व्यक्ति की गरीबी व सामाजिक स्तर के कारण होता है मनुष्य के जीन पर प्रभाव
अमेरिका की नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी ने लगाया पता सामाजिक स्तर के कारण जीन में कई बदलाव होते हैं। शिक्षा और आय का निम्न स्तर कई तरह की बीमारियों का कारण बनता है।
वाशिंगटन, पीटीआइ। गरीबी और निम्न सामाजिक स्तर से व्यक्ति की सेहत पर ही नहीं बल्कि उसके जीन पर भी असर पड़ता है। हालिया अध्ययन में निम्न सामाजिक-आर्थिक स्तर का संबंध 1,500 से ज्यादा जीन में होने वाले बदलाव से पाया गया है।
वैज्ञानिकों का कहना है कि शिक्षा और आय का निम्न स्तर दिल से जुड़ी बीमारियों, डायबिटीज, कई तरह के कैंसर और संक्रमण वाली बीमारियों का कारण बनता है। इसी तरह शरीर की कई अन्य परेशानियों व अनियमितताओं का संबंध भी गरीबी और निम्न सामाजिक स्तर से होता है। अब अमेरिका की नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने इस बात का प्रमाण जुटाया है कि गरीबी व्यक्ति के जीनोम में भी बड़ा बदलाव कर देती है। वैज्ञानिकों ने पाया कि निम्न सामाजिक-आर्थिक स्थिति का संबंध डीएनए मिथाइलेशन के स्तर से होता है।
डीएनए मिथाइलेशन में 1,500 से ज्यादा जीन की गतिविधियों को प्रभावित करने की क्षमता होती है। प्रोफेसर थॉमस मैकडेड ने कहा, ‘हम पहले से यह जानते हैं कि निम्न सामाजिक-आर्थिक स्तर से सेहत पर असर पड़ता है। लेकिन यह पता नहीं था कि वह व्यवस्था कौन सी है, जिसके जरिये शरीर गरीबी से जुड़े अनुभवों को याद रखता है।’
वैज्ञानिकों का कहना है कि विकास के क्रम में शरीर अपने अनुभवों को जीनोम में संरक्षित कर लेता है। इनमें से बहुत से जीन हैं जो संक्रमण के प्रति इम्यून सिस्टम की प्रतिक्रिया, शरीर व नर्वस सिस्टम के विकास से जुड़े हैं। वैज्ञानिकों ने सामाजिक-आर्थिक स्थिति से जीन पर पड़ने वाले प्रभाव और व्यक्ति के जीवन पर इससे होने वाले असर को बेहतर तरीके से जानने के लिए और शोध की जरूरत पर बल दिया है।