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जल्द अपने लिए खाद खुद बनाएंगे पौधे, खेती के लिए क्रांतिकारी कदम

वाशिंगटन यूनिवर्सिटी के मैत्रेयी भट्टाचार्य और हिमाद्रि पाक्रासी के मुताबिक, यह खोज खेती और पौधों के स्वास्थ्य के क्षेत्र में क्रांतिकारी साबित हो सकती है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Mon, 23 Jul 2018 12:51 PM (IST)Updated: Mon, 23 Jul 2018 12:51 PM (IST)
जल्द अपने लिए खाद खुद बनाएंगे पौधे, खेती के लिए क्रांतिकारी कदम
जल्द अपने लिए खाद खुद बनाएंगे पौधे, खेती के लिए क्रांतिकारी कदम

वाशिंगटन [प्रेट्र]। जल्द ही ऐसे पौधे तैयार किए जा सकेंगे, जो अपने लिए खाद खुद बनाने में सक्षम होंगे। अमेरिका में भारतीय मूल के शोधकर्ता इस दिशा में काम कर रहे हैं। उन्होंने दावा किया है कि इसके बाद पौधे वातावरण से नाइट्रोजन लेकर अपने लिए खाद तैयार कर सकेंगे, जिसका प्रयोग क्लोरोफिल बनाने में किया जा सकेगा। क्लोरोफिल प्रकाश संश्लेषण क्रिया का एक अहम घटक है।

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अमेरिका स्थित वाशिंगटन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने एक ऐसा बैक्टीरिया तैयार किया है जो दिन में प्रकाश संश्लेषण की क्रिया का प्रयोग कर ऑक्सीजन बनाता है और रात में नाइट्रोजन का प्रयोग कर प्रकाश संश्लेषण के लिए क्लोरोफिल तैयार करता है। बता दें कि क्लोरोफिल पौधों की पत्तियों में पाया जाने वाला एक प्रोटीनयुक्त जटिल रासायनिक यौगिक होता है। इसी के कारण पत्तियों का रंग हरा होता है और प्रकाश संश्लेषण की क्रिया में यह महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

एमबायो नामक जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन में बताया गया है कि इस खोज के बाद मानव निर्मित उर्वरकों का प्रयोग आंशिक या पूर्ण रूप से बंद किया जा सकेगा। बता दें कि वर्तमान में इंसानों द्वारा तैयार किए जा रहे रासायनिक उर्वरकों की कीमत पर्यावरण को चुकानी पड़ती है। इससे पेड़-पौधों की वृद्धि में तो इजाफा होता है, लेकिन इसका अधिक प्रयोग इंसानों के स्वास्थ्य और भूमि के लिए नुकसानदेह होता है।

खेती के लिए क्रांतिकारी कदम

वाशिंगटन यूनिवर्सिटी के मैत्रेयी भट्टाचार्य और हिमाद्रि पाक्रासी के मुताबिक, यह खोज खेती और पौधों के स्वास्थ्य के क्षेत्र में क्रांतिकारी साबित हो सकती है। वर्तमान में खाद तैयार करने के लिए ऊर्जा की आवश्यकता पड़ती है और इसे बनाने की प्रक्रिया में ग्रीनहाउस गैसें निकलती हैं, जो जलवायु परिवर्तन के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार हैं।

मानव निर्मित खाद में परेशानी

पौधों को उपलब्ध कराई जाने वाली मानव निर्मित खाद के और भी कई नुकसान हैं। जैसे बारिश होने, तेज हवा चलने या नदी के तेज बहाव के कारण ये उर्वरक बह जाते हैं। वहीं, इनके अधिक इस्तेमाल से जमीन के अंदर रहने वाले जीव-जंतुओं को भी नुकसान पहुंचता है।

विकल्प है मौजूद

शोधकर्ताओं के मुताबिक, इन समस्याओं से बचने का विकल्प हमारे चारों ओर मौजूद है। पृथ्वी के वातावरण में 78 फीसद नाइट्रोजन पाई जाती है। इसके बावजूद हमें कृत्रिम रूप से पौधों को नाइट्रोजन पहुंचानी पड़ती है। इसी परेशानी को दूर करने के लिए हम प्रयास कर रहे हैं। हमने ऐसा बैक्टीरिया तलाश कर लिया है जो पौधों के लिए नाइट्रोजन तैयार कर सकेगा। इसके बाद इन्हें बाहर से खाद देने की जरूरत नहीं पड़ेगी।

क्यों जरूरी है खाद

पौधें को खाद देने का मतलब उन्हें नाइट्रोजन उपलब्ध करवाना है। इस नाइट्रोजन का प्रयोग पौधे क्लोरोफिल बनाने में करते हैं, जिसके बिना प्रकाश संश्लेषण की क्रिया संभव नहीं है। सरल शब्दों में कहें तो पौधे अपना खाना तैयार कर सकें, इसके लिए नाइट्रोजन जरूरी है। इसे ही पौधों तक पहुंचाने के लिए खाद या उर्वरकों का प्रयोग किया जाता है। अहम बात यह है कि मानव निर्मित उर्वरकों से केवल 40 फीसद नाइट्रोजन ही पौधों तक पहुंच पाती है। इन उर्वकरों का ज्यादा इस्तेमाल कई तरह से नुकसानदेह साबित होता है, इसलिए इसका सीमित मात्रा में प्रयोग करने के लिए किसानों को जागरूक किया जाता है।  


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