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बिना जीपीएस के रोबोट और सैनिकों का पता लगा सकेगा नया सिस्टम

वैज्ञानिकों ने रोबोट और सैनिकों की स्थिति का पता लगाने के लिए एक नई प्रणाली विकसित कर ली है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Mon, 15 Oct 2018 12:58 PM (IST)Updated: Mon, 15 Oct 2018 01:13 PM (IST)
बिना जीपीएस के रोबोट और सैनिकों का पता लगा सकेगा नया सिस्टम
बिना जीपीएस के रोबोट और सैनिकों का पता लगा सकेगा नया सिस्टम

वाशिंगटन [प्रेट्र]। वैज्ञानिकों ने रोबोट और सैनिकों की स्थिति का पता लगाने के लिए एक नई प्रणाली विकसित कर ली है। सबसे अहम यह है कि इस प्रणाली का उस स्थान पर भी प्रयोग किया जा सकता है, जहां जीपीएस यानी ग्लोबल पॉजीशनिंग सिस्टम उपलब्ध न हो। इस प्रणाली के लिए वैज्ञानिकों ने एक खास एल्गोरिद्म विकसित की है। इसे तैयार करने वाले वैज्ञानिकों के दल में एक भारतीय मूल के शोधकर्ता भी शामिल हैं।

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अमेरिका स्थित आर्मी रिसर्च लैब के वैज्ञानिकों के मुताबिक, वे एक ऐसी प्रणाली विकसित करना चाहते थे, जो खराब मौसम और तकनीकी खराबियों के बावजूद काम कर सके। इसी के चलते उन्होंने इस प्रणाली को तैयार किया है। एआरएल में गुंजन वर्मा के मुताबिक, यह प्रणाली बेहद खास है क्योंकि इसकी मदद से सैनिक, इंसान और रोबोट एजेंट एक साथ मिलकर प्रभावशाली तरीके से किसी काम को अंजाम दे सकेंगे। गुंजन के मुताबिक, ज्यादातर असैन्य उपकरण जैसे जीपीएस इस संबंध में अच्छी तरह काम करते हैं और हमारी मदद करते हैं। उदाहरणस्वरूप हमारी कार के जरिये गंतव्य तक पहुंचने में मदद करना। हालांकि, सैन्य माहौल के लिए ये प्रणालियां अपर्याप्त हैं।

अभी ये आती है समस्याएं

एआरएल के फिकादु दागेफु कहते हैं, उदाहरण के लिए किसी आपात स्थिति में जीपीएस के लिए तैयार किया गया आवश्यक ढांचा (जैसे सेटेलाइट आदि) बर्बाद हो सकता है या फिर किसी इमारत के भीतर जीपीएस के सिग्नल आने में मुश्किल हो सकती है। ऐसे में सैन्य अभियान के दौरान परेशानी उठानी पड़ सकती है। इसी को देखते हुए हमने इस एल्गोरिद्म को तैयार किया है ताकि हमें जीपीएस जैसी अन्य प्रणालियों पर निर्भर न रहना पड़े और आपात स्थिति में भी अपने सैनिकों और रोबोट की लोकेशन का पता लगा सकें। फिकादु दागेफु कहते हैं, इमारतों के भीतर कई बार बाधाएं आती हैं। खासकर तब जब इमारत का आकार वायरलेस सिग्नल की तरंगदैध्र्य से काफी बड़ा हो। ऐसे में कमजोर सिग्नल के कारण बाधा उत्पन्न होती है और लोकेशन साझा करने में रुकावट आती है।

इस तरह काम करती है प्रणाली

इसी को देखते हुए वैज्ञानिकों ने रेडियो फ्रिक्वेंसी सिग्नल स्रोत के आगमन की दिशा को निर्धारित करने के लिए यह नवीन तकनीक विकसित की है, जिसमें जीपीएस आदि प्रणालियों जैसी परेशानियां नहीं आतीं। इसके लिए वैज्ञानिकों ने इस सिस्टम के तहत एक खास किस्म की फ्रिक्वेंसी सिग्नल सोर्स के आने की दिशा की पहचान की है। इससे लक्षित जगह के संबंध में सभी सूचनाएं प्राप्त की जा सकेंगी। इसकी एक बड़ी खासियत यह भी होगी कि इसके सुचारू तरीके से संचालित होने के लिए किसी निर्धारित बुनियादी ढांचे की भी जरूरत नहीं होगी। 


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