ध्यान दें! आपका सिगरेट पीना अापके बच्चों के लिए हो सकता है बेहद खतरनाक
माता-पिता के धूमपान से उनके बच्चों में फेफड़ों का रोग होने का खतरा हो सकता है। ऐसे बच्चों को जिंदगी में आगे चलकर सीओपीडी का सामना करना पड़ सकता है।
नई दिल्ली [आइएएनएस]। क्या आप ज्यादा सिगरेट पीते हैं? तो सावधान हो जाएं। इस लत से ना सिर्फ खुद की जिंदगी बल्कि आपके बच्चों को भी नुकसान पहुंच सकता है। एक अध्ययन में आगाह किया गया है कि माता-पिता के धूमपान से उनके बच्चों में फेफड़ों का रोग होने का खतरा हो सकता है। ऐसे बच्चों को जिंदगी में आगे चलकर क्रोनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) का सामना करना पड़ सकता है।
अमेरिकी शोधकर्ताओं के अनुसार, धूमपान के माहौल में बचपन गुजारने वाले लोगों में सीओपीडी के चलते मौत का खतरा 31 फीसद ज्यादा पाया गया। जबकि ऐसे माहौल में रहने वाले वयस्कों में इस बीमारी के चलते असमय मौत का खतरा नौ फीसद अधिक पाया गया। अमेरिकन कैंसर सोसाइटी के शोधकर्ता डब्ल्यू रियान डाइवर ने कहा, ‘यह पहला अध्ययन है जिसमें बचपन में दूसरों के धूमपान के असर और अधेड़ावस्था में सीओपीडी के चलते असमय मौत के बीच संबंध की पहचान की गई।’
ब्रॉन्कोस्कोपी : आसानी से पता चल सकता है फेफड़ों के रोगों का
फेफड़ों की जांच करने का एक आसान परीक्षण है। इस प्रक्रिया में एक छोटी ट्यूब नाक या मुंह द्वारा आपके फेफड़ों में डाली जाती है। यह परीक्षण फेफड़ों की बीमारी की जांच करने या बलगम हटाने के लिए किया जाता है। इसमें टिश्यू का एक छोटा टुकड़ा निकालकर उसकी प्रयोगशाला में जांच की जाती है। इसे दूसरी भाषा में बायोप्सी भी कहते हैं। ब्रॉन्कोस्कोपी होने में कम से कम 30 से 60 मिनट तक का समय लगता है। ब्रॉन्कोस्कोपी के बाद कम से कम एक से तीन घंटे तक व्यक्ति को रिकवरी रूम में ही रहना पड़ता है।
ब्रॉन्कोस्कोपी का प्रयोग
सांस नली की समस्याएं जैसे सांस लेने में तकलीफ या पुरानी पड़ चुकी खांसी का पता लगाने के लिए ब्रॉन्कोस्कोपी का प्रयोग किया जाता है। यदि एक्स-रे या सीटी स्कैन के द्वारा, छाती, लिम्फनोड या फेफड़ों में कोई तकलीफ पाई गई हो, तो उन जगहों से जांच के लिए बलगम या टिश्यूज के सैंपल निकालने के लिए भी ब्रॉन्कोस्कोपी का प्रयोग किया जाता है।
फेफड़ों में हुए नुकसान को ठीक करेगा टमाटर
धूमपान इंसानों के लिए बेहद घातक है। खासकर फेफड़ों के लिए। रोजाना धूमपान से फेफड़ों की कार्यक्षमता गिरती जाती है। वहीं, वर्तमान में वायु प्रदूषण जिस स्तर पर पहुंच चुका है उससे भी हमारे फेफड़ों को नुकसान पहुंच रहा है। एक नए शोध में इससे उबरने की बात सामने आई है। शोध में बताया गया है कि फेफड़ों को धूमपान से पहुंचे नुकसान से ठीक किया जा सकता है।
शोधकर्ताओं का दावा है कि टमाटर से भरपूर आहार और फल खासतौर से सेब के सेवन से फेफड़ों को फिर से दुरुस्त किया जा सकता है। अमेरिका के जॉन्स हॉपकिंस ब्लूमबर्ग स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के शोधकर्ताओं ने पाया कि जो लोग रोजाना औसतन दो से ज्यादा टमाटर और ताजे फलों का सेवन करते हैं उनके फेफड़ों की कार्यक्षमता में हो रही गिरावट में कमी आती है। शोधकर्ताओं के मुताबिक, इससे 10 वर्ष तक धूमपान से फेफड़ों को पहुंचे नुकसान को ठीक किया जा सकता है।