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अमेरिका की नीति के चलते 52 भारतीय समेत 123 लोग मुसीबत में, पड़े जान के लाले

अमेरिका की नई आव्रजन नीति के फेर में करीब 123 लोग हिरासत में लिए गए हैं। इनमें करीब 52 भारतीय भी फंस गए हैं।

By Vikas JangraEdited By: Published: Wed, 20 Jun 2018 02:14 AM (IST)Updated: Wed, 20 Jun 2018 07:51 AM (IST)
अमेरिका की नीति के चलते 52 भारतीय समेत 123 लोग मुसीबत में, पड़े जान के लाले
अमेरिका की नीति के चलते 52 भारतीय समेत 123 लोग मुसीबत में, पड़े जान के लाले

वाशिंगटन [प्रेट्र]। बेहतर जीवन की तलाश में अमेरिका पहुंचे 52 भारतीयों समेत 123 अप्रवासी ट्रंप प्रशासन की नई आव्रजन नीति के फेर में फंस गए हैं। इन्हें हिरासत में ले लिया गया है। इनमें ज्यादातर दक्षिण एशियाई बताए जा रहे हैं। अमेरिकी मीडिया के अनुसार, 123 अप्रवासियों को ओरेगन प्रांत के यमहिल काउंटी की शेरिडान जेल में रखा गया है।

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वकील वैलेरी कौर ने ट्वीट कर बताया है कि पकड़े गए 123 अप्रवासियों में करीब 70 दक्षिण एशियाई हैं। इनमें से 52 भारतीय, 13 नेपाली और दो बांग्लादेशी हैं। जबकि एनजीओ एशिया पैसिफिक अमेरिकन नेटवर्क ऑफ ओरेगन ने कहा कि इन बंदियों को अलग रखा गया है। इन्हें दुभाषिए की सीमित सुविधा मुहैया कराई गई है। जेल की मौजूदा व्यवस्था में इनके उत्पीड़न का भी खतरा है।

खबरों के अनुसार, दक्षिण एशियाई बंदियों में कई हिंदी और पंजाबी बोलने वाले हैं। जबकि कई की पहचान चीनी नागरिक के तौर पर की गई है। बंदियों में से कई ने खुद की पहचान सिख या ईसाई के तौर पर जाहिर की है। बता दें कि अमेरिका की नई आव्रजन नीति के कारण 19 अप्रैल से 31 मई के बीच करीब दो हजार से ज्यादा अप्रवासी बच्चे अपने परिवार से बिछड़ गए हैं।

मांगी अमेरिका में शरण
अमेरिकी डेमोक्रेटिक सांसदों के एक दल ने हाल में शेरिडान जेल का दौरा किया। उन्होंने बताया कि हिरासत में लिए गए अप्रवासियों ने अमेरिका से शरण देने की मांग की है। एक सांसद सुजैन बोनामिसि ने बताया, 'पंजाबी दुभाषिए के जरिये हमें पता चला कि ये लोग शरण मांगने की योजना बना रहे हैं क्योंकि भारत में उन्हें भयंकर धार्मिक अत्याचारों का सामना करना पड़ा। ज्यादातर सिख या ईसाई हैं। उन्होंने बताया कि वे धार्मिक आजादी के लिए अमेरिका आए थे, लेकिन अब उन्हें लगता है कि वे पागल हो जाएंगे क्योंकि उन्हें दिन में 22 घंटों तक छोटी कोठरियों में रखा जा रहा है।'

विरोध में सांसद
सांसद अर्ल ब्लूमनॉयर ने कहा, 'अमेरिकी इतिहास में यह शर्म का लम्हा है। मुझे इस बात की कोई परवाह नहीं है कि इमीग्रेशन पर आपका क्या रुख है, लेकिन कोई भी माता-पिता की बांहों से बच्चों को अलग करने का समर्थन नहीं करेगा।'

मेलानिया भी कर चुकी हैं विरोध
अमेरिका में नई आव्रजन नीति का विरोध बढ़ता जा रहा है। अमेरिका की फ‌र्स्ट लेडी मेलानिया ट्रंप भी विरोध कर चुकी हैं। जबकि संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग के प्रमुख जेड राड अल हुसैन इसे अनैतिक करार देते हुए इस नीति को खत्म करने की अपील की है।

क्या है नई आव्रजन नीति
ट्रंप सरकार ने अवैध रूप से सीमा पार करने वालों को लेकर नियमों में बदलाव किया है। इसके चलते वयस्कों को सीधे हिरासत में लिया जा रहा है। नतीजन, बच्चे अपने परिवार से दूर होने को मजबूर हो गए हैं। जबकि पुराने नियम के अनुसार पहली बार सीमा पार करने वालों पर साधारण अपराध का मुकदमा दर्ज किया जाता था।


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