खाने में हानिकारक बैक्टीरिया की पहचान करेगी नई डिवाइस, शोध में सामने आई कुछ खास बातें
कई अध्ययनों के एक विश्लेषण से यह पता चला है कि बच्चों और किशोरों में मोटापे का इलाज करना उनकी मानसिक सेहत के लिए फायदेमंद हो सकता है।
वॉशिंगटन, एजेंसी। शोधकर्ताओं ने एक ऐसी पोर्टेबल डिवाइस विकसित की है, जो खाने के नमूनों में हानिकारक बैक्टीरिया की पहचान कर सकती है। इस तरीके से खाद्य जनित बीमारियों की रोकथाम में मदद मिल सकती है।
एप्लाइड ऑप्टिक्स जर्नल में छपे अध्ययन के अनुसार, स्मार्टफोन और लैपटॉप के साथ काम करने वाली यह डिवाइस रासायनिक जांच के जरिये खाद्य नमूनों में हानिकारक ई. कोलाई बैक्टीरिया की जांच कर सकती है। अमेरिका की पर्ड्य यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं द्वारा विकसित डिवाइस खाने में ई. कोलाई की पहचान करने के लिए निम्न प्रकाश का उपयोग करती है।
डिवाइस ब्लूटूथ टेक्नोलॉजी के जरिये डाटा स्मार्टफोन और लैपटॉप पर भेजती है। यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता इवान बाई ने कहा, 'हमारा लक्ष्य एक तकनीक और प्रक्रिया तैयार करना है, जिससे किफायती और आसान तरीके से खाद्य जनित बीमारियों के कारकों की पहचान की जा सके। हमारा यह उपकरण मौजूदा विधियों की तुलना में बेहद संवेदनशील और किफायती होने के साथ ही ज्यादा प्रभावी भी है।' -प्रेट्र
मोटापे का इलाज बच्चों की मानसिक सेहत के लिए भी फायदेमंद
कई अध्ययनों के एक विश्लेषण से यह पता चला है कि बच्चों और किशोरों में मोटापे का इलाज करना उनकी मानसिक सेहत के लिए फायदेमंद हो सकता है।
यह निष्कर्ष 64 अध्ययनों के विश्लेषण के आधार पर निकाला गया है। इसमें पाया गया कि वजन घटाने से बॉडी इमेज और खुद पर विश्वास को बेहतर किया जा सकता है। ऑस्ट्रेलिया की सिडनी यूनिवर्सिटी की प्रमुख शोधकर्ता मेगन गोव ने कहा, 'हमारे नतीजे प्रोत्साहित करने वाले हैं। इन नतीजों से जाहिर होता है कि बच्चों में मोटापे का उपचार ना सिर्फ वजन घटाने बल्कि मानसिक सेहत के लिहाज से भी अच्छा है।' (एएनआइ)