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अब फटाफट रिपेयर होगा फ्रैक्चर, वैज्ञानिकों ने बनाया खास बैंडेज, ऐसे करेगा काम

शोधकर्ताओं ने एक ऐसे बैंडेज को विकसित किया है जो फ्रैक्चर के स्थान पर शरीर के स्वयं से उपचार करने वाले अणुओं को इकट्ठा करता है जिससे हड्डियां जल्‍द जुड़ सकेंगी।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Mon, 16 Dec 2019 07:51 AM (IST)Updated: Mon, 16 Dec 2019 01:07 PM (IST)
अब फटाफट रिपेयर होगा फ्रैक्चर, वैज्ञानिकों ने बनाया खास बैंडेज, ऐसे करेगा काम
अब फटाफट रिपेयर होगा फ्रैक्चर, वैज्ञानिकों ने बनाया खास बैंडेज, ऐसे करेगा काम

न्यूयार्क, पीटीआइ। शोधकर्ताओं ने एक ऐसे बैंडेज को विकसित किया है जो फ्रैक्चर के स्थान पर शरीर के स्वयं से उपचार करने वाले अणुओं को इकट्ठा रखता है। यह खोज प्राकृतिक चिकित्सा प्रक्रिया को तेज करने के नए तरीकों को जन्म दे सकती है। एडवांस मैटेरियल्स नामक जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में बताया गया है कि नए बैंडेज का चूहों में प्रयोग करके भी देखा गया है। इसमें पाया गया कि इसकी मदद से चूहों में केवल तीन सप्ताह में नई रक्त वाहिकाओं के निर्माण में मदद मिली साथ ही हड्डियों की बेहतर मरम्मत भी हुई।

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अमेरिका की ड्यूक यूनिवर्सिटी सहित अन्य शोधकर्ताओं की टीम ने बताया कि यह विधि अभी तक मौजूद सभी अन्य उपचार विधियों की तुलना में ज्यादा तेजी और बेहतर ढंग से काम करती है। दरअसल यह खोज पुरानी खोज पर आधारित है जिसमें बताया गया है कि रासायनिक कैल्शियम फास्फेट से बने बायोमैटेरियल्स हड्डी की मरम्मत और पुनर्निमाण को बढ़ावा देते हैं। ड्यूक यूनिवर्सिटी के इस अध्ययन की सह लेखक शायनी वर्गीज ने पाया था कि जैविक अणु ‘एडेनोसिन’ हड्डी के विकास को बढ़ाने में विशेष रूप से बड़ी भूमिका निभाता है।

वर्गीज और उनकी टीम ने पाया कि शरीर में चोट लगने पर स्वाभाविक रूप से एडेनोसिन अणुओं की चोट वाली जगह पर बाढ़ सी आ गई, लेकिन यह क्रिया ज्यादा देर तक नहीं रही। वर्गीज ने बताया कि एडेनोसिन शरीर में कई महत्वपूर्ण कार्य करता है, लेकिन इसका मुख्य कार्य हड्डी की मरम्मत करना नहीं है। इसलिए बिना किसी साइड इफेक्ट के एडेनोसिन को चोट वाली जगह पर रोककर रखना बड़ा काम था।

यही वजह है कि शोधकर्ताओं ने एक ऐसा बैंडेज बनाया जो फ्रैक्चर की जगह लगाया जा सके। इस बैंडेज में एडेनोसिन अणुओं को पकड़े रखने के लिए बोरोनैट मॉलीक्यूल का उपयोग किया गया है। अणुओं के बीच के बंधन हमेशा के लिए नहीं रहते हैं इसलिए यह बैंडेज एडेनोसिन को पूरी तरह से नहीं पकड़ पाता। नतीजतन एडेनोसिन के अणु धीरे-धीरे रिलीज होने लगते हैं।

चूहों पर किया गया प्रयोग

शोधकर्ताओं ने विकसित किए गए नए बैंडेज का चूहों पर परीक्षण भी किया। शोधकर्ताओं ने दो चूहों के हड्डियो के टूटने पर अलग-अलग उपचार दिया। एक चूहे को पुरानी विधि तो दूसरे को नए विकसित बैंडेज से उपचार दिया गया। इसमें पाया गया कि जिन चूहों में नए बैंडेज को बांधा गया था उनका उपचार तेज गति से और बेहतर हो रहा था। तीन हफ्ते बाद ऐसे चूहों में रक्त वाहिकाओं का निर्माण बेहतर तरीके से हुआ हड्डी का जोड़ भी अन्य से अच्छा रहा। 


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