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अतिसूक्ष्म समुद्री जीवों की पहचान करेगा एआइ सिस्टम

शोधकर्ताओं ने मिलकर एक नया अर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआइ) प्रोग्राम तैयार किया है जिससे अतिसूक्ष्म समुद्री जीवों की प्रजातियों की पहचान कर उनके बारे में जानकारी मिल सकेगी।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Mon, 11 Feb 2019 11:41 AM (IST)Updated: Mon, 11 Feb 2019 11:41 AM (IST)
अतिसूक्ष्म समुद्री जीवों की पहचान करेगा एआइ सिस्टम
अतिसूक्ष्म समुद्री जीवों की पहचान करेगा एआइ सिस्टम

वाशिंगटन, प्रेट्र। समुद्र की दुनिया रोमांच से भरी हुई है। वहां अभी भी कई ऐसे जीव रहते हैं जिन्हें हम नहीं जानते। वैज्ञानिकों ने उनकी पहचान करने के लिए नया एआइ सिस्टम तैयार किया है। भारत समेत अन्य देशों के शोधकर्ताओं ने मिलकर एक नया अर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआइ) प्रोग्राम तैयार किया है जिससे अतिसूक्ष्म समुद्री जीवों की प्रजातियों की पहचान कर उनके बारे में जानकारी मिल सकेगी।

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आइआइटी बांबे की रितेन मित्रा सहित अन्य शोधकर्ताओं का कहना है कि अब इस एआइ सिस्टम को रोबोटिक प्रणाली में शामिल करना है जिससे दुनिया के महासागरों की हमारी समझ बढ़ाने में मदद मिलेगी। इससे वर्तमान और प्रगैतिहासिक अतीत की जानकारियां हासिल की जा सकेंगी। रितेन पूर्व में अमेरिका की नार्थ कैरोलिना स्टेट यूनिवर्सिटी की पोस्टडॉक्टरल शोधकर्ता रह चुकी हैं।

मरीन माइक्रोपालेन्टोलॉजी जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक विशेष रूप से एआइ प्रोग्राम फोरामिनिफेरा की छह प्रजातियों की पहचान करने में सक्षम साबित हुआ है। ये वह जीव हैं जो 10 करोड़ सालों से पृथ्वी के महासागरों में निवास कर रहे हैं। फोरामिनिफेरा प्रोटिस्ट होते हैं यह न तो पौधे हैं और न ही जानवर। जब ये मर जाते हैं तो अपने पीछे छोटे शेल छोड़ जाते हैं, जोकि एक मिलीमीटर से भी कम चौड़े होते हैं। ये शेल वैज्ञानिकों को महासागरों की विशेषताओं के बारे में जानकारी देते हैं। क्योंकि वे तब भी अस्तित्व में थे जब फोरामिनिफेरा जीवित थे।

अदाहरण के तौर पर फोरामिनिफेरा की विभिन्न प्रजातियां विभिन्न प्रकार के समुद्री वातावरण और रासायनिक मापों में पनपती हैं। इसलिए इनके शेल के का निर्माण के बाद उससे वैज्ञानिकों को समुद्र के रसायन और तापमान के बारे में पूरी जानकारी मिलती है। हालांकि, उन शेल के माध्यम से जीवाश्मों की जानकारी लेना बहुत थकाऊ है और इसमें बहुत समय भी लगता है। नार्थ कैरोलिना स्टेट यूनिवर्सिटी के एसोसिएट प्रोफेसर एडगर लोबटन ने बताया कि इसी जगह पर एआइ सिस्टम 80 फीसद फोरामिनिफेरा की सही पहचान करता है, जोकि बहुत प्रशिक्षित मनुष्य की तुलना में भी ज्यादा सटीक होता है।

वैज्ञानिकों ने बताया कि हम अभी एआइ सिस्टम में और सुधार कर रहे हैं क्योंकि जितने बार सुधार होगा यह और अधिक सटीकता से जानकारी दे पाएगा। वैज्ञानिकों ने बताया कि एआइ सिस्टम के दायरे को बढ़ाने की भी योजना है जिससे यह फोरामिनिफेरा की 35 प्रजातियों की पहचान कर सके।

इस तरह काम करता है

वर्तमान में एक फोरामिनिफेरा को माइक्रोस्कोप पर रखा जाता है। एलईडी के माध्यम से 16 दिशाओं से उस पर प्रकाश डाला जाता है और हर दिशा से फोटो ली जाती है। इसके बाद इन 16 छवियों को जोड़कर अधिक से अधिक जानकारी देने के लिए ज्यामितीय रचना बनाई जाती है। तब एआइ सिस्टम इस जानकारी को प्राप्त कर फोरामिनिफेरा की प्रजाति बताता है। इस प्रक्रिया में मात्र कुछ सेकंड लगते हैं।


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