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शनि में छल्लों का पता बताने वाली वेधशाला बंद, नासा ने 16 वर्षो बाद बंद किया स्पित्जर मिशन

स्पित्जर ने अपने मिशन के तहत 8 लाख आकाशीय लक्ष्यों का विश्लेशण किया और लगभग 3 लाख 60 हजार से ज्यादा तस्वीरों का अध्यन किया।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Sat, 01 Feb 2020 08:28 PM (IST)Updated: Sat, 01 Feb 2020 08:28 PM (IST)
शनि में छल्लों का पता बताने वाली वेधशाला बंद, नासा ने 16 वर्षो बाद बंद किया स्पित्जर मिशन
शनि में छल्लों का पता बताने वाली वेधशाला बंद, नासा ने 16 वर्षो बाद बंद किया स्पित्जर मिशन

लॉस एंजिलिस, प्रेट्र। नासा ने अपने सबसे सफल ऑब्जर्वेटरी (वेधशाला) में से एक स्पित्जर स्पेस टेलिस्कोप को 16 वर्षो के बाद बंद करने का फैसला किया है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ने एक बयान में इसकी जानकारी दी है। इसी वेधशाला ने 16 वर्षो से अधिक समय तक कॉस्मिक इंफ्रारेड रेडिएशन का पता लगाकर ब्रह्मांड का अध्ययन किया।

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Spitzer Space Telescope

स्पित्जर ने आकाशगंगाओं का पता लगाया था

स्पित्जर को 2003 में लॉच किया गया था और इसने अरबों प्रकाश वर्ष की दूरी से पहुंचने वाली रोशनी के जरिये सर्वाधिक दूर स्थित आकाशगंगाओं का पता लगाकर उसका अध्ययन किया।

खगोल भौतिकी में स्पित्जर की भूमिका का योगदान

नासा मुख्यालय के एस्ट्रोफिजिक्स (खगोल भौतिकी) विभाग के निदेशक पॉल ह‌र्ट्ज ने बताया, 'स्पित्जर ने हमें सिखाया कि ब्रह्मांड को समझने के लिहाज से इंफ्रारेड किरणें कितनी महत्वपूर्ण हैं।' उन्होंने बताया, 'खगोल भौतिकी के कई क्षेत्रों में हम भविष्य में जो उपलब्धि हासिल करेंगे, उनमें स्पित्जर की भूमिका का काफी महत्वपूर्ण योगदान होगा।'

स्पित्जर ने इंफ्रारेड किरणों का पता लगाकर ब्रह्मांड के अस्तित्व का पता लगाया था

स्पित्जर ने इंफ्रारेड किरणों का पता लगाकर ब्रह्मांड के अस्तित्व का पता लगाने में खगोल वैज्ञानिकों की मदद की। यह टेलिस्कोप 700 नैनोमीटर तक की इंफ्रारेड किरणों का पता लगा सकती है, जो खुली आंखों से देखने के लिहाज से काफी छोटी हैं।

स्पित्जर ने शनि के चारों ओर एक छल्ले की खोज की थी

नासा के खगोलविदों ने कहा कि स्पित्जर ने इससे पहले शनि के चारों ओर एक छल्ले की खोज की थी, जो विरल धूल कणों से बना है और उसे सामान्य प्रकाश वेधशाला में नहीं देखा जा सकता है।

सबसे दूर स्थित आकाशगंगाओं का लगाता था पता

स्पित्जर के प्रोजेक्ट वैज्ञानिक माइकल वर्नर ने बताया, 'जब आप इसके पूरे जीवनकाल पर नजर डालते हैं, तो यह बेहद आश्चर्यजमक लगता है कि इसने कैसे अपने सौरमंडल में क्षुद्रग्रहों से लेकर सबसे दूर स्थित आकाशगंगाओं का पता लगाने में मदद की।'

नासा को उम्मीद नहीं थी कि स्पित्जर 16 से अधिक वर्षो तक सक्रिय रहेगा

नासा के अनुसार, इसकी मूल योजना बनाने वालों को बिलकुल उम्मीद नहीं थी कि स्पित्जर 16 से अधिक वर्षो तक सक्रिय रहेगा। स्पित्जर के प्रोजेक्ट मैनेजर जोसेफ हंट ने बताया, 'स्पित्जर का पृथ्वी से इतनी दूर संचालन की योजना नहीं थी। इसलिए अंतरिक्षयान को साल-दर-साल चलाने की योजना पर काम करना पड़ा। लेकिन मुझे लगता है कि इन चुनौतियों से पार पाने की वजह से लोगों को इस योजना पर काफी गर्व हुआ।'

पांचवी बार दिया गया था मिशन को विस्तार

2016 के दौरान नासा की समीक्षा रिपोर्ट में एजेंसी ने कहा था कि स्पित्जर मिशन बंद करने का फैसला किया, क्योंकि 2018 में वेब स्पेस टेलिस्कोप (जेडब्ल्यूएसटी) लांच करने की प्रक्रिया शुरू होनी थी। यह टेलिस्कोप भी इंफ्रारेड का अध्ययन करता है। हालांकि, जेडब्ल्यूएसटी लांच को स्थगित कर दिया गया और स्पित्जर मिशन को पांचवीं और आखिरी बार विस्तार दिया गया, जो गुरुवार को पूरा हो गया।

स्पित्जर का कई खोजों में रहा योगदान

नासा ने बताया कि स्पित्जर टेलीस्कोप सूर्य के चारों ओर कक्षा में चक्कर लगाता है। टेलीस्कोप ने ब्रह्मांड की शुरुआत के हमारे सौर मंडल के बाहर के ग्रहों, जिन्हें एक्सोप्लैनेट और आकाशगंगा कहा जाता है, उनको भी खोज निकाला। कुल मिलाकर, स्पित्जर ने अपने मिशन के तहत 8 लाख आकाशीय लक्ष्यों का विश्लेशण किया और लगभग 3 लाख 60 हजार से ज्यादा तस्वीरों का अध्यन किया।


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