कब, कहां और कितनी बारिश होगी, इसका अंदाजा लगाना होगा आसान
भारत सरकार के भूविज्ञान मंत्रालय के साथ मिलकर वैज्ञानिकों ने सैटेलाइट व अन्य आंकड़ों की मदद से मिट्टी की नमी और तापमान का डाटा जुटाया है।
वाशिंगटन, प्रेट्र। भारत में मानसून के दिनों में आने वाला तूफान कुछ ही पल में भारी तबाही का कारण बन जाता है। देखते ही देखते कई इंच की बारिश से पूरा क्षेत्र डूब जाता है और सैकड़ों की जान पर बन आती है। ऐसे में अगर यह अनुमान लगाया जा सके कि कब, कहां और कितनी बारिश होने वाली है, तो जानमाल को होने वाला नुकसान कम किया जा सकता है। वैज्ञानिकों ने इस दिशा में बड़ी उपलब्धि हासिल की है।
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (आइआइटी), भुवनेश्वर और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एनआइटी), राउरकेला के वैज्ञानिकों ने दशकों तक जुटाए गए डाटा की मदद से एक महत्वपूर्ण खाका तैयार किया है। भारत सरकार के भूविज्ञान मंत्रालय के साथ मिलकर वैज्ञानिकों ने सैटेलाइट व अन्य आंकड़ों की मदद से मिट्टी की नमी और तापमान का डाटा जुटाया है।
भारत के मानसूनी इलाकों के संबंध में अब से पहले इस तरह का सटीक डाटा नहीं जुटाया गया था। डाटा का यह संग्रह इस बात का अनुमान लगाने में सहायक होगा कि कहां और कितना भयानक तूफान आ सकता है। अमेरिका की परड्यू यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर देव नियोगी ने कहा, 'हमने पाया है कि मिट्टी की नमी और तापमान से संबंधित आंकड़े वातावरण से जुड़ी अहम जानकारी मुहैया कराते हैं। इनकी मदद से यह अनुमान लगाना संभव हो सकता है कि कब और कितना घातक तूफान आएगा।'
वैज्ञानिकों ने तीन साल से ज्यादा समय तक मिट्टी की नमी और तापमान से जुड़े 1981 से 2017 के बीच के विभिन्न आंकड़े जुटाए। अब उन्होंने भारत में हर चार किलोमीटर की दूरी और हर तीन घंटे के अंतराल में मिट्टी के तापमान व नमी का डाटा तैयार कर लिया है।
किसी निश्चित समय में मौसम की स्थिति और इस डाटा को एक साथ रखकर भविष्य के तूफान का अनुमान लगाना संभव हो सकता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि इस डाटा की मदद से इस तरह के फैसले करने में मदद मिलेगी कि फसलें कहां उगाई जाएं और आपात स्थितियों से बचने के लिए क्या तैयारियां की जाएं।