल सकते थे।'

भारत से हाई स्कूल की पढ़ाई कर चुके अभय ने 1974 में यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो से पीचीडी की डिग्री ली। वह फ्रांस, कनाडा और भारत में महत्वपूर्ण पदों पर काम कर चुके हैं।

उनका मानना है कि भौतिकी और खगोलविद के क्षेत्र में हो रहे शोधों में दशकों तक गुरुत्वाकर्षण का प्रभुत्व रहेगा। भारत के भौतिक वैज्ञानिकों के सवाल पर अभय ने कहा, 'भौतिकी के क्षेत्र में भारतीय वैज्ञानिक बेहतरीन काम कर रहे हैं। वह इस क्षेत्र में चीन से आगे हैं।'


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