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ईशनिंदा के आरोपियों को रिहा करे पाकिस्तान : विदेश मंत्री पोंपियो

पोंपियो ने कहा कि 40 से अधिक और ऐसे लोग हैं जो ईशनिंदा कानून के तहत या तो उम्रकैद की सजा भुगत रहे हैं या उन्हें फांसी की सजा सुनाई गई है। हम इन लोगों की रिहाई की मांग जारी रखेंगे।

By Nitin AroraEdited By: Published: Sat, 22 Jun 2019 09:30 PM (IST)Updated: Sat, 22 Jun 2019 09:30 PM (IST)
ईशनिंदा के आरोपियों को रिहा करे पाकिस्तान : विदेश मंत्री पोंपियो
ईशनिंदा के आरोपियों को रिहा करे पाकिस्तान : विदेश मंत्री पोंपियो

वाशिंगटन, प्रेट्र। अमेरिका ने पाकिस्तान से ईशनिंदा मामले में जेल में बंद धार्मिक अल्पसंख्यक समुदाय के 40 से अधिक लोगों को रिहा करने को कहा है। साथ ही देश में विभिन्न धार्मिक स्वतंत्रता संबंधी चिंताओं को दूर करने के लिए एक दूत नियुक्त करने की मांग की है।

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अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर वार्षिक रिपोर्ट जारी करते हुए विदेश मंत्री माइक पोंपियो ने आसिया बीबी की रिहाई के मामले का जिक्र किया। आसिया को ईशनिंदा के एक मामले में मौत की सजा सुनाई गई थी, लेकिन बाद में पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया था।

पोंपियो ने कहा, '40 से अधिक और ऐसे लोग हैं जो ईशनिंदा कानून के तहत या तो उम्रकैद की सजा भुगत रहे हैं या उन्हें फांसी की सजा सुनाई गई है। हम इन लोगों की रिहाई की मांग जारी रखेंगे। इतना ही नहीं हम धार्मिक स्वतंत्रता संबंधी चिंताओं को दूर करने के लिए एक दूत की नियुक्ति के बारे में भी सरकार से मांग करेंगे।'

बता दें कि पाकिस्तान को पिछले साल अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता की विशेष निगरानी सूची की श्रेणी में रखा गया था। इसकी मुख्य वजह देश में धार्मिक स्वतंत्रता में गिरावट थी। इस साल की शुरुआत में उसे विशेष चिंताओं वाले देशों की सूची में डाला गया।

अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता के विशेष दूत सैम ब्राउनबैक ने कहा, 'आज जो रिपोर्ट हम जारी कर रहे हैं, इसके बाद हम इस रिपोर्ट से अलग प्रतिबद्धताएं तय करेंगे। लेकिन हम इन्हें विशेष निगरानी सूची में रख रहे हैं।' उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में विभिन्न धार्मिक समुदायों को नुकसान पहुंचाया गया है।

विदेश मंत्रालय की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, ईशनिंदा के आरोप में कम से कम 77 लोग को जेल में थे। इनमें से कम से कम 28 को मौत की सजा मिली थी। हालांकि सरकार ने किसी को भी ईशनिंदा के लिए विशेष रूप से कभी भी फांसी नहीं दी।

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