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अब फेसबुक शुरू कर रहा जलवायु विज्ञान सूचना केंद्र, देगा जलवायु विज्ञान से संबंधित सटीक जानकारी

फेसबुक की ओर से अपने यूजरों को जलवायु विज्ञान से संबंधित सटीक जानकारी देने के लिए एक नए केंद्र की शुरूआत की जा रही है जिससे वो भ्रामक जानकारियों से बच सकें।

By Vinay TiwariEdited By: Published: Tue, 15 Sep 2020 02:56 PM (IST)Updated: Tue, 15 Sep 2020 02:56 PM (IST)
अब फेसबुक शुरू कर रहा जलवायु विज्ञान सूचना केंद्र, देगा जलवायु विज्ञान से संबंधित सटीक जानकारी
अब फेसबुक शुरू कर रहा जलवायु विज्ञान सूचना केंद्र, देगा जलवायु विज्ञान से संबंधित सटीक जानकारी

नई दिल्ली, रॉयटर्स। फेसबुक भी अपने प्लेटफॉर्म पर नई-नई चीजें लॉन्च करता रहता है। कुछ दिनों पहले फेसबुक की ओर से ही फेक न्यूज को लेकर कुछ कदम उठाए गए थे जिससे उसकी विश्वसनीयता बनी रहे। दरअसल कुछ दिन पहले फेसबुक पर ही जलवायु परिवर्तन से संबंधित गलत जानकारी पोस्ट कर दी गई थी। उसके बाद फेसबुक पर फिर सवाल उठने लगे थे।

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इसी कड़ी में अब जलवायु परिवर्तन से संबंधित सही जानकारी अपने यूजरों तक पहुंचाने के लिए जलवायु विज्ञान पर एक सूचना केंद्र शुरू किया जा रहा है। इस केंद्र को सबसे पहले अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी और ब्रिटेन में शुरू किया जाएगा, उसके बाद दूसरे देशों के यूजर यहां से जानकारी हासिल कर सकेंगे। ये केंद्र वहां बाद में खोले जाएंगे। 

कंपनी ने कहा कि यह प्रोजेक्ट उसके कोविड-19 सूचना केंद्र पर आधारित है। कंपनी ने पिछले महीने ऐसी ही एक सेवा नवंबर में अमेरिका में होने वाले चुनावों की तैयारियों के बीच मतदान के विषय पर भी शुरू की थी। फेसबुक की ओर से इस बारे में एक संदेश जारी किया गया जिसमें कहा गया है कि जलवायु विज्ञान जानकारी केंद्र फेसबुक पर एक समर्पित स्थान है जहां दुनिया के अग्रणी जलवायु संस्थानों से तथ्यपूर्ण संसाधन और ऐसे कदम भी उपलब्ध हैं जिन्हें जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने के लिए लोग अपने रोजमर्रा के जीवन में उठा सकते हैं। यहां पर इस दिशा में किए जा रहे तमाम कामों और वैज्ञानिकों के शोध भी उपलब्ध होंगे जिसे लोग देख पाएंगे। वो उसको पढ़कर लाभ ले सकेंगे। इसके अलावा इस दिशा में काम कर रहे लोग भी यहां से काफी जानकारी हासिल कर सकेंगे। 

कंपनी ने कहा कि केंद्र में जलवायु विज्ञान की खबरों पर उच्च कोटि के प्रकाशकों और दूसरे सूत्रों से लिए गए लेख भी उपलब्ध रहेंगे। फेसबुक पर आरोप लगते रहे हैं कि वो जलवायु परिवर्तन पर झूठे दावों को सामने रखे जाने की अनुमति देता है। दरअसल कुछ ऐसी पोस्टें फेसबुक पर पोस्ट कर दी गई जिसको लेकर इस तरह की बातें उठने लगी। कोरोना काल के दौरान भी तमाम लोगों ने कई भ्रामक जानकारियां भी यहां पोस्ट कर दी थी। उसको लेकर भी फेसबुक की काफी किरकिरी हुई थी। उसी के बाद से इस दिशा में कदम उठाए गए हैं। 

फेसबुक के ग्लोबल पॉलिसी के प्रमुख निक क्लेग ने कहा कि कंपनी जलवायु परिवर्तन के बारे में राजनेताओं द्वारा किए गए दावों को भी प्रकाशित करेगी, साथ ही उनके इस दिशा में किए गए कामों को भी पोस्ट करेगी जिससे सच्चाई का पता चल सकेगा। क्लेग ने कहा कि किसी भी सोशल मीडिया कंपनी ने कभी भी यह करने की कोशिश नहीं की और इसका सीधा कारण यह है कि राजनीतिक भाषणों में हमेशा अतिशयोक्ति होती है। 

आंकड़ों का चयनात्मक इस्तेमाल होता है और एक उम्मीदवार अपनी अच्छाइयों को और दूसरों की बुराइयों के बारे में बढ़ा चढ़ा कर दावे करता है। कंपनी ने महामारी के बारे में झूठी बातों के खिलाफ अपने कोरोना वायरस जानकारी केंद्र को मापा नहीं है, हालांकि प्रोडक्ट प्रमुख क्रिस कॉक्स ने कहा है कि कंपनी ने 60 करोड़ लोगों को उस पर क्लिक करते हुए देखा है, जिसे सफलता का संकेत माना जा रहा है।


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