प्रेग्नेंसी में अधिक कोलीन से बच्चों में मजबूत होता है ध्यान, भोजन में जरूरी हैं पोषक तत्व
अध्ययन में प्रेग्नेंसी के दौरान कोलीन की अनुशंसित मात्रा लेने वाली माताओं के बच्चों की तुलना की गई है। इसमें बताया गया कि अनुशंसित मात्रा में कोलीन लेने पर भ्रूण के मस्तिष्क के विकास की जरूरतें पूरी नहीं होती हैं।
वाशिंगटन, एएनआइ। बच्चों में ध्यान को एकाग्रचित बनाए रखने या ध्यान की शक्ति को बढ़ाने के लिए तरह-तरह के उपाय सुझाए जाते रहे हैं। उसी क्रम में एक नए शोध में बताया गया है कि यदि अपने बच्चे को भविष्य की चुनौतियों से दृढ़ता से सामना करने के लिए उसकी ध्यान शक्ति को मजबूत बनाना चाहते हैं तो उसके जन्म से पहले से ही तैयारी करनी होगी। इस शोध के मुताबिक, यदि महिलाएं प्रेग्नेंसी के दौरान सामान्य से दोगुनी मात्रा में कोलीन का सेवन करें तो उनके होनी वाली संतानों में ध्यान की शक्ति बढ़ सकती है। न्यू कार्नेल का यह अध्ययन निष्कर्ष फेडरेशन आफ अमेरिकन सोसाइटीज फार एक्सपेरिमेंटल बायोलाजी जर्नल में प्रकाशित हुआ है। कोलीन- विटामिन बी-कांप्लेक्स के घटक का एक तत्व है, जो वसा के मेटाबोलिज्म के लिए आवश्यक होता है।
अध्ययन में प्रेग्नेंसी के दौरान कोलीन की अनुशंसित मात्रा लेने वाली माताओं के बच्चों की तुलना की गई है। इसमें बताया गया कि अनुशंसित मात्रा में कोलीन लेने पर भ्रूण के मस्तिष्क के विकास की जरूरतें पूरी नहीं होती हैं।
शोधकर्ता प्रोफेसर बारबारा स्ट्रूप ने बताया कि हमारे अध्ययन के निष्कर्ष के मुताबिक, गर्भवतियों के कोलीन मानक को विटामिन के हिस्से में पर्याप्त अहमियत मिलनी चाहिए। यह निष्कर्ष सात साल के फालोअप अध्ययन से निकाला गया है।
बता दें कि कोलीन अंडा, अंडे की जरीदी (पीला हिस्सा), रेड मीट, मछली, फलियां, नट्स और सब्जियों में पाया जाता है। लेकिन अधिकांश गर्भवतियों के भोजन में विटामिन के वाले ये पदार्थ कम ही मात्रा में होते हैं।
डाउन सिंड्रोम और अल्जाइमर जैसे रोगों से होता है बचाव
चूहों पर किए गए कई दशकों के अध्ययन में पाया गया है कि जिनकी डाइट में अतिरिक्त कोलीन की मात्रा दी गई, दीर्घावधि में उनके बच्चों में संज्ञानात्मक (काग्निटिव) लाभ हुआ। इतना ही नहीं, बच्चों में जीवनभर ध्यान और स्मृति शक्ति तुलनात्मक तौर पर अच्छी रही। साथ ही उससे तंत्रिकाओं को भी सुरक्षा मिलती है। यह संज्ञानात्मक शक्ति को होने वाले नुकसान से बचाता है। इस प्रकार आटिज्म, मिर्गी, डाउन सिंड्रोम और अल्जाइमर जैसे रोगों से बचाव होता है। आमतौर पर कोलीन की अनुशंसित मात्रा 450 मिलीग्राम प्रतिदिन है। इसे गर्भवती होने के दौरान बढ़ते समय के साथ बढ़ाया जाना चाहिए।