Move to Jagran APP

नासा के वैज्ञानिकों को मिली सफलता, ब्रह्मांड की सबसे दूर स्थित आकाशगंगा तलाशी

नासा के वैज्ञानिकों को मिली सफलता, आकाशगंगा का नाम रखा एसपीटी0615-जेडी

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Wed, 17 Jan 2018 11:26 AM (IST)Updated: Wed, 17 Jan 2018 11:27 AM (IST)
नासा के वैज्ञानिकों को मिली सफलता, ब्रह्मांड की सबसे दूर स्थित आकाशगंगा तलाशी
नासा के वैज्ञानिकों को मिली सफलता, ब्रह्मांड की सबसे दूर स्थित आकाशगंगा तलाशी

वाशिंगटन (प्रेट)। ब्रह्मांड में इतने रहस्य छिपे हैं कि एक से पर्दा उठते ही दूसरा सामने आ खड़ा होता है। वैज्ञानिक निरंतर इसके बारे में नई चीजों का पता लगाते रहते हैं, फिर भी बहुत कुछ अभी भी अनदेखा है। इसी कड़ी में वैज्ञानिकों ने ब्रह्मांड में एक और बड़ी खोज की है।

loksabha election banner

नासा के वैज्ञानिकों ने एक ऐसी आकाशगंगा खोज निकाली है जो ब्रह्मांड में सबसे दूर है। इसकी दूरी करीब 2,500 प्रकाशवर्ष है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, ये आकाशगंगा सितारों का एक आदिम क्लस्टर है। अनुमान है कि यह आकाशगंगा 50 करोड़ साल पुरानी है।

इस आकाशगंगा की तलाश नासा के हबल और स्पिट्जर स्पेस टेलीस्कोप द्वारा की गई है। दरअसल, टेलीस्कोप द्वारा ब्रह्मांड में एक गहन सर्वेक्षण ने गुरुत्वाकर्षण लेंसिंग नामक एक घटना के द्वारा एसपीटी0615-जेडी नाम की आकाशगंगा की तस्वीरें लीं, जो घटती और बढ़ती दिखाई दीं। हालांकि वैज्ञानिकों को यह आकाशगंगा केवल लाल और गुलाबी रंग में नजर आइ

यह है आकार 

गुरुत्वाकर्षण लेंसिंग नामक एक अजीब घटना के कारण वैज्ञानिकों को किसी भी अन्य की तुलना में इस प्राचीन आकाशगंगा को बड़ा और उज्ज्वल देखा है। यह नई आकाशगंगा मिल्की वे का केवल 1/100 बताई जा रही है।

इस तरह की खोज
वैज्ञानिकों ने जूम लेंस प्रभाव का प्रयोग कर दूर की आकाशगंगाओं की विस्तृत तस्वीरें लीं, जो आज की दूरबीनों से दिखाई नहीं दे पातीं। एसपीटी0615-जेडी को हबल के रीयनायनाइजेशन लेंसिंग क्लस्टर सर्वे (रेलिक्स) और सह एस-रेलिक्स स्पिट्जर प्रोग्राम में पहचाना गया। रेलिक्स को ऐसी दूर की आकाशगंगाओं को पहचानने के लिए ही डिजाइन किया गया है।

कुछ समय पहले तलाशा था नया सौरमंडल
बता दें कि कुछ समय पहले ही नासा ने हमारे सोलर सिस्टम जैसा आठ ग्रहों का एक नया सौरमंडल खोज निकाला था। यह ग्रह पृथ्वी की तुलना में लगभग 30 प्रतिशत बड़ा होने का अनुमान है, लेकिन यह एक ऐसी जगह है जहां आप जाना नहीं चाहेंगे। उसका धरातल बहुत ही ज्यादा गर्म है।

इस नई दुनिया की खोज में गूगल की आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (कृत्रिम बुद्धिमता (एआइ)) तकनीक ने काफी सहयोग दिया था जो कि मशीन लर्निंग आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का एक हिस्सा है। 

यह भी पढ़ें: इस छोटे जीव की वाटर स्कीइंग का हर कोई दीवाना, कर चुके हैं फिल्मों में भी काम


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.