कैंसर जैसी गंभीर बीमारी फैलाने वाले प्रदूषण कणों से बचाएगा घर में लगा ये पौधा
शोधकर्ताओं ने कहा कि आज की तारीख में कई एयर फिल्टर हैं, जो घर के अंदर के प्रदूषण कणों से हिफाजत करने में सक्षम हैं।
वाशिंगटन, प्रेट्र। घरों में लगाए जाने वाले मनी प्लांट जैसे पौधे ऑक्सीजन देने के साथ-साथ कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से बचाने में भी कारगर हो सकते हैं। वैज्ञानिकों ने एक पौधे के जीन में बदलाव करते हुए इसमें सफलता हासिल की है। शोधकर्ताओं ने कहा कि आज की तारीख में कई एयर फिल्टर हैं, जो घर के अंदर के प्रदूषण कणों से हिफाजत करने में सक्षम हैं। लेकिन, हवा में कुछ ऐसे सूक्ष्म कण भी होते हैं, जिनसे निपटना इन फिल्टर के लिए संभव नहीं होता है।
क्लोरोफॉर्म और बेंजीन के कण इसी प्रकार के प्रदूषक हैं। क्लोरीन मिले पानी में बहुत सूक्ष्म मात्रा में क्लोरोफॉर्म भी घुला होता है। पानी उबालने से क्लोरोफॉर्म के कण हवा में आ जाते हैं। इसी तरह घर के नजदीक गैराज में गाड़ियां खड़ी करने से बेंजीन के कण हवा में घुलने की आशंका रहती है। बेंजीन और क्लोरोफॉर्म दोनों का संबंध कैंसर से पाया जा चुका है। ऐसे में घर की हवा में इनकी सूक्ष्म मात्रा भी घातक साबित हो सकती है।
बदल दिया पौधे का जीन
इन सूक्ष्म प्रदूषण कणों से निजात के लिए अमेरिका की वाशिंगटन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने पोथोस आइवी (मनी प्लांट की प्रजाति का एक पौधा) के जीन में बदलाव किया है। इस बदलाव के जरिये वैज्ञानिकों ने 2ई-1 प्रोटीन को सक्रिय कर दिया। यह प्रोटीन बेंजीन और क्लोरोफॉर्म को ऐसे अणुओं में बदल देता है, जो पौधे के विकास में सहायक होते हैं।
हमारे शरीर में भी है ऐसा प्रोटीन
वैज्ञानिकों ने बताया कि यह प्रोटीन हमारे लिवर में भी होता है। यह उसी समय सक्रिय होता है जब व्यक्ति एल्कोहल का सेवन करता है। यही कारण है कि शरीर में मौजूद होते हुए भी यह व्यक्ति को इन बाहरी प्रदूषण कणों से बचाने में सक्षम नहीं है। इसीलिए वैज्ञानिकों ने पौधे के जीन में बदलाव करते हुए इस प्रोटीन का उपयोग करने का रास्ता तलाशा। आने वाले दिनों में वैज्ञानिक जेनेटिक बदलाव करते हुए पौधों को और अधिक खतरनाक प्रदूषण कणों से निपटने व घर की हवा को शुद्ध करने में सक्षम बनाने की दिशा में प्रयोग कर रहे हैं।
बड़ी कामयाबी, कैंसर से मुकाबले में वर्चुअल ट्यूमर मॉडल मददगार
ब्रिटिश वैज्ञानिकों को कैंसर से मुकाबले में बड़ी कामयाबी मिली है। उन्होंने कैंसर का एक नया वर्चुअल रियलिटी (वीआर) थ्रीडी मॉडल तैयार किया है। इससे कैंसर के बारे में समझ बढ़ने के साथ ही इस बीमारी के लिए नए उपचार के विकास की राह भी खुल सकती है। कैंसर रिसर्च यूके (सीआरयूके) के शोधकर्ताओं के अनुसार, ‘इस अध्ययन में एक रोगी के स्तन कैंसर के ट्यूमर का नमूना लिया गया। एक मिलीमीटर के इस टिश्यू में करीब एक लाख सेल्स थीं।
शोधकर्ताओं ने इस टिश्यू के पतले टुकड़े कर उनका अध्ययन किया तो उनकी मोलेक्युलर बनावट और डीएनए गुणों का पता चला। इसके बाद वीआर का उपयोग कर ट्यूमर दोबारा बनाया गया और फिर उसका विश्लेषण किया गया।’ निदेशक ग्रेग हैनन ने कहा, ‘अभी तक इस स्तर पर ट्यूमर का विस्तृत परीक्षण किसी ने नहीं किया था। यह अध्ययन कैंसर को देखने का एक नया नजरिया देता है। इस नए सिस्टम के उपयोग से हम नया उपचार विकसित करने जा रहे हैं।’
जलने के जख्मों को ठीक करेगी मछली की त्वचा
शोधकर्ताओं ने जलने के जख्म को ठीक करने का नया तरीका खोज निकाला है। उनका कहना है कि मछली की त्वचा के उपयोग से इन जख्मों को जल्दी भरा जा सकता है। यह तरीका किफायती होने के साथ ही बैंडेज के मुकाबले कम दर्दकारी भी है। ब्राजील की फेडरल यूनिवर्सिटी के न्यूरोलॉजिस्ट फेलिप रोचा ने कहा, ताजे पानी में पाई जाने वाली तिलापिया मछली की त्वचा जलने के जख्म पर प्रभावी हो सकती है। उसमें नमी और कोलेजन प्रोटीन की प्रचुर मात्रा होती है। तिलापिया की त्वचा में एक प्रकार का ऐसा कोलेजन प्रोटीन होता है जो इंसानों की त्वचा में पाए जाने वाले प्रोटीन के समान होता है। यह माना जाता है कि रोगी की प्रतिरक्षा प्रणाली की अंत:क्रिया के जरिये जख्मों के भरने की प्रक्रिया में तेजी आती है।