VIDEO: सूर्य को करीब से जानेगा नासा का पार्कर सोलर प्रोब, मिशन लॉन्च
पहली बार सूर्य को अत्यंत करीब से जानने की कोशिश के तहत नासा ने अपने अंतरिक्ष यान पार्कर सोलर प्रोब का प्रक्षेपण किया है।
टेंपा, एएनआइ। पहली बार सूर्य को अत्यंत करीब से जानने की कोशिश के तहत नासा ने अपने अंतरिक्ष यान पार्कर सोलर प्रोब को रवाना कर दिया है। शनिवार तड़के फ्लोरिडा के केप केनेवरल स्थित प्रक्षेपण स्थल से डेल्टा-4 रॉकेट इसे लेकर अंतरिक्ष रवाना किया गया। कार के आकार का यह अंतरिक्ष यान सूर्य के इतने करीब से गुजरेगा, जहां से आज तक कोई अंतरिक्ष यान नहीं गुजर पाया है। इसके प्रक्षेपण का मुख्य मकसद कोरोना के रहस्य से पर्दा उठाना है।
कोरोना प्लाज्मा से बना होता है और यह वायुमंडल की तरह सूर्य और तारों को चारों ओर से घेरे रहता है। अस्वाभाविक रूप से इसका तापमान सूर्य के सतह से 300 गुना ज्यादा होता है। इससे शक्तिशाली प्लाज्मा और तीव्र ऊर्जा वाले कणों का उत्सर्जन भी होता है, जो धरती पर स्थित पावर ग्रिड में गड़बड़ी ला सकता है।
मिशिगन विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और इस परियोजना से जुड़े वैज्ञानिक जस्टिन कैस्पर ने कहा कि इससे हम यह बात बेहतर जान सकेंगे कि धरती को कब सौर वायु से परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। इसे सूर्य के ताप और विकिरण से बचाने के लिए विशेष इंतजाम किए गए हैं। इस पर अत्यंत शक्तिशाली 11.43 सेंटी मीटर मोटा ताप कवच लगाया गया है, जो इसकी हिफाजत करता रहेगा। यह कवच धरती पर सूर्य के विकिरण से 500 गुना अधिक विकिरण को सहन कर सकता है। जिन स्थानों पर तापमान बहुत अधिक पहुंच जाता है वहां 1371 डिग्री सेल्सियस पर इस ताप कवच के गर्म होने का अनुमान है। शोधकर्ताओं का कहना है कि यदि सबकुछ सही रहा तो अंतरिक्षयान के अंदर 29 डिग्री तापमान बना रहेगा।
सात साल में 24 चक्कर का लक्ष्य
पार्कर सोलर प्रोब का लक्ष्य अपने सात साल के मिशन में कोरोना के 24 चक्कर लगाने का है। इस यान में लगे उपकरण कोरोना के विस्तार और सौर वायु का अध्ययन करेंगे, जिसे 1958 में भौतिकशास्त्री यूजन पार्कर ने परिभाषित किया था। 91 वर्ष के हो चुके यूजन पार्कर पुराने समय को याद करते हुए कहते हैं कि पहली बार में कुछ लोगों ने उनकी थ्योरी पर यकीन नहीं किया लेकिन 1962 में नासा के मैरिनर 2 यान की लांचिंग के बाद उनकी बात सही साबित हुई। यह पहला रोबोट अंतरिक्षयान जिसने ग्रहों की परिक्रमा की थी।