इंसानों की तरह मशरूम भी खतरा भांपकर करते हैं पलटवार
वैज्ञानिकों ने पाया है कि मशरूम जैसे कवक (फंगस) भी खतरा देखकर अपने बचाव का रास्ता अपनाते हैं।
द न्यूयॉर्क टाइम्स, वाशिंगटन। खतरा भांपकर सतर्क होना और पलटवार करना मनुष्य समेत सभी जीवों का स्वभाव होता है। पेड़-पौधे भी किसी हमले की स्थिति में ऐसी ही प्रतिक्रिया देते हैं। छुई-मुई जैसे पौधों में यह प्रतिक्रिया आसानी से दिख जाती है। हाल ही में इस मामले में एक चौंकाने वाली बात सामने आई है।
वैज्ञानिकों ने पाया है कि मशरूम जैसे कवक (फंगस) भी खतरा देखकर अपने बचाव का रास्ता अपनाते हैं। कुछ मशरूम खतरे की स्थिति में अपने अंदर जहर पैदा कर लेते हैं। यही कारण है कि गलत मशरूम खाने वाले की जान जाने का भी खतरा रहता है। यह शोध चौंकाने वाला इसलिए है, क्योंकि मशरूम में जीवों या पेड़-पौधों की तरह कोई तंत्रिका तंत्र या नाड़ी तंत्र नहीं होता है।
वैज्ञानिकों ने बताया कि मनुष्य का शरीर तंत्रिका तंत्र से संचालित होता है। इसकी मदद से ही किसी खतरे की सूचना दिमाग तक पहुंचती है और व्यक्ति सतर्क होता है व पलटवार करता है। पेड़-पौधों में भी उनका वेस्कुलर सिस्टम इसी तरह की भूमिका निभाता है। मशरूम पर शोध करने वाले वैज्ञानिक मार्कस कुंजलर ने कहा, 'मशरूम दिखने में भले ही बेहद सामान्य लगते हैं, लेकिन जैविक संरचना के स्तर पर ये बेहद जटिल होते हैं। इनमें अंदर संचार की कोई व्यवस्था है, जिसके बारे में हम अभी बहुत कम जान पाए हैं।'
कैसे किया अध्ययन?
वैज्ञानिकों ने प्रयोगशाला में मशरूम उगाकर उन पर छोटे कीड़े छोड़ दिए। ये कीड़े मशरूम को खा लेते हैं। वैज्ञानिकों ने पाया कि कीड़ों का हमला होते की मशरूम ने किसी तरह से खतरे को भांप लिया और अपने पूरे हिस्से को सचेत कर दिया। खतरे पर पलटवार करते हुए मशरूम में कुछ जीन सक्रिय हो गए। इससे कुछ ऐसे जहरीले पदार्थ मुक्त हुए, जो कीड़ों को पसंद नहीं थे।
सुलझ नहीं पाई है पहेली
मशरूम खतरा भांपकर कैसे अपने पूरे हिस्से को सचेत करता है, यह पहेली अभी सुलझ नहीं पाई है। कुंजलर ने कहा कि मशरूम में होने वाली प्रतिक्रिया मनुष्यों और पौधों से अलग है। एक हिस्से से दूसरे हिस्से तक संदेश को ले जाने में कोशिकाएं भूमिका निभाती हैं, लेकिन यह प्रश्न अनुत्तरित है कि यह होता कैसे है।