नासा सैटेलाइट ने धरती जैसी दुनिया समेत 17 नए ग्रह खोजे, जानें किन प्लेनेट पर मिल सकता है पानी
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा की केप्लर सैटेलाइट ने 17 नये ग्रहों की खोज की है जिसमें एक पृथ्वी जैसा रहने योग्य दुलर्भ ग्रह KIC-7340288B भी शामिल है।
टोरंटो, एजेंसियां। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा की केप्लर सैटेलाइट ने चार साल के अपने मिशन ने 17 नये ग्रहों की खोज की है। इसमें से एक पृथ्वी जैसा रहने योग्य दुलर्भ ग्रह 'केआइसी-7340288 बी' भी शामिल है। यह सभी ग्रह सितारों के ऐसे 'संभावित जीवन वाले जोन' में मिले हैं जहां पथरीले ग्रहों में तरल रूप में जल मिलने की संभावना है। एस्ट्रोनॉमिकल जरनल में प्रकाशित इस शोध में 'केआइसी-7340288 बी' नाम का यह ग्रह आकार में पृथ्वी से डेढ़ गुना बड़ा है।
रहने लायक क्षेत्र में मौजूद है KIC-7340288B
'केआइसी-7340288 बी' का आकार इसे पथरीला ग्रह मानने के लिए उपयुक्त है। अगर यह और बड़ा होता तो इसके सौरमंडल के विशालकाय गैसीय ग्रहों जैसा होने की आशंका होती। यह ग्रह सितारों के ऐसे एक हैबिटैट जोन (रहने योग्य संभावित क्षेत्र) में स्थित है। इसे गोल्डीलॉक जोन भी कहते हैं। इसकी दूरी यहां से एक हजार प्रकाशवर्ष की है। लिहाजा, हमारे वहां आने वाले चंद सालों में पहुंचने के कोई आसार नहीं हैं। लेकिन यह जानना बेहद रोचक है कि केप्लर सैटेलाइट से मिले अब तक के आंकड़ों से केवल 15 छोटे ग्रहों की ही पुष्टि हुई थी।
2009 में लांच किया गया था Kepler
केप्लर को 2009 में लांच किया गया था और उसे अक्टूबर, 2018 में कार्यमुक्त कर दिया गया। कनाडा की ब्रिटिश कोलंबिया यूनिवर्सिटी (यूबीसी) की अनुसंधानकर्ता मिशेल कुनिमोतो के अनुसार उनके खोजे हुए पृथ्वी जैसे ग्रह यानी 'केआइसी-7340288 बी' में एक साल महज 142.5 दिनों का होता है। यह अपने तारे की कक्षा में 0.444 एस्ट्रोनामिकल यूनिटों (एयू) में चक्कर लगाता है। एयू पृथ्वी और हमारे सूर्य के बीच की दूरी है। इसी पैमाने पर जीवन क संभावनाओं वाले ग्रहों की तलाश की जाती है।
पृथ्वी के दो-तिहाई साइज का ग्रह
नए ग्रह की यह कक्षा सौरमंडल में बुध ग्रह की कक्षा जितनी है। इसे सूरज से पृथ्वी को मिलने वाली दो-तिहाई रोशनी ही मिलती है। नए खोजे गए अन्य 16 ग्रहों में सबसे छोटा ग्रह पृथ्वी के आकार का दो-तिहाई ही है। बाकी ग्रह पृथ्वी के आकार से आठ गुना तक बड़े हैं। पृथ्वी जैसे ग्रह की खोज करने वाली कुनिमोतो ने यूबीसी में स्नातक करने के दौरान चार ग्रहों की खोज की थी। अब वह यूबीसी में पीएचडी कर रही हैं। उनका कहना है कि उन्होंने यह खोज ट्रांजिट मैथड से की है।