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स्पर्श का अहसास कराएगी कृत्रिम त्वचा, वैज्ञानिकों ने सिलिकॉन और इलेक्ट्रोड से बनाई स्किन

वैज्ञानिकों ने सिलिकॉन और इलेक्ट्रोड से एक मुलायम और लचीली कृत्रिम त्वचा (आर्टिफिशियल स्किन) विकसित की है जो स्पर्श का अहसास करा सकती है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Mon, 30 Sep 2019 08:51 AM (IST)Updated: Mon, 30 Sep 2019 09:01 AM (IST)
स्पर्श का अहसास कराएगी कृत्रिम त्वचा, वैज्ञानिकों ने सिलिकॉन और इलेक्ट्रोड से बनाई स्किन
स्पर्श का अहसास कराएगी कृत्रिम त्वचा, वैज्ञानिकों ने सिलिकॉन और इलेक्ट्रोड से बनाई स्किन

जेनेवा, प्रेट्र। वैज्ञानिकों ने सिलिकॉन और इलेक्ट्रोड से एक मुलायम और लचीली कृत्रिम त्वचा (आर्टिफिशियल स्किन) विकसित की है, जो स्पर्श का अहसास करा सकती है। वैज्ञानिकों ने बताया कि यह आविष्कार ह्यूमन कंप्यूटर इंटरफेस, चिकित्सा और वचरुअल रियलिटी (वीआर) के क्षेत्र में बहुत बड़ा बदलाव ला सकता है। सॉफ्ट रोबोटिक्स नामक जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक, इस त्वचा के स्ट्रेन सेंसर लगातार इसमें होने वाले बदलावों को मापते रहते हैं और स्पर्श करने के एहसास को बनाए रखते हैं।

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चार गुना तक बढ़ाई जा सकती है लंबाई 

इस कृत्रिम त्वचा को विकसित करने वाले शोधार्थियों में स्विट्जरलैंड की स्विस फेडरल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (ईपीएफएल) के शोधकर्ता भी शामिल थे। उन्होंने कहा कि इस त्वचा को इसकी वास्तविक लंबाई से चार गुना तक बढ़ाया जा सकता है। इसमें लगे सॉफ्ट सेंसर और एक्ट्यूएटर की वहज से इसे किसी भी प्रकार की कलाई में आसानी से पहना जा सकता है। साथ ही दवाब और कंपन को भी यह त्वचा महसूस कर सकती है।

एक-दूसरे में समाहित हैं सेंसर और एक्ट्यूएटर

ईपीएफएल के शोधकर्ता और इस अध्ययन के मुख्य लेखक हर्षल सोनार ने कहा, ‘पहली बार हमने एक ऐसी कृत्रिम त्वचा विकसित की है, जिसके सेंसर और एक्ट्यूएटर एक-दूसरे में समाहित किये गए हैं।’ उन्होंने कहा कि इसमें लगा क्लोज लूप कंट्रोल स्पर्श का अहसास दिलाने के साथ-साथ इसकी कार्यक्षमता को बनाए रखने में मदद करता है। सोनार ने कहा, ‘पहनने योग्य एप्लिकेशनंस के लिए यह आदर्श सिद्ध हो सकता है। खास तौर से चिकित्सा के क्षेत्र में इसकी उपयोगिता काफी बढ़ सकती है।’

माइक्रोकंट्रोलर को डाटा भेजते हैं इलेक्ट्रोड

शोधकर्ताओं ने कहा कि इस त्वचा के ऊपरी भाग में इलेक्ट्रोड होते हैं, जो लगातार त्वचा की विकृति को मापकर डाटा माइक्रोकंट्रोलर को भेजते रहते हैं। इसी डाटा की मदद से इसकी संवेदनशीलता को बनाए रखा जाता है और बाहरी कारकों का अतिरिक्त दबाव पड़ने पर इसकी गतिशीलता को भी नियंत्रित किया जाता है।

सुगम होगा दिव्यांगों का जीवन

शोधकर्ताओं ने कहा कि दुनिया से रूबरू होने के लिए हमारी सुनने और देखने वाली इंद्रियों की तरह ही स्पर्श का एहसास भी बहुत महत्वपूर्ण होता है। ऐसे में दिव्यांगों के लिए, खास तौर पर जिनके हाथ या पैर जल-कट जाते हैं, नई कृत्रिम त्वचा बेहद उपयोगी सिद्ध हो सकती है। ऐसी स्थिति में ज्यादातर लोग प्रोस्थेटिक हाथ-पांव तो लगा लेते हैं, पर उन्हें स्पर्श करने का एहसास नहीं हो पाता। ऐसे में यदि इन कृत्रिम उपकरणों को आर्टिफिशियल स्किन के जरिये ढक दिया जाए तो संभव है कि लोगों को स्पर्श का एहसास हो और वे अपना जीवन और सुगम बना सकें।

विभिन्न प्रकार के दबावों को ङोल सकता है एक्ट्यूएटर

अध्ययन में बताया गया है कि नई कृत्रिम त्वचा में संवेदी एक्ट्यूएटर होते हैं, जो त्वचा की परत (ङिाल्ली) बनाते हैं। इसे हवा के जरिये फुलाया भी जा सकता है। जब इसमें तेजी से हवा भरी और छोड़ी जाती है तो यह कंपन भी करने लगती है। इसकी मदद से एक्ट्यूएटर विभिन्न प्रकार के दबावों को ङोल सकता है। 


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