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नासा के यान ने मंगल पर देखा गैसों का बुलबुला, मीथेन के प्रमाण से जगी उम्मीदें

नासा के क्यूरियोसिटी यान ने मंगल के वातावरण में प्रचुर मात्रा में मीथेन गैस की उपस्थिति दर्ज की है। धरती पर यह गैस प्राय जीवों से बनती है।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Sun, 23 Jun 2019 09:00 PM (IST)Updated: Mon, 24 Jun 2019 12:05 AM (IST)
नासा के यान ने मंगल पर देखा गैसों का बुलबुला, मीथेन के प्रमाण से जगी उम्मीदें
नासा के यान ने मंगल पर देखा गैसों का बुलबुला, मीथेन के प्रमाण से जगी उम्मीदें

वाशिंगटन, एजेंसी। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के क्यूरियोसिटी रोवर यान ने मंगल ग्रह पर गैसों का बुलबुला देखा है। ग्रह पर ऐसा लगता है जैसे मीथेन गैसों का बुलबुला लगातार बन रहा है। वैज्ञानिक इसे लाल ग्रह पर सूक्ष्मजीवों की उपस्थिति का संकेत मान रहे हैं।

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क्यूरियोसिटी ने मंगल के वातावरण में प्रचुर मात्रा में मीथेन गैस की उपस्थिति दर्ज की है। धरती पर यह गैस प्राय: जीवों से बनती है। यान ने बुधवार को मंगल ग्रह पर इस संबंध में डाटा जुटाया था, जो गुरुवार को पृथ्वी पर स्थित नासा के केंद्र तक पहुंचा। वैज्ञानिक समुदाय इस तथ्य को लेकर बहुत उत्साहित हैं। परियोजना से जुड़े वैज्ञानिक अश्विन वासवाड़ा ने कहा कि इस डाटा के विश्लेषण से आने वाले दिनों में कई महत्वपूर्ण बातें सामने आ सकती हैं। यह डाटा मिलने के बाद धरती पर स्थित केंद्र से रोवर को इस संबंध में नए शोध के लिए संदेश भेजा गया है। अब यान पहले से निर्धारित कार्ययोजना से इतर नए संदेश के आधार पर खोज को अंजाम देगा।

मंगल पर जीवन की कई कहानियां
मंगल पर जीवन होने को लेकर हमेशा से कई तरह की कहानियां रही हैं। हालांकि पांच दशक पहले नासा के यान द्वारा खींची गई तस्वीर में यहां सिर्फ बंजर जमीन ही दिखी थी। अध्ययनों के आधार पर वैज्ञानिक मानते हैं कि करीब चार अरब साल पहले मंगल आज की तुलना में ज्यादा गर्म, नमी वाला और जीवन के योग्य रहा होगा। अब वैज्ञानिक इस दिशा में अध्ययन कर रहे हैं कि अगर कभी मंगल पर जीवन रहा होगा तो कुछ सूक्ष्मजीव आज भी वहां सतह के भीतर मौजूद हो सकते हैं।

मीथेन की उपस्थिति है महत्वपूर्ण
मंगल के हल्के वातावरण में मीथेन की उपस्थिति बहुत अहम है। सामान्य तौर पर सूर्य के प्रकाश और अन्य रासायनिक क्रियाओं के कारण मीथेन गैस कुछ सौ साल में विघटित हो जाती है। इसका अर्थ है कि अगर आज मंगल के वातावरण में है मीथेन है, तो वह बहुत ज्यादा पुरानी नहीं है। निश्चित तौर पर यह गैस कुछ सौ साल पहले ही बनी होगी। धरती पर कुछ सूक्ष्मजीव मीथेन गैस बनाते हैं। ऐसे में संभव है कि मंगल पर भी ऐसे सूक्ष्मजीव उपस्थित हों।

और भी हैं संभावनाएं
एक संभावना यह भी है कि मंगल पर जो मीथेन मिल रही है, वह करोड़ों साल पहले की है, जो चट्टानों में दबी है और अब बाहर निकल रही है। हालांकि नासा अभी इसे शुरुआती नतीजा मान रहा है। वैज्ञानिकों का कहना है कि बिना पर्याप्त अध्ययन के किसी नतीजे पर नहीं पहुंचा जा सकता है।

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