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आफगानिस्तान को लेकर संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में दावा, चार करोड़ लोगों को करना पड़ेगा अत्यधिक गरीबी का सामना

इंटरनेशनल आर्गेनाइजेशन फार माइग्रेशन ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि अफगानिस्तान में मानवीय आर्थिक और राजनीतिक संकटों को दूर करने के लिए तुरंत कदम नहीं उठाया गया तो 2022 के मध्य तक सभी नागरिक अत्यधिक गरीबी में गिर सकते हैं।

By Manish PandeyEdited By: Published: Thu, 18 Nov 2021 01:46 PM (IST)Updated: Thu, 18 Nov 2021 01:46 PM (IST)
आफगानिस्तान को लेकर संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में दावा, चार करोड़ लोगों को करना पड़ेगा अत्यधिक गरीबी का सामना
2022 के मध्य तक लगभग चार करोड़ अफगान अत्यधिक गरीबी में पड़ सकते हैं।

न्यूयार्क, एएनआइ। आफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद से ही देश के हालात लगाताक बिगड़ते जा रहे हैं। यूनाइटेड नेशन माइग्रेशन एजेंसी ने अफगानिस्तान में चल रही मानवीय स्थिति पर चिंता जताई है। एजेंसी ने कहा कि अगर एक साथ मानवीय, आर्थिक और राजनीतिक संकटों को दूर करने के लिए तुरंत कोई उपाय नहीं किया गया तो अफगानिस्तान के साल 2022 के तक अत्यधिक गरीबी का सामना करना पड़ सकता है।

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इंटरनेशनल आर्गेनाइजेशन फार माइग्रेशन (आइओएम) ने बुधवार को अपनी रिपोर्ट में कहा कि अफगानिस्तान लगभग 40 मिलियन (चार करोड़) लोगों का देश है। अगर एक साथ मानवीय, आर्थिक और राजनीतिक संकटों को दूर करने के लिए तुरंत कोई कार्रवाई नहीं की गई तो लगभग सभी नागरिक 2022 के मध्य तक अत्यधिक गरीबी में गिर सकते हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि तालिबान के कब्जे के बाद से देश की आवश्यक सेवाएं चरमरा रही हैं। बुनियादी वस्तुओं की कीमतें आसमान छू रही हैं, जबकि रोजगार के अवसर खत्म होते जा रहे हैं। इसमें आगे कहा गया है कि देश में कोविड-19 महामारी जारी है और बैंकिंग प्रणाली गंभीर रूप से बाधित हुई है, जिससे पूरे देश में नकदी की भारी कमी हो रही है।

आइओएम के बयान के अनुसार, अफगानिस्तान इस समय बड़े पैमाने पर विस्थापन का सामना कर रहा है। एक अनुमान के मुताबिक अफगानिस्तान में 5.5 मिलियन (55 लाख) आंतरिक रूप से विस्थापित लोग (IDP) हैं, जिनमें से 6.80 लाख 2021 में संघर्ष के बाद से विस्थापित हुए हैं। यह 2021 में ईरान और पाकिस्तान से 1.1 मिलियन (11 लाख) बिना दस्तावेजों वाले अफगान नागरिकों से अलग है।

बुधवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने अफगानिस्तान की स्थिति पर बैठक बुलाई, जिसमें विभिन्न देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। संयुक्त राष्ट्र ने अफगानिस्तान में अधिक समावेशी सरकार का आह्वान किया। अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र सहायता मिशन के महासचिव और प्रमुख के विशेष प्रतिनिधि डेबोरा लियोन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को बताया कि अफगान महिलाओं और लड़कियों के मौलिक अधिकारों और स्वतंत्रता में सामान्य कटौती हुई है।


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