कोशिकाओं में प्रसार के दौरान इम्युन सिस्टम से छुप जाता है कोरोना वायरस, नए अध्यन में खुलासा
अमेरिकी शोधकर्ताओं ने एक नए अध्ययन में पाया है कि एक कोशिका से दूसरी कोशिका में प्रसार के दौरान सार्स सीओवी-2 प्रतिरक्षा प्रणाली से छुप जाता है। यह अध्ययन प्रोसीडिंग्स आफ द नेशनल एकेडेमी आफ साइंसेज जर्नल में प्रकाशित हुआ है।
वाशिंग्टन, एएनआइ। अमेरिकी शोधकर्ताओं ने एक नए अध्ययन में पाया है कि एक कोशिका से दूसरी कोशिका में प्रसार के दौरान सार्स सीओवी-2 प्रतिरक्षा प्रणाली से छुप जाता है। यह अध्ययन प्रोसीडिंग्स आफ द नेशनल एकेडेमी आफ साइंसेज जर्नल में प्रकाशित हुआ है। द ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी में वेटनरी बायोसाइंसेज विभाग में वायरोलाजी के प्रोफेसर व अध्ययन के प्रमुख लेखक शान-लू लियू ने कहा, 'यह वास्तव में प्रसार का भूमिगत स्वरूप होता है।'
कैसे होता है सार्स सीओवी-2 का तेजी से प्रसार
उन्होंने कहा, 'सार्स सीओवी-2 यानी कोरोना वायरस एक कोशिका से दूसरी कोशिका में प्रभावी रूप से इसलिए प्रसारित हो जाता है, क्योंकि प्रतिरक्षा प्रणाली से जुड़ी इकाइयां उसे रोक नहीं पातीं। वायरस जिस कोशिका को लक्ष्य करता है, बाद में वही वायरस का प्रसारक बन जाती है। इस प्रकार सार्स सीओवी-2 का तेजी से प्रसार होने लगता है और कोशिकाओं को वायरसमुक्त करना मुश्किल हो जाता है।'
वायरस से जुड़ा स्पाइक प्रोटीन कोशिकाओं के भीतर प्रसार की क्षमता प्रदान करता
लियू और उनके सहयोगियों को सार्स सीओवी-2 के बारे में कुछ नई जानकारियां भी प्राप्त हुईं। उन्होंने पाया कि वायरस से जुड़ा स्पाइक प्रोटीन उसे कोशिकाओं के भीतर प्रसार की क्षमता प्रदान करता है। स्पाइक, वायरस के प्राइमरी रिसेप्टर से जुड़ा होता है और कोशिकाओं को लक्ष्य बनाने का काम करता है। इसके बावजूद प्राइमरी रिसेप्टर कोशिकाओं के बीच वायरस के प्रसार का जरूरी हिस्सा नहीं होता।
दोनों के लिए सेल-टू-सेल ट्रांसमिशन आवश्यक
लियू के अनुसार स्पाइक प्रोटीन सार्स सीओवी-2 और सार्स सीओवी दोनों के लिए सेल-टू-सेल ट्रांसमिशन आवश्यक और पर्याप्त है, क्योंकि इन स्यूडोवायरस में एकमात्र अंतर स्पाइक प्रोटीन था। उन अंतरों को और अधिक गहराई से देखने पर, शोधकर्ताओं ने पाया कि सार्स सीओवी-2 भी लक्षित सेल मेंब्रेन के साथ फ्यूजन में सार्स सीओवी की तुलना में अधिक सक्षम है। यह वायरल इंट्री प्रोसेस में एक और महत्वपूर्ण कदम है।