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अब अमेरिका में पेगासस के जरिये जासूसी का मामला आया सामने, विदेश सेवा के 11 अफसरों के फोन हैक

अमेरिका के विदेश मंत्रालय के 11 अधिकारियों के मोबाइल फोन हैक किए जाने की सूचना है। पता चला है कि ये फोन इजरायल के एनएसओ ग्रुप के चर्चित पेगासस साफ्टवेयर का इस्तेमाल कर हैक किए गए। भारत सहित कई देशों में पेगासस से खुफियागीरी किए जाने की चर्चा है।

By TaniskEdited By: Published: Sat, 04 Dec 2021 07:31 PM (IST)Updated: Sat, 04 Dec 2021 07:31 PM (IST)
अब अमेरिका में पेगासस के जरिये जासूसी का मामला आया सामने, विदेश सेवा के 11 अफसरों के फोन हैक
अब अमेरिका में पेगासस के जरिये जासूसी का मामला आया सामने।

वाशिंगटन, एपी। अमेरिका के विदेश मंत्रालय के 11 अधिकारियों के मोबाइल फोन हैक किए जाने की सूचना है। पता चला है कि ये फोन इजरायल के एनएसओ ग्रुप के चर्चित पेगासस साफ्टवेयर का इस्तेमाल कर हैक किए गए। उल्लेखनीय है कि भारत सहित कई देशों में पेगासस का इस्तेमाल कर खुफियागीरी किए जाने की चर्चा है। जिन अमेरिकी अधिकारियों के फोन हैक करके उनकी बातचीत और चैट को सुना-देखा गया, वे सभी यूगांडा में तैनात हैं। हैकिंग के शिकार हुए अधिकारियों में कई अमेरिकी विदेश सेवा के अधिकारी हैं।

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जिस व्यक्ति ने फोन हैक होने की जानकारी दी है, वह अमेरिकी विदेश मंत्रालय से जुड़ा हुआ है लेकिन उसे सूचनाएं सार्वजनिक करने का अधिकार नहीं है। इजरायली कंपनी के पेगासस स्पाइवेयर का अमेरिकी नागरिक के खिलाफ इस्तेमाल का यह पहला मामला है। अभी यह पता नहीं चला है कि इस हैकिंग के पीछे कौन है और उसे किस तरह की सूचनाओं की तलाश थी।

व्हाइट हाउस की प्रेस सेक्रेटरी जेन साकी ने कहा, हमारे लिए यह गंभीर चिंता का विषय है कि निजी क्षेत्र की कंपनी एनएसओ के बेचे गए साफ्टवेयर अमेरिकी लोगों की खुफियागीरी के लिए इस्तेमाल हो रहे हैं। यह हमारी सुरक्षा के लिए खतरनाक है। करीब एक महीने पहले हैकिंग के इस मामले की जानकारी अमेरिकी एजेंसियों को हुई। इसी के बाद अमेरिका के वाणिज्य मंत्रालय ने एनएसओ को काली सूची में डाल दिया था। कंपनी के अमेरिकी तकनीक के इस्तेमाल पर रोक लगा दी गई थी। इसी के साथ एपल ने अपने आइफोन हैक कराने के लिए एनएसओ ग्रुप पर मुकदमा कर दिया।

एनएसओ ग्रुप ने कहा है कि वह अपने साफ्टवेयर केवल पंजीकृत ग्राहकों और सरकारों को ही बेचता है। उसे नहीं पता कि अमेरिकी अधिकारियों के फोन कौन सुन-देख रहा था। कंपनी के पास ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है जिसमें वह जान सके कि खरीदे गए साफ्टवेयर का किसके खिलाफ इस्तेमाल हो रहा है।


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