कौन होगी चांद पर जाने वाली पहली महिला? लिस्ट में भारत की सुनीता विल्यम्स भी शामिल
नासा ने एक नए मिशन आर्टेमिस की शुरुआत की है। 2024 के इस मिशन में पहली बार ऐसा होगा कि जब कोई महिला चंद्रमा की सतह पर उतरेगी । सूची में भारत की सुनीता विल्यम्स का नाम भी शामिल है।
वॉशिंगटन एएफपी। NASA Moon Mission आखिर चांद की धरती पर जाने वाली पहली आर्टेमिस कौन होगी। आर्टेमिस यानी की चांद की देवी, ग्रीक मैथोलॉजी में आर्टेमिस को चांद के साथ ही शिकार और जंगलों की देवी भी कहा गया है। आर्टेमिस अपोलो की जुड़वा बहन भी हैं। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने अपने अगले चंद्र मिशन का नाम आर्टेमिस ही रखा है। 2024 के इस मिशन में पहली बार ऐसा होगा कि जब कोई महिला चंद्रमा की सतह पर उतरेगी और पहले अंतरिक्ष यात्री नील आर्मस्ट्रांग के साथ अपना नाम भी दर्ज कराएगी। लेकिन अभी तक इस मिशन के लिए किसी भी महिला का नाम तय नहीं हो पाया है। अब सबकी नजरें इसी पर हैं कि आखिर वह महिला कौन होगी जो चंद्रमा की धरती पर अपना कदम रखेगी।
क्यों महत्वपूर्ण है नासा का यह अभियान
नासा का यह अभियान इसीलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि मंगल मिशन पर भेजे जाने से अगली पीढ़ी के स्पेसक्रॉफ्ट्स का भी इस अभियान के जरिये परीक्षण किया जाना है। हालांकि, अभी तक कोई नहीं जानता वह महिला कौन है जो चंद्रमा पर कदम रखेंगी, पर नासा के वर्तमान रोस्टर में शामिल 12 महिला अंतरिक्ष यात्रियों में से किसी एक को यह मौका मिल सकता है। इन महिलाओं की उम्र 40 से 53 साल के बीच की है। नासा से जुड़ने से पहले ये सेना में पायलट, डॉक्टर और वैज्ञानिक रह चुकी हैं।
पिछली सदी के 9वें दशक के अंत में आए हजारों आवेदनों में से इन महिलाओं का चुनाव किया गया था। अगला नील आर्मस्ट्रांग कौन होगा, यह भविष्यवाणी नहीं की जा सकती, लेकिन कई विशेषज्ञों का मानना है कि उड़ान का समय जितना नजदीक है, उसके अनुसार एक बात तो तय लगती है कि इस अभियान के लिए अलग से कोई भर्ती नहीं की जाएगी। नासा के रोस्टर में शामिल 12 महिला अंतरिक्ष यात्रियों में भारतवंशी सुनीता विलियम्स (दूसरी पंक्ति में सबसे बाएं) का नाम भी है।
पूर्व अंतरिक्ष यात्री और वर्ष 1990 से 2000 तक स्पेस शटल उड़ाने वाले कमांडेंट एलीन कॉलिन ने कहा कि व्यक्तिगत रूप से वह किसी भी तरह के अंतरिक्ष यात्री के साथ उड़ान भर सकते हैं, लेकिन यदि आपके पास पर्याप्त अंतरिक्ष यात्री हैं जो पहले भी उड़ान भर चुके हैं तो ऐसे लोगों को वहां भेजना सही हो सकता है, क्योंकि उन्हें मालूम होता है कि अंतरिक्ष में उन्हें क्या करना है।
नासा में वरिष्ठ अधिकारी केन बोवर्साक्स ने कहा कि कई लोग अंतरिक्ष पर जाते हैं और उनमें ऐसी क्षमता होती है कि वह वहां काम भी कर सकते हैं, लेकिन आपको पता नहीं होता है कि वह कौन हो सकता है। उन्होंने कहा ‘मुङो लगता है कि अंतरिक्ष में ऐसे लोगों को भेजा जाना चाहिए जो कम से कम एक बार उड़ान भर चुके हैं। हालांकि, महिलाओं के संबंध में यह कहना बड़ा मुश्किल है, क्योंकि रोस्टर में शामिल महिलाओं से ज्यादातर ने पहले कभी अंतरिक्ष की यात्र नहीं की है।
नासा की शुरुआत में की गई थी पुरुषों की भर्ती
1958 में जब नासा की स्थापना की गई थी। तब नासा ने केवल सेना के पुरुष कर्मचारियों की ही भर्ती की थी। 1969 से 1972 तक 12 अंतरिक्ष यात्री चंद्रमा पर गए लेकिन ये सभी पुरुष ही थे। 1983 में सेली राइड पहली अमेरिकी महिला बनीं जो अंतरिक्ष पर गईं। वर्तमान में युवाओं और अनुभवी लोगों की टीम नासा के पास मौजूद है जो वर्ष 2020 तक पहली बार अंतरिक्ष की सैर सकते हैं।
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