हिंद-प्रशांत क्षेत्र में उथल-पुथल बढ़ाने के लिए पड़ोसियों को उकसा रहा चीन: पेंटागन
पेंटागन का दावा- अमेरिका को दरकिनार करते हुए चीन हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अपना प्रभुत्व बढ़ाने में जुटा है।
वॉशिंगटन (प्रेट्र)। हिंद-प्रशांत क्षेत्र में उथल-पुथल मचाने के लिए चीन अपने पड़ोसी देशों को मजबूर कर रहा है। पेंटागन ने यह दावा किया है। इस साल 1 अक्टूबर से शुरू होने वाले वित्तीय वर्ष 2019 के लिए अपने सालाना बजट प्रस्तावों में पेंटागन ने अमेरिकी संसद को यह जानकारी दी है।
चीन की उकसाने वाली राजनीति!
पेंटागन ने अपना सालाना बजट प्रस्ताव में कहा, 'चीन ने अपने प्रभाव, सैन्य आधुनिकीकरण और हिंसक अर्थशास्त्र के जरिये पड़ोसी देशों को मजबूर किया कि वे भारत-प्रशांत क्षेत्र में उथल-पुथल मचाए, जिसका चीन फायदा उठा सके।' पेंटागन ने कहा, चीन अपनी आर्थिक और सैन्य उन्नति को जारी रखे है और एक राष्ट्रव्यापी दीर्घकालिक रणनीति के तहत भविष्य में अमेरिका को दरकिनार करते हुए हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अपना प्रभुत्व बढ़ाने में जुटा है।' रिपोर्ट में कहा गया है कि इस रक्षा रणनीति का सबसे दूरगामी उद्देश्य पारदर्शिता और गैर-आक्रमण के रास्ते पर अमेरिका और चीन के बीच सैन्य संबंध स्थापित करना है।
अमेरिका को समझनी होगी चीन की चाल
पेंटागन की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन की इस चाल को नाकाम करने के लिए अमेरिका को इन परिस्थितियों से लड़ना होगा। अमेरिकी को सुपरपावर बने रहने के लिए अपनी नीतियों पर पुनर्विचार करने की जरूरत है। साथ ही उसे राष्ट्रीय सुरक्षा को नए सिरे से गढ़ना होगा। पेंटागन की रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि चीन और रूस मिलकर अपने सत्ताधारी मॉडल के जरिए दुनिया में काम करना चाहते हैं। जिससे दुनिया की कूटनीति, आर्थिक नीति और सुरक्षा पर उनका असर दिखाई दे।
पेंटागन ने कहा, रूस ने उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन को तोड़ने और इसके पक्ष में यूरोपीय और मध्य पूर्व सुरक्षा और आर्थिक ढांचे को बदलने के लिए अपनी सरकारी, आर्थिक और कूटनीतिक फैसलों के संदर्भ में राष्ट्रों पर वीटो प्राधिकरणों चाहता है। जिस तरह से जॉर्जिया, क्रीमिया और पूर्वी यूक्रेन में आधुनिक तकनीक का उपयोग किया जा रहा है, उससे अमेरिका परेशान हो रहा है। इस क्षेत्र में परमाणु हथियारों की होड़ लगातार बढ़ रही है, जिससे जनसुरक्षा पर खतरा बढ़ गया है। पेंटागन के मुताबिक, ईरान और उत्तर कोरिया जैसे तानाशाही शासन वाले देशों के पास भी परमाणु हथियार हैं और इन क्षेत्रों में आतंकवाद को भी प्रायोजित किया जा रहा है।
अपना दबदबा बनाने के लिए उत्तर कोरिया परमाणु, दैविक, रासायनिक, और पारंपारिक हथियारों का इस्तेमाल कर रहा है। इसके साथ ही वह बैलिस्टिक मिसाइल तकनीक को भी बढ़ावा जे रहा है। इसका इस्तेमाल दक्षिण कोरिया, जापान और अमेरिका पर दबाव बनाने के लिए किया जा रहा है, जिसका असर इनकी सुरक्षा पर पड़ेगा। वहीं मध्य-पूर्व में ईरान एक ऐसा देश बनकर उभर रहा है जो अपने पड़ोसी देशों से प्रतिस्पर्धा के चलते क्षेत्र में अस्थिरता बढ़ा रहा है।
बजट प्रस्तावों के मुताबिक, प्रतिद्वंद्वी राज्यों विशेष रूप से चीन और रूस ने सुरक्षा के सैन्य तकनीकी लाभों को कम कर दिया है, जिससे अमेरिका में भविष्य में लड़ने के लिए नए तरीके तलाशने पर मजबूर कर दिया है। चीन अब एक रणनीतिक प्रतिद्वंद्वी है, जो हिंसक अर्थशास्त्र का उपयोग करके अपने पड़ोसियों को धमका रहा है और दक्षिण चीन सागर में अपना दावा ठोक रहा है। पेंटागन ने कहा, जबकि रूस ने आस-पास के देशों की सीमाओं का उल्लंघन किया है, और पड़ोसी देशों के आर्थिक, राजनयिक और सुरक्षा निर्णयों पर वीटो शक्ति का इस्तेमाल किया है। साथ संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों के बावजूद उत्तर कोरिया अपनी बयानबाजी और मिसाइल परीक्षण से बाज नहीं आ रहा है।