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तालिबान को पूरा समर्थन और सहायता दे रहा था पाकिस्तान, गनी ने बाइडन को काफी पहले दी थी जानकारी

अफगानिस्तान के खिलाफ लड़ाई में तालिबान अकेले नहीं था। अफगानिस्तान की सेना के खिलाफ योजना बनाने से लेकर साजो सामान पहुंचाने तक में पाकिस्तान उसकी पूरी मदद कर रहा था। अफगानिस्तान के अपदस्थ राष्ट्रपति अशरफ गनी भी यह बात अच्छी तरह जानते थे।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Wed, 01 Sep 2021 08:18 PM (IST)Updated: Wed, 01 Sep 2021 08:34 PM (IST)
तालिबान को पूरा समर्थन और सहायता दे रहा था पाकिस्तान, गनी ने बाइडन को काफी पहले दी थी जानकारी
अफगानिस्तान के खिलाफ लड़ाई में पाकिस्तान तालिबान की पूरी मदद कर रहा था।

वाशिंगटन, रायटर। अफगानिस्तान के खिलाफ लड़ाई में तालिबान अकेले नहीं था। अफगानिस्तान की सेना के खिलाफ योजना बनाने से लेकर साजो सामान पहुंचाने तक में पाकिस्तान उसकी पूरी मदद कर रहा था। अफगानिस्तान के अपदस्थ राष्ट्रपति अशरफ गनी भी यह बात अच्छी तरह जानते थे। उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन को भी टेलीफोन पर 23 जुलाई को हुई आखिरी बातचीत में पाकिस्तान की इस हरकत की पूरी जानकारी दी थी।

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14 मिनट तक चली थी वार्ता

बाइडन और गनी के बीच 14 मिनट तक चली इस बातचीत में अफगानिस्तान से जुड़े विभिन्न मुद्दे पर चर्चा हुई थी। बाइडन ने गनी से तालिबान के खिलाफ लड़ाई की नई रणनीति बनाने और उसे लागू करने की जिम्मेदारी तत्कालीन रक्षा मंत्री बिस्मिल्लाह खान मोहम्मदी को देने को कहा था।

गनी ने पहले ही किया था आगाह

रायटर को इस बातचीत की ट्रांसक्रिप्ट और रिकार्डिग मिली है। इसके मुताबिक गनी कहते हैं कि हम तालिबान के बड़े हमले का सामना कर रहे हैं। इसमें पाकिस्तान योजना बनाने से लेकर सामग्री पहुंचाने तक में तालिबान का साथ दे रहा है। तालिबान के साथ मिलकर 10-15 हजार विदेशी आतंकी भी लड़ रहे हैं, जिनमें ज्यादातर पाकिस्तानी है। इसको भी ध्यान में लिए जाने की जरूरत है।

गनी ने वायु सेना की मांगी थी मदद

गनी राष्ट्रपति बाइडन से तालिबान के खिलाफ लड़ाई में हमें आपकी वायुसेना के समर्थन की जरूरत है। वायु सेना का साथ मिलने से हमारे सैनिक आगे जाकर लड़ सकेंगे। गनी अन्य मदद की बात करते हैं और उदाहरण देते हुए कहते हैं कि पिछले एक दशक से सैनिकों के वेतन में वृद्धि नहीं हुई है। अगर उनसे इस मामले कुछ मदद मिल जाए तो सभी लोगों को साथ लेकर चलने में आसानी हो सकती है।

अमेरिका ने नहीं की मदद

गनी बाइडन से इस पर बातचीत करने के लिए अपने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार या किसी अन्य व्यक्ति को जिम्मेदारी देने का अनुरोध करते हैं। गनी तालिबान और अमेरिका के बीच हुए समझौते की भी चर्चा करते हैं और कहते हैं कि शायद इसी की वजह से अमेरिकी सेना तालिबान के खिलाफ हमला करने में बेहद सावधानी बरत रही है।

तालिबान के अड़े होने की बात भी बताई थी

गनी कहते हैं कि उनकी अब्दुल्ला (अफगानिस्तान सुलह परिषद के प्रमुख अब्दुल्ला अब्दुल्ला) से बात हुई है। अब्दुल्ला ने तालिबान के साथ बातचीत की है। तालिबान थोड़ा भी झुकने को तैयार नहीं है। ऐसी स्थिति में हम तभी शांति स्थापित कर सकते हैं जब हमारी सैन्य ताकत संतुलित हो।

शहरों में तालिबान के विरोध का किया था जिक्र

गनी बताते हैं कि शहरों में तालिबान का अभूतपूर्व विरोध हो रहा है। कुछ शहरों की तालिबान ने 55 दिनों तक घेरेबंदी की, तब भी वहां के लोगों ने उसके सामने सरेंडर नहीं किया। बाइडन का आभार जताते हुए गनी कहते हैं कि वह सदैव उनसे बस एक फोन काल की दूरी पर हैं। वह एक मित्र के नाते ऐसा कह रहे हैं इसलिए वह (बाइडन) ऐसा नहीं सोचें कि उन्हें फोन कर वह कोई दबाव डाल रहे हैं। गनी का आभार जताते हुए बाइडन कहते हैं कि वायु समर्थन तभी काम करेगा जब जमीन पर उसका साथ देने के लिए कारगर सैन्य रणनीति हो। 


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