दीवार के पीछे की हमारी हलचल को पकड़ सकता है नया एआइ सिस्टम
वैज्ञानिकों ने एक्स-रे पर आधारित एक ऐसा आर्टिफिशिएल इंटेलिजेंस सिस्टम तैयार किया है जो दीवार के पीछे की मानवीय हलचल को भी पकड़ सकता है।
बोस्टन [प्रेट्र]। मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट आफ टेक्नालाजी (एमआइटी) के वैज्ञानिकों ने एक्स-रे पर आधारित एक ऐसा आर्टिफिशिएल इंटेलिजेंस सिस्टम तैयार किया है जो दीवार के पीछे की मानवीय हलचल को भी पकड़ सकता है। इस सिस्टम का नाम आरएफ-पोज है और यह वायरलेस डिवाइस पर आधारित आर्टिफिशिएल इंटेलिजेंस के सहारे काम करता है। इसे तैयार करने के लिए शोधकर्ताओं ने एक न्यूरल नेटवर्क यानी तंत्रिका तंत्र का इस्तेमाल किया है।
वैज्ञानिकों के मुताबिक, यह नेटवर्क किसी व्यक्ति के शरीर की हलचल के आधार पर रेडियो सिग्नल ग्रहण करता है और स्क्रीन पर इससे संबंधित तस्वीर उभार देता है। यह तस्वीर किसी व्यक्ति के टहलने, बैठने, खड़े होने जैसी गतिविधियों को बयान करती है। यह सिस्टम पर्किंसन और मल्टिपल सिरोसिस जैसी बीमारियों के उपचार में मदद उपलब्ध करा सकता है। इस सिस्टम के सहारे इन रोगों से उबर रहे लोगों की प्रगति के संदर्भ में बेहतर जानकारी मिल सकती है और डॉक्टर इसके सहारे इलाज की दिशा भी तय कर सकते हैं। इस सिस्टम की सहायता से बुजुर्ग लोग ज्यादा स्वतंत्रता से जी सकते हैं।
ऐसे तैयार किया सिस्टम
शोधकर्ताओं ने लोगों की सामान्य गतिविधियों, जैसे टहलने, बातचीत करने, बैठने, दरवाजा खोलने या लिफ्ट का इंतजार करने की हजारों फोटो एकत्र कीं। फिर इन तस्वीरों को कैमरे से निकालकर उनके स्टिक फिगर्स (एक तरह के रेखा-चित्र) प्राप्त किए गए। संबंधित रेडियो सिग्नल के साथ इन्हें न्यूरल नेटवर्क से जोड़ा गया। इस संयोजन के साथ सिस्टम रेडियो सिग्नल और स्टिक फिगर्स के बीच संबंध को समझ गया। ट्रेनिंग के बाद आरएफ-पोज इतना समर्थ हो गया कि वह कैमरे के बिना केवल वायरलेस रिफ्लेक्शन के आधार पर लोगों के मूवमेंट को नोट करने लगा।
निगरानी में मिलेगी मदद
वैज्ञानिकों के मुताबिक, सिस्टम सही तरह से काम करे तो बुजुर्गों की बेहतर निगरानी में मदद मिलेगी और उन्हें गिरने, चोट लगने और एक्टिविटी पैटर्न में बदलाव जैसी चीजों से बचाया जा सकेगा। शोधकर्ताओं की टीम मौजूदा समय में डॉक्टरों के साथ मिलकर हेल्थकेयर में इसके ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल को लेकर काम कर रही है।
सेंसर पहनने व डिवाइस चार्ज करने की जरूरत नहीं
एमआइटी के वैज्ञानिक दीना कताबी कहते हैं, हमने देखा है कि अक्सर लोगों को तेज चलते और सामान्य कामकाज करते हुए देखने के आधार पर ही डॉक्टर मर्ज को समझते हैं और इलाज की दिशा तय करते हैं। यहीं से हमें इसे तैयार करने का विचार आया। हमने इसी का एक जरिया उपलब्ध कराने की कोशिश की है। अब तक यह व्यवस्था नहीं थी।
शोधकर्ता के अनुसार, हमारी पहल की एक खासियत यह है कि इसमें मरीज को न तो कोई सेंसर पहनना पड़ता है और न ही अपनी डिवाइस को चार्ज करने की चिंता करनी पड़ती है। हेल्थकेयर के अलावा नया सिस्टम यानी आरएफ-पोज ऐसे वीडियो गेमों के लिए भी उपयोगी साबित हो सकता है, जिनमें खिलाड़ियों का मूवमेंट होता है।