कॉटन और सिल्क से बना मास्क भी रोक सकता है संक्रमण, पढ़ें अध्ययन में सामने आई बातें
अमेरिका की शिकागो यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता सुप्रतीक गुहा और उनके साथियों ने अध्ययन में अलग-अलग कपड़ों से बने मास्क पर गौर किया।
वॉशिंगटन, आइएएनएस। कोरोना वायरस (कोविड-19) के संक्रमण को रोकने में मास्क की अहम भूमिका पाई गई है। इसलिए इससे बचाव के लिए मास्क पहनने की सलाह दी जा रही है। मास्क की किल्लत को देखते हुए सामान्य लोगों को घर पर बने मास्क का ही उपयोग करने को कहा गया है। भारतवंशी समेत शोधकर्ताओं के एक दल ने पाया है कि सूती और प्राकृतिक सिल्क या शिफॉन के कपड़े को मिलाकर तैयार किया गया मास्क बेहतर हो सकता है। यह मास्क प्रभावी तरीके से हवा में मौजूद ठोस या तरल कणों को शरीर में जाने से रोक सकता है।
एसीएस नैनो जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, कोविड-19 मुख्य रूप से किसी संक्रमित व्यक्ति के सांस लेने, बात करने, खांसने और छींकने के दौरान उसके मुंह या नाक से निकले तरल कणों के कारण फैलता है। खांसने या छींकने से निकलने वाले तरल कण कई आकार के होते हैं। सबसे छोटे आकार के तरल कण आसानी से कपड़ों के रेशों में प्रवेश कर जाते हैं। इन कणों को ऐरोसॉल कहते हैं।
अमेरिका की शिकागो यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता सुप्रतीक गुहा और उनके साथियों ने अध्ययन में अलग-अलग कपड़ों से बने मास्क पर गौर किया। उन्होंने पाया कि सूती की एक तह और शिफॉन की दो तह को मिलाकर बना मास्क 80 से 99 फीसद तक ऐरोसॉल को रोक सकता है। उन्होंने बताया कि इन कपड़ों से बना मास्क एन 95 मास्क जितना प्रभावी हो सकता है। शोधकर्ताओं ने कहा कि मास्क का सही आकार होना बेहद जरूरी है। ऐसा नहीं होने पर सूक्ष्म कण आसानी से अंदर जा सकते हैं।