नासा करेगी चंद्रमा और पृथ्वी के क्षुद्रग्रहों का अध्ययन, टाइटन पर ड्रोन भेजने की भी तैयारी
नासा (NASA) चंद्रमा और पृथ्वी के आसपास मौजूद क्षुद्रग्रहों पर अध्ययन करने जा रहा है। वहीं नासा शनि के सबसे बड़े चंद्रमा टाइटन पर अब ड्रोन भेजने की तैयारी में है।
वाशिंगटन, आइएएनएस/एपी। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने चंद्रमा और पृथ्वी के आसपास मौजूद क्षुद्रग्रहों के अध्ययन के लिए आठ नई टीमों का चयन किया है। ये टीमें मंगल के चंद्रमा (फोबोस और डीमोस) के साथ-साथ उनके निकटवर्ती अंतरिक्ष वातावरण के बारे में भी जानकारियां एकत्र करेगी। इस मिशन के लिए सोलर सिस्टम एक्सप्लोरेशन रिसर्च वर्चुअल इंस्टीट्यूट (एसएसईआरवीआइ) पांच साल तक इन टीमों की मदद करेगा।
नासा ने एक बयान में कहा कि यह कार्यक्रम नासा के साइंस एंड ह्यूमन एक्सप्लोरेशन एंड ऑपरेशन मिशन द्वारा वित्त पोषित होगा। इस पूरे मिशन में 10.5 मिलियन डॉलर (लगभग एक करोड़ पांच लाख रुपये) प्रतिवर्ष खर्च होंगे। नासा के विज्ञान मिशन निदेशालय में ग्रह विज्ञान प्रभाग के निदेशक लोरी ग्लेज ने कहा कि रोबोट और मनुष्यों के द्वारा किया जाने वाला अध्ययन सौर मंडल में हमारे भविष्य के अंवेषण के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण सिद्ध होगा।
वैज्ञानिकों की ये टीमें नासा ने 24 प्रतिस्पर्धी प्रस्तावों की समीक्षा के माध्यम से चुनी हैं। कुल आठ टीमों में से एक कैलिफोर्निया के सिलिकॉन वैली में नासा के रिसर्च सेंटर में जेनिफर हेल्डमैन के नेतृत्व में चंद्रमा पर संसाधनों की मात्र और उपलब्धता का आकलन करेगी। साथ ही उनका का उपयोग करने के लिए आवश्यक तकनीक का परीक्षण करेगी और यह पता लगाएगी कि चंद्रमा में मनुष्यों के लिए जीवन की संभावनाएं हैं या नहीं। दूसरी टीम ऑरलैंडो में सेंट्रल फ्लोरिडा यूनिवर्सिटी (यूसीएफ) के डैन ब्रिट के नेतृत्व में चंद्रमा और क्षुद्रगहों की मिट्टी का अध्ययन करेगी और इसके भौतिक गुणों और संसाधनों को देखते हुए अंतरिक्ष वातावरण में इसके व्यवहार के प्रभाव का पता लगाएगी। जबकि तीसरी टीम होनोलूलू के मनोआ में हवाई यूनिवर्सिटी के जेफरी गिलिस-डेविस के नेतृत्व में वायु रहित क्षुद्र ग्रहों की रिमोट सेंसिंग पर ध्यान केंद्रित करेगी। ताकि यह पता लगाया जा सके कि अंतरिक्ष में मौसम में इन क्षुद्रग्रहों का कितना प्रभाव पड़ता है।
न्यूयॉर्क के स्टोनी ब्रूक यूनिवर्सिटी के टिमोथी ग्लॉच की अगुवाई में शुरू होने वाली परियोजना में यह पता लगाया जाएगा कि क्षुद्रग्रहों से निकलने वाले विकिरण का मनुष्य के स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ता है। नासा ने कहा कि यह टीम इस बात की भी पड़ताल करेगी कि जानवरों की कोशिकाओं और ऊतकों का क्षुद्रग्रहों के विकिरण से क्या संबंध है।
शनि के सबसे बड़े चंद्रमा 'टाइटन' पर ड्रोन भेजने की तैयारी में नासा
शनि के सबसे बड़े चंद्रमा 'टाइटन' में नासा अब ड्रोन भेजने की तैयारी में है। नासा ने एक बयान में कहा कि भविष्य में हम ड्रैगनफ्लाई नामक ड्रोन ‘टाइटन’ पर भेजेंगे, जो प्रोपेलर का उपयोग करते हुए बर्फीले चंद्रमा के कई स्थानों पर अध्ययन कर यह पता लगाएगा कि क्या इस चंद्रमा में सूक्ष्म जीवों के लिए जीवन संभव है। प्रोपेलर ऐसे यंत्र या मशीन को कहते हैं जो किसी भी यान पर लगने के बाद उसे आगे धकेलने में मदद करती है।
ड्रैगनफ्लाई की महत्ता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसने लगभग एक दर्जन प्रस्तावित परियोजनाओं में अन्य यानों से बेहतर प्रदर्शन किया है। इसीलिए वैज्ञानिकों ने अपने नए मिशन के लिए इसे चयनित किया है। नासा के मुताबिक, इस ड्रोन को 2026 में लॉच किया जाएगा और 2034 तक इसके टाइटन पहुंचने की संभावना है। इस मिशन की कुल लागत 850 मिलियन डॉलर (लगभग 85 करोड़ रुपए) है। बता दें कि परमाणु संचालित मिशन नासा के प्रतिस्पर्धी न्यू फ्रंटियर्स कार्यक्रम का हिस्सा है, जिसने न्यू होराइजंस अंतरिक्ष यान लॉन्च किया। यह बौने ग्रह प्लूटो का दौरा करने वाला पहला यान है। अब नासा टाइटन में जाने की तैयारी कर रही है। नासा के ग्रह विज्ञान विभाग के निदेशक लोरी ग्लेज ने कहा कि टाइटन में जीवन के लिए आवश्यक सभी सामग्रियां मौजूद हैं। चंद्रमा में मीथेन, बर्फ के पहाड़ और सतह के नीचे एक महासागर है, जिससे यह पता चलता है कि इसका वातावरण जीवन संभव हो सकता है।