अनुमान से कहीं अधिक तेजी से गर्म हो रहे समुद्र, 30 सेंटीमीटर तक बढ़ सकता है जल स्तर
ग्रीनहाउस गैसों के कारण पैदा होने वाली गर्मी से समुद्री तापमान पहले के अनुमान से कहीं अधिक तेजी से बढ़ रहा है।
लॉस एंजिलिस। ग्रीनहाउस गैसों के कारण पैदा होने वाली गर्मी से समुद्री तापमान पहले के अनुमान से कहीं अधिक तेजी से बढ़ रहा है। एक हालिया अध्ययन में यह इंगित किया गया है कि आज से करीब डेढ़ दशक पहले इस संबंध में जो समझा गया था उससे कहीं अधिक तेजी से ग्लोबल वॉर्मिग की समस्या के साक्ष्य सामने आए हैं। अमेरिका की कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता जेक हॉजफादर कहते हैं, ‘यदि आप यह देखना चाहते हैं कि ग्लोबल वॉर्मिग की समस्या कहां पैदा हो रही है तो आप समुद्रों के पास जाकर इसे स्पष्ट तौर पर देख सकते हैं।’ इस समस्या के बारे में हॉजफादर बताते हैं, ‘ओसेन हीटिंग यानी समुद्री तापमान का बढ़ना क्लाइमेट चेंज का एक महत्वपूर्ण सूचक है और हमारे पास इस बात के पुख्ता प्रमाण हैं कि पहले इस बारे में जितना समझा गया था उससे कहीं अधिक तेजी से यह बढ़ रहा है।’
उल्लेखनीय है कि धरती के सतह के तापमान की भांति समुद्र का तापमान वर्ष-दर-वर्ष होने वाले अल-नीनो या ज्वालामुखी विस्फोटों जैसे विविध कारणों सरीखी घटनाओं से ज्यादा प्रभावित नहीं होता है। प्रसिद्ध पत्रिका ‘साइंस’ में प्रकाशित इस नए विश्लेषण में यह दर्शाया गया है कि समुद्र के तापमान के बढ़ने की प्रवृत्ति में इसके लिए तय किए गए मानक से अधिक की तेजी दर्ज की गई है। इस संबंध में शोधकर्ताओं का कहना है कि यदि दुनिया भर में होने वाले ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में व्यापक कटौती नहीं की गई तो इस सदी के आखिर तक समुद्र के वैश्विक तापमान में इसके सतह से 2,000 मीटर तक की गइराई के दायरे में 0.78 डिग्री सेल्सियस तक की बढ़ोतरी हो सकती है। इसे कपल्ड मॉडल इंटरकंपेरिजन प्रोजेक्ट 5 यानी सीएमआइपी 5 के जरिये दर्शाया भी गया है।
समुद्र तापमान में इस कारण वृद्धि से ऊपरी सतह पर समुद्र के स्तर में 30 सेंटीमीटर तक की बढ़ोतरी होने की आशंका भी इस रिपोर्ट में जताई गई है। यह मसला इसलिए ज्यादा गंभीर है, क्योंकि दुनिया भर में ग्लेशियरों और विशाल हिमखंडों के पिघलने से समुद्री सतह के बढ़ने की आशंका भी वैज्ञानिक अक्सर जताते रहे हैं। इतना ही नहीं, समुद्र का तापमान बढ़ने से तेज आंधियों और विविध प्रकार के तूफानों की आवृत्ति भी बढ़ने की आशंका है। हॉजफादर ने चिंता जताई है कि वैज्ञानिकों का अनुमान है कि धरती की सतह पर होने वाली गर्मी के लिहाज से वर्ष 2018 अब तक का सर्वाधिक गर्म वर्ष होगा, लिहाजा निश्चित तौर पर यह समुद्री तापमान के लिए भी सबसे गर्म वर्ष के रूप में रिकॉर्ड किया जाएगा।
हॉजफादर कहते हैं, ‘2013 में प्रकाशित इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (आइपीसीसी) की पांचवीं असेसमेंट रिपोर्ट यह दर्शाती है कि पिछले 30 वर्षो से नियमित रूप से की जा रही निगरानी में यह पाया गया कि पूर्व के अनुमान से कहीं अधिक तेजी से समुद्र का ताप बढ़ाने वाले कारक बढ़ते जा रहे हैं।’ शोधकर्ताओं का कहना है कि दुनिया भर में समुद्र की सतह पर करीब 4,000 तैरते रोबोट के जरिये समुद्री सतह से 2,000 मीटर की गहराई के दायरे में तापमान को मापा जा रहा है। समुद्र की निगरानी करने वाली इस बटालियन को ‘अर्गो’ नाम दिया गया है, जो बीते दशक के मध्यकाल से समुद्री तापमान और संबंधित तथ्यों के व्यापक आंकड़े मुहैया करा रही है।
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