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Cancer मरीजों को कीमोथेरेपी में नहीं खोने पड़ेंगे बाल, इलाज का नया तरीका ईजाद

Cancer वैज्ञानिकों का दावा कीमोथेरेपी से ज्यादा कारगर है एक्स्ट्रासेल्यूलर वेसिकल्स। दवाओं और जीन के मेल से ईवीएस कैंसर कोशिकाओं को बनाती है निशाना।

By Amit SinghEdited By: Published: Mon, 16 Sep 2019 08:59 AM (IST)Updated: Mon, 16 Sep 2019 08:55 PM (IST)
Cancer मरीजों को कीमोथेरेपी में नहीं खोने पड़ेंगे बाल, इलाज का नया तरीका ईजाद
Cancer मरीजों को कीमोथेरेपी में नहीं खोने पड़ेंगे बाल, इलाज का नया तरीका ईजाद

नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। कैंसर मरीजों के लिए खुशखबरी है। वैज्ञानिकों ने कैंसर मरीजों के इलाज का नया तरीका ईजाद किया है। वैज्ञानिकों का दावा है कि इलाज का नया तरीका कीमोथेरेपी से ज्यादा कारगर है। इतना ही नहीं वैज्ञानिकों ने एक तरीका इजाद किया है, जिससे कैंसर मरीजों को काफी राहत मिलेगी। विशेष तौर पर महिला मरीजों को। अब उन्हें कीमोथेरेपी के दौरान अपने बाल नहीं खोने पड़ेंगे।

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कैंसर से लड़ सकते हैं शरीर के बुलबुले
कैंसर किसी भी तरह का हो, लोगों के माथे पर शिकन जरूर ला देता है, क्योंकि इसका इलाज बहुत मुश्किल होता है। कुछ मामलों में इलाज है भी तो वह बहुत खर्चीला होता है। अब इससे निपटने के लिए एक नई विधि ईजाद की है। वैज्ञानिकों ने हमारे शरीर में छोटे-छोटे बुलबुलों का पता लगाया है, जो कैंसर के इलाज में उपयोगी सिद्ध हो सकता है। वैज्ञानिकों का दावा है कि ये बुलबुले कीमोथेरेपी के मुकाबले बीमारी से बेहतर तरीके से लड़ सकते हैं। इन्हें वाह्य कोशिकाएं या एक्स्ट्रासेल्यूलर वेसिकल्स(ईवीएस) भी कहा जाता है।

ऐसे काम करती है नई तकनीक
हमारे शरीर की कोशिकाएं बेहद छोटे-आकार के बुलबुलों का स्नाव (रिलीज) करती हैं, जो आनुवांशिक सामग्री जैसे डीएनए और आरएनए को अन्य कोशिकाओं में स्थानांतरित करते हैं। यह आपका डीएनए ही है, जो प्रोटीन का उत्पादन करने के लिए आरएनए के लिए आवश्यक और महत्वपूर्ण जानकारी संग्रहीत करता है और सुनिश्चित करता है कि वे उसके अनुसार काम करते रहें। शोधकर्ताओं के मुताबिक, हमारे शरीर में पाए जाने वाले एक्स्ट्रासेल्यूलर वेसिकल्स दवाओं और जीन के मेल से कैंसर कोशिकाओं को लक्षित कर उन्हें मार देती हैं।

शरीर में तुरंत सक्रिय हो जाती है ये दवाएं
शोधकर्ताओं का यह अध्ययन मॉलीक्यूलर कैंसर थेरैपिटिक्स में प्रकाशित हुआ है, जो चूहों के स्तन की कैंसर की कोशिकाओं पर आधारित था। इस अध्ययन के प्रमुख लेखक और मिशीगन स्टेट यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर मैसमित्सु कनाडा ने कहा कि हमने जो किया है, वह शरीर में एंजाइम-उत्पादक जीन को वितरित करने का एक बेहतर तरीका साबित हो सकता है। यह कुछ दवाओं को विषाक्त एजेंटों में बदल कर ट्यूमर की कोशिकाओं को निशाना बना सकता है। उन्होंने कहा कि ये दवाएं (प्रोड्रग) शुरुआत में निष्क्रिय यौगिक के रूप में रहती हैं, लेकिन शरीर के भीतर पहुंचते ही तुरंत सक्रिय हो जाती हैं और कैंसर की कोशिकाओं से लड़ना शुरू कर देती हैं।

ऐसे किया गया अध्ययन
इस अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने एंजाइम-उत्पादक जीन को वितरित करने के लिए ईवीएस यानी एक्स्ट्रासेल्यूलर वेसिकल्स का इस्तेमाल किया, जो स्तन कैंसर की कोशिकाओं में गैनिक्लोविर और सीबी1954 नामक दवाओं के संयोजन के जरिये उन्हें सक्रिय कर सकता था। शोधकर्ताओं ने दो अलग-अलग जीन वैक्टर, मिनिकिरकल डीएनए और नियमित प्लास्मिड को वेसिकल्स लोड कर यह देखा कि क्या यह दवाओं को ट्यूमर की कोशिकाओं तक ले जाने में सक्षम है या नहीं। अध्ययन के दौरान शोधकर्ताओं ने पाया कि मिनिकिरकल डीएनए कैंसर की कोशिकाओं को मारने में अन्य के मुकाबले 14 गुना ज्यादा कारगर है। इसे प्रोड्रग थेरेपी के रूप में जाना जाता है।

कीमोथेरेपी नहीं कर पाती अंतर
प्रोफेसर मैसमित्सु कनाडा ने कहा कि परंपरागत कीमोथेरेपी ट्यूमर और सामान्य ऊतक के बीच अंतर करने में सक्षम नहीं है, इसलिए यह सभी पर हमला करता है। वहीं ईवीएस के जरिये उपचार करने पर केवल लक्षित हिस्सों को ही निशाना बनाया जाता है। इससे अवांछित प्रतिरक्षा प्रतिक्रियाओं के जोखिम को कम किया जा सकता है। कनाडा ने कहा कि अभी केवल चूहे पर इसका सफल प्रयोग किया गया है। यदि भविष्य में ईवीएस मनुष्यों में प्रभावी साबित होते हैं तो यह जीन वितरण के लिए एक आदर्श मंच सिद्ध होगा।

कीमोथेरेपी में बाल झड़ने से मुक्ति
वैज्ञानिकों को कीमोथेरेपी में बाल झड़ने की रोकथाम करने में बड़ी सफलता मिली है। उन्होंने एक ऐसा तरीका खोज निकाला है, जिससे बालों को बचाया जा सकता है। कैंसर में आमतौर पर कीमोथेरेपी की जाती है। इसका एक प्रमुख दुष्प्रभाव बाल झड़ने के तौर पर सामने आता है। शोधकर्ताओं के अनुसार, अध्ययन के नतीजों से जाहिर हुआ कि कैंसर के उपचार में काम आने वाली टैक्सनेस दवाओं से हमेशा के लिए बाल झड़ सकता है। इस समस्या की रोकथाम हो सकती है। ईएमबीओ मोलेक्यूलर मेडिसिन जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, कैंसर रोधी दवा के तौर पर टैक्सनेस का आमतौर पर इस्तेमाल होता है। स्तन से लेकर फेफड़ों के कैंसर तक के उपचार में यह दवा उपयोगी होती है। शोधकर्ताओं ने पाया कि CDK4/6 इंहिबिटर वर्ग की नई दवाएं, कोशिकाओं में विभाजन को रोकती हैं। इससे बालों को कोई नुकसान नहीं पहुंचता है। इन दवाओं को कैंसर के उपचार के लिए मंजूरी भी मिल चुकी हैं।

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