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G7 SUMMIT:- पीएम मोदी यात्रा पर, देशों से मधुर संबंध बनाने के साथ ही ज्वलंत मुद्दों पर होगी बात

G7 SUMMIT FRANCE जी-7 समिट में हिस्सा लेने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी 23 से 26 अगस्त तक विदेश यात्रा पर जा रहे हैं वो इन देशों के साथ बैठकर कई राष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा करेंगे।

By Vinay TiwariEdited By: Published: Thu, 22 Aug 2019 06:12 PM (IST)Updated: Thu, 22 Aug 2019 06:12 PM (IST)
G7 SUMMIT:- पीएम मोदी यात्रा पर, देशों से मधुर संबंध बनाने के साथ ही ज्वलंत मुद्दों पर होगी बात
G7 SUMMIT:- पीएम मोदी यात्रा पर, देशों से मधुर संबंध बनाने के साथ ही ज्वलंत मुद्दों पर होगी बात

नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। G7 SUMMIT FRANCE: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कल 23 से 26 अगस्त तक कई देशों की यात्रा पर रहेंगे। इस बीच में वो जी-7 देशों की समिट में भी हिस्सा लेंगे। 45 वां जी 7 शिखर सम्मेलन 24 से 26 अगस्त, 2019 को बिरिट्ज़, फ्रांस में आयोजित किया जा रहा है। G7 के 45 वें शिखर सम्मेलन में भाग लेने वाले G7 सदस्य राज्यों के नेताओं के साथ-साथ यूरोपीय संघ के प्रतिनिधि भी इसमें शामिल होंगे। ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के लिए यह पहला G7 शिखर सम्मेलन होगा। यह इटली के प्रधानमंत्री ग्यूसेप कोंटे और डोनाल्ड टस्क के लिए आखिरी शिखर सम्मेलन भी होगा। फ्रांसीसी गणराज्य के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रोन ने जी 7 शिखर सम्मेलन के आउटरीच सत्र में भाग लेने के लिए ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन, स्पेन के प्रधानमंत्री पेड्रो सेंचेज, कनाडा के प्रधान मंत्री जस्टिन ट्रूडो और भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को आमंत्रित किया है।

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क्या है जी 7 की पूरी पृष्ठभूमि

जी-7 विश्व की सात सर्वाधिक औद्योगिक एवं विकसित महाशक्तियों का संगठन है। इस संगठन के सदस्य देश- संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, यूनाइटेड किंगडम, फ्रांस, इटली, जर्मनी एवं जापान हैं। 1970 के दशक की वैश्विक आर्थिक मंदी व बढ़ते तेल संकट की पृष्ठभूमि में फ्रांस के तत्कालीन राष्ट्रपति बैलेरी जिस्कार्ड डी एस्टेइंग के आह्वान पर वर्ष 1975 में इस समूह का गठन किया गया था। समूह के संस्थापक सदस्य तत्कालीन विश्व के सर्वाधिक औद्योगीकृत एवं लोकतांत्रिक देश-फ्रांस, अमेरिका, ब्रिटेन, इटली, जर्मनी एवं जापान थे। पेरिस के निकट रम्बोइलेट में वर्ष 1975 में समूह की प्रथम बैठक का आयोजन हुआ। वर्ष 1976 में कनाडा के इस समूह में सम्मिलित होने के बाद समूह को ‘जी-7’नाम दिया गया। 

गौरतलब है कि यूरोपीय संघ साल 1977 से ही समूह का सहभागी सदस्य है परंतु उसे पृथक सदस्य नहीं माना जाता है। जी-7 एक अनौपचारिक संगठन है जिसका न तो कोई मुख्यालय है और न ही सचिवालय। इसका कोई चार्टर भी नहीं है। समूह के सदस्य देश, विश्व के ज्वलंत मुद्दों पर वार्ता करने व उसका समाधान निकालने के लिए वार्षिक शिखर सम्मेलन का आयोजन करते हैं।

साल 2018 में कनाडा ने की थी मेजबानी

8 – 9 जून, 2018 के मध्य आयोजित 44वें जी-7 शिखर सम्मेलन की मेजबानी व अध्यक्षता कनाडा द्वारा की गई थी। सम्मेलन का आयोजन चार्लेवोइक्स (Charlevoix), क्यूबेक सिटी, कनाडा में हुआ था। यह छठां अवसर था जब कनाडा ने इस सम्मेलन की मेजबानी की थी। 

शिखर-सम्मेलन में हिस्सा लेने वाले देश

जी-7 के शिखर सम्मेलन में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प, ब्रिटिश प्रधानमंत्री थेरेसा मे, कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैंक्रो, जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल, जापान के प्रधानमंत्री शिंजो अबे और इटली के प्रधानमंत्री गिउसेपे कोंटे (Giuseppe Conte)शामिल हुए थे। यूरोपीय आयोग के अध्यक्ष जीन क्लाउड जंकर (Jean Claude Junker)तथा यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष डोनाल्ड टस्क (Donald Tusk) ने यूरोपीय संघ का प्रतिनिधित्व शिखर सम्मेलन में किया। इसके अतिरिक्त 12 देशों के आमंत्रित राष्ट्र प्रमुखों सहित विभिन्न अंतरराष्ट्रीय संगठन जैसे- संयुक्त राष्ट्र संघ, विश्व बैंक, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष तथा ऑर्गनाइजेशन ऑफ इकोनॉमिक कोऑपरेशन एंड डेवलपमेंट (OECD) के प्रमुखों ने शिखर सम्मेलन में भागीदारी की थी।

जी-7 की 44 वीं बैठक में इन मुद्दों पर हुई थी चर्चा

- जी-7 की परंपरा के अनुसार, मेजबान देश सम्मेलन की अध्यक्षता करने के साथ ही वार्ता में शामिल मुद्दों का भी निर्धारण करता है।

कनाडा द्वारा 44वें शिखर सम्मेलन में वार्ता के लिए इन पांच मुख्य मुद्दों को शामिल किया गया था।

(1) सभी के विकास हेतु निवेश में वृद्धि करना।

(2) भविष्य में रोजगार की संभावनाएं पैदा करना।

(3) महिला सशक्तिकरण एवं प्रगतिशील लैंगिक बराबरी सुनिश्चित करना।

(4) जलवायु परिवर्तन, महासागर एवं स्वच्छ ऊर्जा

(5) शांतिपूर्ण एवं सुरक्षित विश्व का निर्माण

‘जी 6+1’ की चर्चा

फ्रांस की सरकार व राजनीतिक समीक्षकों ने 44वें शिखर सम्मेलन को ‘G6+1’ सम्मेलन करार दिया। ‘G6+1’ से अभिप्राय अमेरिका का अन्य सदस्य देशों के साथ विभिन्न मुद्दों पर टकराव से है। व्यापारिक संबंधों को लेकर अमेरिका-फ्रांस और अमेरिका कनाडा के मध्य गतिरोध की स्थिति है। इसके अतिरिक्त ईरान के साथ संयुक्त समग्र कार्ययोजना (Joint Comprehensive Plan of Action) के समझौते से हटना, पेरिस जलवायु समझौता तोड़ना और सीमा शुल्क में वृद्धि से अमेरिका की अन्य सदस्य देशों के साथ टकराव की स्थिति है।

लिंग समानता सलाहकार परिषद

44वें शिखर सम्मेलन की एक प्रमुख उपलब्धि ‘लैंगिक समानता सलाहकार परिषद’का गठन था, सलाहकार परिषद, जी-7 के सदस्य देशों को महिला सशक्तिकरण एवं लैंगिक समानता के मुद्दों पर परामर्श देने का कार्य करेगी। परिषद का उद्देश्य निजी क्षेत्र की कंपनियों को लैंगिक असमानता की समस्या को समाप्त करने के लिए ‘लैंगिक समानता परिषदों’के गठन हेतु प्रोत्साहित करना है। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने सम्मेलन के दौरान, विश्व की 21 शक्तिशाली महिलाओं को लेकर ‘लैंगिक समानता सलाहकार परिषद’ के गठन की घोषणा की। लिंग समानता सलाहकार परिषद की सह-अध्यक्षता मिलिंडा गेट तथा फ्रांस व मोनाको में कनाडा की राजदूत ईसाबेल हडसन (Isabelle Hudson)द्वारा की गई।

जी 8 था समूह का नाम, वापस हुआ जी-7

गौरतलब है कि वर्ष 1994 में रूस के ‘जी-7’समूह में शामिल होने से पहले वर्ष 1997 में समूह का नाम ‘G-8’पड़ गया था, परंतु वर्ष 2014 में सदस्य देशों द्वारा रूस को अनिश्चितकाल के लिए निलंबित करने के कारण, समूह का नाम पुनः ‘जी-7’हो गया। जी-7 के राष्ट्रों का 45वां शिखर सम्मेलन इस साल फ्रांस में हो रहा है। इसी में हिस्सा लेने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बुलाया गया है।

जी 7 में शामिल कोर सदस्यों के नाम

कनाडा जस्टिन ट्रूडो प्रधानमंत्री

फ्रांस इमैनुएल मैक्रॉन राष्ट्रपति

जर्मनी एंजेला मर्केल चांसलर

इटली Giuseppe Conte प्रधान मंत्री

जापान शिंजो अबे प्रधानमंत्री

यूनाइटेड किंगडम बोरिस जॉनसन प्रधान मंत्री

संयुक्त राज्य अमेरिका के डोनाल्ड ट्रम्प राष्ट्रपति

यूरोपीय संघ डोनाल्ड टस्क परिषद के अध्यक्ष

जी-7 में शामिल होने वाले अतिथि आमंत्रित (देश)

ऑस्ट्रेलिया स्कॉट मॉरिसन प्रधानमंत्री

भारत से नरेंद्र मोदी प्रधान मंत्री

स्पेन पेड्रो सान्चेज़ प्रधानमंत्री

जी-7 में इन मुद्दों पर होगी बात

- जलवायु परिवर्तन

- पर्यावरण परिर्तन

- महासागरों की स्थिति

- डिजिटल परिवर्तन

- आतंकवाद

- विदेशों में कैशलेस लेनदेन के नेटवर्क को बढ़ावा देने के लिए RuPay कार्ड भी लॉन्च करेंगे। 

पीएम ने शेयर किया पूरा कार्यक्रम

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने ट्ववीटर हैंडल से पूरे कार्यक्रम की विस्तृत रुपरेखा शेयर की। उन्होंने बताया कि वो फ्रांस की यात्रा पर भी जाएंगे, इस यात्रा का उद्देश्य फ्रांस के साथ मजबूत रणनीतिक रिश्ते बनाना है। 22-23 अगस्त 2019 को, फ्रांस में द्विपक्षीय बैठक होगी, जिसमें राष्ट्रपति मैक्रोन के साथ शिखर वार्ता और प्रधान मंत्री फिलिप के साथ एक बैठक होगी। उन्होंने बताया कि वो भारतीय समुदाय के साथ बातचीत करेंगे और 1950- 1960 के दशक में फ्रांस में दो एयर इंडिया क्रैश के पीड़ितों के लिए एक स्मारक भी समर्पित करेंगे।

25-26 अगस्त को वो पर्यावरण, जलवायु, महासागरों और डिजिटल परिवर्तन पर सत्रों में राष्ट्रपति मैक्रोन के निमंत्रण पर जी 7 शिखर सम्मेलन की बैठकों में भाग लेंगे। भारत और फ्रांस के बीच उत्कृष्ट द्विपक्षीय संबंध हैं जोकि दोनों देशों और विश्व में बड़े पैमाने पर शांति और समृद्धि को बढ़ाने के लिए सहयोग करने के लिए एक साझा दृष्टिकोण हैं। हमारी मजबूत रणनीतिक और आर्थिक साझेदारी प्रमुख वैश्विक चिंताओं जैसे कि आतंकवाद, जलवायु परिवर्तन आदि पर एक दृष्टिकोण है। उन्होंने बताया कि यह यात्रा आपसी समृद्धि, शांति और प्रगति के लिए फ्रांस के साथ हमारी दीर्घकालिक और मूल्यवान दोस्ती को बढ़ावा देगी।

23 से 24 अगस्त को संयुक्त अरब अमीरात 

23-24 अगस्त को संयुक्त अरब अमीरात की यात्रा के दौरान महामहिम अबू धाबी के क्राउन प्रिंस, शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान के साथ द्विपक्षीय संबंधों के संपूर्ण सरगम ​​और आपसी हित के क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा करेंगे। इसके बाद महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती के साथ-साथ महामहिम द क्राउन प्रिंस के साथ संयुक्त रूप से डाक टिकट जारी करने की योजना है। इस यात्रा के दौरान यूएई सरकार द्वारा प्रदान की जाने वाली सर्वोच्च नागरिक सजावट 'ऑर्डर ऑफ जायद' प्राप्त करना सम्मान की बात होगी। वो विदेशों में कैशलेस लेनदेन के नेटवर्क का विस्तार करने के लिए औपचारिक रूप से RuPay कार्ड भी लॉन्च करेंगे।

भारत और यूएई के बीच लगातार उच्च स्तरीय बातचीत जारी है, ये यूएई के साथ भारत के अच्छे संबंधों की गवाही है। यूएई भारत का तीसरा सबसे बड़ा व्यापार भागीदार है और भारत के लिए कच्चे तेल का चौथा सबसे बड़ा निर्यातक है। इन संबंधों की गुणात्मक वृद्धि हमारी भारत की सबसे बड़ी विदेश नीति उपलब्धियों में से एक है। यह यात्रा संयुक्त अरब अमीरात के साथ हमारे द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करेगी। 

24 से 25 अगस्त बहरीन

वो 24-25 अगस्त से बहरीन साम्राज्य का भी दौरा करेंगे। यह भारत की ओर से किंगडम की पहली प्रधानमंत्री यात्रा होगी। वो शाही महामहिम प्रिंस शेख खलीफा बिन सलमान अल खलीफा के साथ चर्चा करने के लिए तत्पर हूं। पीएम मोदी वहां महामहिम राजा बहरीन शेख हमद बिन ईसा अल खलीफा और अन्य नेताओं से भी मिलेंगे।

पीएम मोदी वहां भारतीय प्रवासियों के साथ बातचीत भी करेंगे। उनको वहां जन्माष्टमी के शुभ पर्व के मद्देनजर श्रीनाथजी के मंदिर- खाड़ी क्षेत्र में सबसे पुराने मंदिर के पुन: विकास की औपचारिक शुरुआत में भी शामिल होंगे। पीएम की इस यात्रा से सभी क्षेत्रों के साथ उनके संबंध और गहरे व मजबूत होंगे। 


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