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नासा के हब्बल टेलीस्कोप से हुई तेजी से नष्ट हो रहे ग्रह की पहचान

वैज्ञानिकों ने अंतरिक्ष में एक ऐसे ग्रह की खोज की है, जिसका वायुमंडल तेजी से वाष्पित होकर नष्ट हो रहा है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Sat, 15 Dec 2018 09:44 AM (IST)Updated: Sat, 15 Dec 2018 09:53 AM (IST)
नासा के हब्बल टेलीस्कोप से हुई तेजी से नष्ट हो रहे ग्रह की पहचान
नासा के हब्बल टेलीस्कोप से हुई तेजी से नष्ट हो रहे ग्रह की पहचान

वाशिंगटन [प्रेट्र]। आकाश में ऐसे अनगिनत तारे और ग्रह मौजूद हैं, जो अपने रहस्यों की वजह से वैज्ञानिकों के कौतूहल का कारण बने हुए हैं। दुनियाभर के वैज्ञानिक एक-एक कर इनके रहस्यों पर से पर्दा उठाने का प्रयास कर रहे हैं। उन्हें उम्मीद है कि इससे उन्हें धरती व अन्य ग्रहों की उत्पत्ति के बारे में बेहतर जानकारी मिल सकेगी। इसी कड़ी में वैज्ञानिकों को एक बड़ी सफलता हाथ लगी है। उन्होंने अंतरिक्ष में एक ऐसे ग्रह की खोज की है, जिसका वायुमंडल तेजी से वाष्पित होकर नष्ट हो रहा है।

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वैज्ञानिकों का कहना है कि वाष्पीकरण से ग्रहों का द्रव्यमान कम हो जाता है। ऐसे में यदि उस ग्रह का वायुमंडल इसी गति से वाष्पित होता रहा तो वह आने वाले कुछ अरब सालों में पूरी तरह समाप्त हो जाएगा। नेप्च्यून (वरुण) के आकार वाला जीजे 347-बी नामक यह ग्रह पृथ्वी से 96 प्रकाशवर्ष दूर है और कर्क तारा समूह में मौजूद लाल तारे का चक्कर लगा रहा है।

दूसरे ग्रहों की तुलना में तेजी से हो रहा वाष्पित
खगोलविदों ने अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा के हब्बल स्पेस टेलीस्कोप की मदद से पता लगाया कि यह ग्रह अपने आकार के अन्य ग्रहों के मुकाबले 100 गुना अधिक तेजी से वाष्पित हो रहा है। इसके अध्ययन से ग्रहों की उत्पत्ति व उनके विकास की कहानी पर से पर्दा उठ सकता है। जॉन्स हॉपकिंस यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डेविड सिंग ने कहा, ‘जीजे 3470बी अभी तक पाए गए ग्रहों में सबसे अधिक तेजी से वाष्पित हो रहा है। अभी तक इसका 35 फीसद द्रव्यमान नष्ट हो चुका है। कुछ अरब साल में इस ग्रह का आधा हिस्सा नष्ट हो जाएगा।’

परिक्रमा की गति पर निर्भर करता है वाष्पीकरण
प्रत्येक ग्रह भिन्न गति से अपने तारे के इर्द-गिर्द चक्कर लगाता है। ग्रहों के वायुमंडल का वाष्पीकरण भी उनके परिक्रमा करने की गति पर ही निर्भर करता है।

तारों की उम्र का भी पड़ता है असर
जीजे 3470 बी नेप्च्यून के आकार वाले पहले ग्रह जीजे 436बी से भी अधिक तेजी से नष्ट हो रहा है। इसका प्रमुख कारण उसका घनत्व और तारे से हो रहा विकिरण है। यह ग्रह जिस तारे की परिक्रमा कर रहा है वह भी दो अरब साल ही पुराना है। नए तारे अधिक सक्रिय और शक्तिशाली होते हैं जिससे उनकी परिक्रमा कर रहे ग्रहों का वातावरण प्रभावित होता है। इन सबके अतिरिक्त तारों के नजदीक रहने वाले ग्रह जैसे सुपर अर्थ व हॉट ज्यूपिटर आदि भी अन्य के मुकाबले अधिक तेजी से वाष्पित होते हैं। 


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