US में बोले विदेश मंत्री- आतंकवाद को हथियार के रूप में इस्तेमाल करता है पाक, नहीं कर सकते भरोसा
विदेश मंत्री ने कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर बुनियादी मुद्दा नहीं है। यह हमारे बीच के कई मुद्दों का एक हिस्सा है।
न्यूयॉर्क, एजेंसियां। पाकिस्तान पर हमला बोलते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर (S Jaishankar) ने कहा कि भारत अपने 'बेहद कुटिल' पड़ोसी से बात नहीं कर सकता। पाकिस्तान (Pakistan) बातचीत का भारत पर दबाव बनाने के लिए आतंकवाद को एक कानूनी हथियार के रूप में इस्तेमाल करता है और हकीकत से रूबरू कराने पर भी उससे मुकर जाने की नीति पर अमल करता है।
जयशंकर बुधवार को यहां थिंक टैंक 'काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशंस' (Council on Foreign Relations ) के एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा, 'भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर बुनियादी मुद्दा नहीं है। यह हमारे बीच के कई मुद्दों का एक हिस्सा है।'
विदेश मंत्री ने कहा, 'निश्चित ही हर कोई अपने पड़ोसी से बात करना चाहता है। मुद्दा यह है कि मैं एक ऐसे देश से बात कैसे कर सकता हूं जो आतंकवाद फैलाता है और साफ-साफ कहा जाए तो हकीकत से रूबरू कराने पर उससे इन्कार करने की नीति अपनाता है।'
पाकिस्तान से रची जा रही साजिश
सीमापार से रची साजिश और वहीं से भारत में अंजाम दिए गए आतंकी हमलों का जिक्र करते हुए जयशंकर ने कहा कि मुंबई जहां नवंबर 2008 में हमला हुआ था, वह कश्मीर से महज कुछ हजार मील ही दूर है। दोनों देशों के क्रिकेट संबंध पर उन्होंने उरी, पठानकोट और पुलवामा का हवाला देते हुए कहा, 'यदि किसी संबंध पर आतंकवाद, आत्मघाती हमले, हिंसा का विमर्श हावी हो और फिर आप कहें, 'अच्छा चलिए, अब साथ में चाय पीते हैं, चलो क्रिकेट खेलते हैं।'
पांच अगस्त से पहले कश्मीर में बहुत गड़बड़ थी
जयशंकर ने कहा कि पांच अगस्त से पहले जम्मू-कश्मीर में बहुत गड़बड़ थी, जिसे दूर करने के लिए अनुच्छेद 370 खत्म करने का फैसला किया गया। उन्होंने कहा कि सरकार के सामने दो विकल्प थे। पहला यह कि कश्मीर में पिछले 70 सालों से जो चला रहा था उसी पर आगे बढ़ना और दूसरा सबकुछ ठीक करने के लिए कुछ अलग निर्णय करना। जो चला आ रहा था उसका कोई लाभ नहीं नजर आ रहा था। इसलिए बदलाव के लिए दूसरा विकल्प चुना गया। हम मानते हैं कि यह आसान काम नहीं है।
भारत में धर्मनिरपेक्षता खतरे में नहीं
विदेश मंत्री ने कहा कि भारत में धर्मनिरपेक्षता को कोई खतरा नहीं है और इसे सामाजिक लोकाचार से बढ़ावा मिलता है। उन्होंने कहा कि अगर समाज का लोकाचार धर्मनिरपेक्ष नहीं है तो कानून की धाराएं उसे धर्मनिरपेक्ष नहीं बना सकती। मेरा मानना है कि भारत का लोकाचार, खासकर हिंदुओं का लोकाचार धर्मनिरपेक्ष और बहुलवादी है।
भारत-अमेरिका रणनीतिक संबंधों की यह शुरुआत है
एक सवाल पर जयशंकर ने कहा कि भारत और अमेरिका के रणनीतिक संबंधों में बदलाव की शुरुआत हुई है। दोनों देश अपने रणनीतिक संबंधों को बहुत अधिक मजबूत बना सकते हैं। उन्होंने कहा कि दोनों के संबंधों में रचनात्मक बदलाव हुआ है। ज्ञान आधारित प्रौद्योगिकी और अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में दोनों देशों के संबंधों में बहुत ज्यादा प्रगति हुई है।
भारत चीन और यूरोप की नकल नहीं कर सकता
विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि भारत चीन और यूरोप की नकल नहीं कर सकता। उसे अपने विकास के मार्ग खुद बनाने होंगे। उन्होंने उम्मीद जताई कि अगले पांच साल में भारत में मानव विकास सूचकांक में बहुत ही बदलाव देखने को मिलेगा। स्वास्थ्य सेवाओं, आवास और साक्षरता के क्षेत्र में व्यापक बदलाव आएगा। उन्होंने कहा कि पिछले पांच वर्षो में भारत में व्यापक सामाजिक-आर्थिक बदलाव आए हैं।
चीनी विदेश मंत्री से मिले जयशंकर
संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक से इतर जयशंकर ने अपने चीनी समकक्ष वांग यी से मुलाकात की। विदेश मंत्री ने ट्वीट किया, 'चीन के विदेश मंत्री वांग यी से मिला। हमारे संबंधों की समीक्षा के लिए मुलाकात सार्थक रही।' जयशंकर ने अल्बानिया, ऑस्ट्रेलिया, चेक गणराज्य, उक्रेन, इटली और बेलारूस के विदेशमंत्रियों से भी मुलाकात की और द्विपक्षी संबंधों पर चर्चा की।