पोम्पियो ने ईरानी धार्मिक नेताओं को बताया पाखंडी, कहा- अब जनता चुप नहीं बैठेगी
माइक पोम्पियो ने कहा कि ईरान के लोग अब चुप नहीं बैठेंगे और ईरानी सरकार के अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाएंगे।
सिमी वैली (एपी)। अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने ईरान के धार्मिक नेताओं को पाखंडी बताया है। पोम्पियो ने कहा कि यहां धार्मिक नेता लोगों को परेशान करते हैं और इस दौरान उनसे पैसे ऐंठते हैं। बता दें कि अमेरिका और ईरान के बीच रिश्ते उलझते जा रहे हैं। दोनों एक बार फिर आमने-सामने हैं। अमेरिका एक बार फिर ईरान पर आर्थिक प्रतिबंध लगाने की तैयारी कर रहा है।
माइक पोम्पियो ने ईरानी समुदाय के सदस्यों से उनके मूल देश ईरान में प्रदर्शन कर रहे लोगों का समर्थन करने का अनुरोध किया है। उन्होंने ईरान की सरकार को माफिया करार देते हुए कहा कि सत्तारूढ़ सरकार, सरकार कम माफिया अधिक प्रतीत होती है। उन्होंने कहा कि ईरान के लोग अब चुप नहीं बैठेंगे और ईरानी सरकार के अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाएंगे। माइक ने कहा कि अमेरिका भी चुप नहीं बैठेगा। यह अत्याचार पिछले 40 वर्षों से हो रहे हैं। मेरे पास ईरान के लोगों के लिए एक संदेश है। संयुक्त राज्य अमेरिका आपको सुन रहा है और आपका समर्थन करता है।
अमेरिकी विदेश मंत्री ने ईरान के राजनीतिक, न्यायिक और सैन्य अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाएं। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार ने अपने लोगों के मानवाधिकार, गरिमा और मौलिक स्वतंत्रता को दबा दिया है। माइक पोम्पियों ने आश्वासन दिया कि ट्रंप प्रशासन में ईरान के लोगों के सपनों को पूरा किया जाएगा।
ईरान ने यूएस को चेताया
ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने तेहरान विरोधी नीति अपनाने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को चेतावनी दी है। ईरानी राजनयिकों के एक कार्यक्रम में रविवार को रूहानी ने कहा, 'अमेरिका को पता होना चाहिए कि ईरान के साथ युद्ध के नतीजे अमेरिका के लिए बहुत बुरे होंगे। मिस्टर ट्रंप, शेर की पूंछ से मत खेलिए अन्यथा आपको पछताना पड़ेगा। ईरान शांति चाहता है, लेकिन अगर युद्ध थोपा गया तो उसके लिए भी तैयार है और यह अमेरिका के लिए बहुत घातक होगा। आप उस स्थिति में नहीं हैं कि ईरान को अपनी सुरक्षा और हितों के खिलाफ चलने के लिए मजबूर कर सकें।'
परमाणु कार्यक्रम बंद कराने के लिए ईरान पर दबाव
अमेरिकी अधिकारियों ने माना है कि ट्रंप प्रशासन ने परमाणु कार्यक्रम बंद कराने के लिए ईरान पर दबाव बढ़ा दिया है। वर्ष 2015 में ईरान के साथ हुए परमाणु समझौते से अमेरिका ने इस साल मई में खुद को अलग कर लिया था। वह नई शर्तो के साथ परमाणु समझौते के लिए ईरान पर दबाव डाल रहा है।