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केपलर के खोजे हुए पहले बाहरी ग्रह की आठ साल बाद हुई पुष्टि

2009 में लॉन्च हुए टेलीस्कोप ने 2011 में इस ग्रह केपलर-1658 बी को खोजा था। तभी से इस ग्रह की वास्तविक उपस्थिति को प्रमाणित करने के लिए वैज्ञानिक प्रयासरत थे।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Thu, 07 Mar 2019 09:51 AM (IST)Updated: Thu, 07 Mar 2019 10:00 AM (IST)
केपलर के खोजे हुए पहले बाहरी ग्रह की आठ साल बाद हुई पुष्टि
केपलर के खोजे हुए पहले बाहरी ग्रह की आठ साल बाद हुई पुष्टि

वाशिंगटन, प्रेट्र। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के केपलर टेलीस्कोप की लॉन्चिंग के 10 साल बाद उसके द्वारा खोजे गए पहले एक्सोप्लेनेट (हमारे सौरमंडल से बाहर का ग्रह) की पुष्टि हुई है। 2009 में लॉन्च हुए टेलीस्कोप ने 2011 में इस ग्रह केपलर-1658 बी को खोजा था। तभी से इस ग्रह की वास्तविक उपस्थिति को प्रमाणित करने के लिए वैज्ञानिक प्रयासरत थे।

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अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ हवाई के शोधकर्ताओं ने बताया कि यह विशाल ग्रह 3.85 दिन में अपने तारे केपलर-1658 की एक परिक्रमा पूरी कर लेता है। धरती से सूर्य जितना बड़ा दिखता है, उसकी तुलना में केपलर-1658 बी की सतह से उसका तारा 60 गुना बड़ा दिखेगा। वैसे केपलर-1658 तारा हमारे सूर्य से डेढ़ गुना भारी और तीन गुना विशाल है।

केपलर ने खोजे हैं हजारों ग्रह
2009 में लॉन्च के बाद से केपलर ने हजारों एक्सोप्लेनेट की खोज की है। कोई ग्रह जब अपने तारे के सामने से गुजरता है, तो तारे पर उसकी छाया दिखती है। केपलर इसी छाया के आधार पर ग्रह के होने का अनुमान जताता है। हालांकि यह संभव है कि तारे पर वह छाया किसी अन्य कारण से दिखी हो और ग्रह को लेकर जताया गया अनुमान गलत निकले। इसी कारण से केपलर के खोजे गए ग्रह की असलियत जानने के लिए वैज्ञानिक अन्य कई माध्यमों का प्रयोग करते हैं।

अनुमान से अलग निकली नए ग्रह की सच्चाई
2011 में केपलर द्वारा खोजे जाने के बाद से केपलर-1658 बी को भी अपना अस्तित्व प्रमाणित करने के लिए कई परीक्षाओं से गुजरना पड़ा था। इसी प्रक्रिया में वैज्ञानिकों को पता चला कि टेलीस्कोप के आधार पर ग्रह और इसके तारे के आकार का लगाया गया अनुमान गलत था। वास्तव में इनका आकार अनुमान से कहीं ज्यादा बड़ा है। यूनिवर्सिटी के स्नातक छात्र एश्ले चोंटोस ने कहा, ‘विश्लेषण में हमने पाया कि इसके तारे का आकार अनुमान से तीन गुना है। इसी आधार पर ग्रह का आकार भी तीन गुना ज्यादा आंका गया। असल में यह हमारे बृहस्पति ग्रह जैसा एक गर्म ग्रह है।’

खुल रहे कई और भी राज : केपलर-1658 जैसे तारों को इवॉल्व्ड स्टार कहा जाता है। माना जाता है कि हमारे सूर्य का भविष्य इनके जैसा ही होगा। केपलर-1658 बी की इसके तारे से दूरी तारे के व्यास के महज दोगुने के बराबर है। इस तरह यह किसी इवॉल्व्ड स्टार के सर्वाधिक करीब से उसकी परिक्रमा करने वाले ग्रहों में शुमार है।

केपलर-1658 जैसे इवॉल्व्ड तारों के इर्द-गिर्द परिक्रमा करने वाले ग्रहों का मिलना बेहद दुर्लभ माना जाता है। हालांकि इनके आसपास ग्रह नहीं होने की कोई ठोस वजह वैज्ञानिक नहीं जान पाए हैं। वैज्ञानिक मानते हैं कि ऐसे तारों के ग्रह धीरे-धीरे उन्हीं में समा जाते हैं। हालांकि केपलर-1658 बी ग्रह के अध्ययन से यह धारणा गलत साबित हुई है। अब वैज्ञानिकों को लगता है कि यह प्रक्रिया उतनी तेजी से नहीं होती, जितना पहले अनुमान लगाया गया था।


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