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नए दौर में भारत और अमेरिका के रिश्ते, पीएम मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन से की मुलाकात

भारत और अमेरिका के रिश्ते नए दौर और ऊंचाइयों को छू रहे हैं। शुक्रवार को राष्ट्रपति जो बाइडन और एक दिन पहले उपराष्ट्रपति कमला हैरिस से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मुलाकात में यह साफ दिखाई दिया। पढ़ें यह रिपोर्ट...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Fri, 24 Sep 2021 09:25 PM (IST)Updated: Fri, 24 Sep 2021 10:07 PM (IST)
नए दौर में भारत और अमेरिका के रिश्ते, पीएम मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन से की मुलाकात
भारत और अमेरिका के रिश्ते नए दौर और ऊंचाइयों को छू रहे हैं।

वाशिंगटन, एजेंसियां। भारत और अमेरिका के रिश्ते नए दौर और ऊंचाइयों को छू रहे हैं। शुक्रवार को राष्ट्रपति जो बाइडन और एक दिन पहले उपराष्ट्रपति कमला हैरिस से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मुलाकात में यह साफ दिखाई दिया। हैरिस से मुलाकात में दोनों नेताओं ने माना कि द्विपक्षीय रिश्ते अच्छे दौर में हैं। मोदी ने जहां दोनों देशों को स्वाभाविक साझीदार करार दिया वहीं हैरिस ने दुनियाभर में लोकतंत्र पर मंडराते खतरे पर चिंता व्यक्त की। यही नहीं उन्होंने भारत और अमेरिका के साथ-साथ दुनियाभर में लोकतांत्रिक सिद्धांतों और संस्थानों की रक्षा करने की जरूरत पर बल दिया।

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इन मुद्दों पर की बात 

गुरुवार को कमला हैरिस और पीएम मोदी ने भारत-अमेरिका रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने का फैसला किया और अफगानिस्तान व हिंद प्रशांत समेत साझा हितों के मुद्दों पर चर्चा की। मुलाकात के बाद संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'भारत और अमेरिका स्वाभाविक साझीदार हैं। हमारे मूल्य और भू-राजनीतिक हित समान हैं।'

द्विपक्षीय रिश्ते अच्छे दौर में

हैरिस के साथ बैठक में मोदी ने भारत और अमेरिका को सबसे बड़ा और सबसे पुराना लोकतंत्र बताते हुए कहा कि दोनों देशों के साझा मूल्य हैं और उनके बीच समन्वय और सहयोग धीरे-धीरे बढ़ रहा है। दोनों नेताओं ने इस बात की सराहना की कि द्विपक्षीय रिश्ते अच्छे दौर में हैं।

आप कई लोगों के लिए प्रेरणास्रोत

प्रधानमंत्री ने हैरिस से कहा, 'आप दुनियाभर में कई लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। मुझे पूरा विश्वास है कि राष्ट्रपति बाइडन और आपके नेतृत्व में हमारे द्विपक्षीय रिश्ते नई ऊंचाइयों को छूएंगे।' बाद में प्रधानमंत्री ने ट्वीट कर कहा, 'हमने कई विषयों पर बात की जिनसे भारत-अमेरिका की दोस्ती और मजबूत होगी, जो साझा मूल्यों और सांस्कृतिक संबंधों पर आधारित है।'

कठिन चुनौतियों से जूझ रही धरती

पत्रकारों से वार्ता के दौरान दोनों नेता मास्क पहने रहे। बैठक के दौरान प्रधानमंत्री ने हैरिस और उनके पति डगलस एमहाफ को भारत आने का निमंत्रण दिया। मोदी ने कहा, 'राष्ट्रपति बाइडन और आपने ऐसे समय कार्यभार संभाला जब हमारी धरती बेहद कठिन चुनौतियों से जूझ रही थी। बेहद कम समय में आपने कई उपलब्धियां हासिल की हैं चाहे वह कोरोना महामारी हो या जलवायु परिवर्तन या क्वाड।'

खुले हिंद प्रशांत क्षेत्र की प्रतिबद्धता दोहराई

भारतीय विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर बताया कि दोनों नेताओं ने अफगानिस्तान समेत हालिया वैश्विक घटनाक्रमों पर विचारों का आदान-प्रदान किया और मुक्त, खुले व समावेशी हिंद प्रशांत क्षेत्र में अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने अपने-अपने देशों में कोरोना महामारी की स्थिति पर भी चर्चा की जिसमें तेजी से टीकाकरण के जरिये महामारी की रोकथाम और अहम दवाओं व स्वास्थ्य उपकरणों की आपूर्ति सुनिश्चित करना शामिल है। दोनों पक्षों ने जलवायु परिवर्तन पर एकजुट कार्रवाई की अहमियत को स्वीकार किया।

नेशनल हाइड्रोजन मिशन का उल्लेख

प्रधानमंत्री ने भारत द्वारा नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने और हाल में लांच नेशनल हाइड्रोजन मिशन का उल्लेख किया। उन्होंने पर्यावरणीय स्थायित्व को बढ़ावा देने के लिए जीवनशैली में बदलाव पर भी जोर दिया। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान अमेरिका ने एक सच्चे दोस्त की तरह साथ दिया।

हैरिस ने की भारतीयों की तारीफ  

वहीं, हैरिस ने लोकतंत्र की बात करते हुए कहा, 'मैं अपने निजी अनुभव और अपने परिवार के जरिये लोकतंत्र में भारतीय लोगों की प्रतिबद्धता के बारे में जानती हूं। हमें वो काम करने की जरूरत है ताकि हम लोकतांत्रिक सिद्धांतों और संस्थानों के लिए अपने विजन के बारे में सोच सकें और उसे साकार कर सकें।' बताते चलें कि 56 वर्षीय हैरिस की मां श्यामला गोपालन चेन्नई की एक कैंसर शोधकर्ता और नागरिक अधिकार कार्यकर्ता थीं।

सफल लोकतंत्र का प्रतिनिधित्व

लोकतंत्र पर हैरिस की टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने कहा कि उपराष्ट्रपति ने इस तथ्य की सराहना की कि दोनों देश बड़े और सफल लोकतंत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं। साथ ही हमें न सिर्फ अपने-अपने देशों में बल्कि अन्य देशों में भी लोकतंत्र को बढ़ावा देने का काम जारी रखने की जरूरत है।

एक दूसरे पर निर्भरता बढ़ी 

उन्होंने कहा, 'बातचीत के दौरान, मुझे लगता है इस बात की जमकर सराहना हुई कि हमारे दोनों लोकतंत्र कैसे काम करते हैं। और मैं कहूंगा कि वास्तविक बैठक में इसी पर चर्चा हुई।' साथ ही हैरिस ने कहा कि दुनिया आज कहीं ज्यादा आपस में जुड़ी हुई है और पहले की अपेक्षा कहीं ज्यादा एक दूसरे पर निर्भर है। हम जिन चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, वे इस तथ्य की पुष्टि करते हैं। कोरोना महामारी, जलवायु संकट और हिंद प्रशांत क्षेत्र में हमारा साझा विश्वास इसके उदाहरण हैं। 


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