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एक्‍शन में अमेरिका, चीन की छह मीडिया कंपनियों को बताया 'चीनी भोंपू', विदेशी मिशनों की सूची में डाला

अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोंपियो ने बुधवार को यह जानकारी देते हुए कहा कि अमेरिका ने चीन की छह मीडिया कंपनियों को विदेशी मिशन के रूप में चिन्हित किया है। ये कंपनियां चीनी कम्‍यूनिस्‍ट पार्टी का प्रचार कर रही थीं।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Wed, 21 Oct 2020 10:56 PM (IST)Updated: Thu, 22 Oct 2020 03:32 AM (IST)
एक्‍शन में अमेरिका, चीन की छह मीडिया कंपनियों को बताया 'चीनी भोंपू', विदेशी मिशनों की सूची में डाला
अमेरिका ने चीन की छह और कंपनियों को 'प्रोपेगेंडा टूल्‍स' के तौर पर चिन्हित किया है।

वाशिंगटन, रॉयटर/पीटीआइ। अमेरिका ने बुधवार को छह और चीनी मीडिया संस्थानों को चीनी कम्‍यूनिस्‍ट पार्टी का 'भोंपू' यानी 'प्रोपेगेंडा टूल्‍स' बताते हुए विदेशी मिशनों की सूची में डाल दिया। अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोंपियो (Mike Pompeo) ने इन कंपनियों को चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा नियंत्रित प्रचार संस्थान बताया। इनमें यीकाई ग्लोबल, जीफांग डेली, शिनमिन ईवनिंग न्यूज, सोशल साइंसेस इन चाइना प्रेस, बीजिंग रिव्यू और इकोनॉमिक डेली शामिल हैं।

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विदेश मंत्री माइक पोंपियो ने कहा कि इन संस्थानों का स्वामित्व और नियंत्रण चीन सरकार के पास है। ये कंपनियां चीनी कम्‍यूनिस्‍ट पार्टी का प्रचार (communist propaganda) कर रही थीं। हालांकि उन्‍होंने यह भी साफ किया कि इस कदम से इन संस्थानों पर प्रकाशन सामग्री से संबंधित किसी तरह का कोई प्रतिबंध नहीं लगेगा। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मोर्गन ओर्टागस ने कहा कि इस कदम का मकसद अमेरिकी नागरिकों को इन संस्थानों की सच्चाई से अवगत कराना है। इससे पहले 18 फरवरी और 22 जून को भी अमेरिका ने चीन के कई मीडिया संस्थानों को इस सूची में डाल दिया था।

अमेरिका अब तक 15 चीनी मीडिया कंपनियों को इस तरह से चिह्न‍ित कर चुका है। पोंपियो ने कहा कि अमेरिका ने यह कदम चीनी कम्‍यूनिस्‍ट पार्टी के प्रचार तंत्र पर लगाम लगाने के लिए की हैं। अमेरिका के इस कदम से इन चीनी मीडिया संस्थानों को विदेशी दूतावास और वाणिज्य दूतावासों की तरह कुछ प्रशासनिक जरूरतों का पालन करना होगा। इससे पहले अमेरिका ने चीन के चार मीडिया संस्थानों को 'चीनी भोंपू' माना था। ट्रंप प्रशासन ने कहा था कि ये मीडिया संस्थान अनिवार्य रूप से चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के मुखपत्र हैं और इनका इस्‍तेमाल दुष्प्रचार के लिए किया जाता है।

अमेरिका का कहना है कि इन मीडिया संस्‍थानों को सामान्य विदेशी मीडिया की तरह नहीं माना जाना चाहिए। माना जा रहा है कि अमेरिका की ओर से लिए गए इस फैसले से दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ेगा। कोरोना महामारी को विश्वभर में फैलाने को लेकर ट्रंप पहले ही बीजिंग को दोषी ठहरा चुके हैं। हाल ही में चीन ने अमेरिका को गीदड़भभकी दी थी कि यदि वह इसी तरह चीन के खिलाफ फैसले करता रहा तो वह अपने यहां अमेरिकी लोगों को हिरासत में ले सकता है। चीनी अधिकारियों ने अमेरिका सरकार को कई चैनलों के जरिये यह चेतावनी दी थी।


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