सुरक्षा परिषद में मालदीव की बड़ी कूटनीतिक हार, इंडोनेशिया ने मारी बाजी; इस कारण गंवानी पड़ी अस्थायी सदस्यता
यूएन में सुरक्षा परिषद के चुनाव में मालदीव को कूटनीतिक हार का सामना करना पड़ा और बाजी इंडोनिशाया ने मार ली।
यूएन (आइएएनएस)। यूएनएससी चुनाव में मालदीव को कूटनीतिक हार का सामना करना पड़ा है। आंतरिक अशांति और मानवाधिकार उल्लंघन के आरोपों से घिरे मालदीव ने एशिया की सुरक्षा परिषद की अस्थायी सदस्य बनने का मौका गंवा दिया है, जबकि इंडोनेशिया ने भारी अंतर से ये जीत हासिल कर ली है। शुक्रवार को सुरक्षा परिषद में पांच अस्थायी देशों के लिए हुए चुनाव में इंडोनेशिया को 144 वोट मिले, जो दो तिहाई बहुमत के लिए आवश्यक 127 वोटों से ज्यादा था, जबकि मालदीव को केवल 46 वोट मिले। बता दें कि एशिया और प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा परिषद की सीट के लिए इंडोनेशिया और मालदीव के बीच टक्कर थी। इस बाजी को इंडोनेशिया ने मालदीव को हराकर जीत लिया। गौरतलब है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अस्थाई सीट के लिए किस भी उम्मीदवार देश को महासभा में सदस्य देशों का दो-तिहाई समर्थन मिलना जरूरी है।
ये पांच अस्थायी देश हुए निर्वाचित
निर्वाचित किए गए पांच सदस्य देशों में बेल्जियम, डोमिनिकन रिपब्लिक, जर्मनी, इंडोनेशिया और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं। ये सभी देश दो साल की अवधि के लिए सुरक्षा परिषद में गैर-स्थायी सदस्य के तौर पर चुने गए।
किसने जीती कौन सी सीट
दक्षिण अफ्रीका ने अफ्रीकी सीट जीती, जबकि डोमिनिकन रिपब्लिक ने अमेरिकी और कैरीबियाई सीट का प्रतिनिधित्व किया। वहीं बेल्जियम और जर्मनी ने दो पश्चिमी यूरोपीय और अन्य समूह (WEOG) की सीट जीती। इन सभी देशों को आम सभा में दो-तिहाई वोट मिले।
190 सदस्य देशों ने वोटिंग में लिया हिस्सा
बता दें कि संयुक्त राष्ट्र में 193 सदस्य देश हैं, जिनमें 190 सदस्यों ने वोटिंग में हिस्सा लिया। ये सुरक्षा परिषद के दो साल के कार्यकाल (2019-2020) के लिए सेवा प्रदान करेंगे। 10 अस्थायी सदस्यों में से आधे का हर साल चुनाव किया जाता है।
हार के डर से पहले ही पीछे हट गया था इजरायल
इजरायल (पश्चिमी यूरोपीय और अन्य समूह [WEOG]) ने घोषणा की थी कि वह दो सीटों में से एक के लिए दौड़ लगाएगा, लेकिन यह स्पष्ट होने पर की उसे पर्याप्त वोट नहीं मिलेंगे, उसने अपने हाथ पहले ही पीछे खींच लिए। इंडोनेशिया कज़ाख़िस्तान की जगह लेगा, जिसका कार्यकाल 2018 के अंत में खत्म हो रहा है। अन्य अस्थायी एशियाइ सदस्य कुवैत है, जिसका कार्यकाल 2019 तक चलेगा।
तो इस कारण हारा मालदीव
बता दें कि इस साल फरवरी में मालदीव में सियासी संकट का मामला सामने आया। पहले राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन ने राजनीतिक विरोधियों को रिहा करने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश को मानने से इनकार कर दिया। इसके बाद उन्होंने 45 दिनों की इमरजेंसी लागू करने की घोषणा कर दी, जबकि संसद पहले से भंग थी। उधर, इमरजेंसी के दौरान के बाद सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस अब्दुल्ला सईद और एक दूसरे जज के साथ-साथ पूर्व राष्ट्रपति मौमून अब्दुल गयूम (मौजूदा राष्ट्रपति के सौतेले भाई) को गिरफ्तार कर लिया। बीते दिनों ये सब कुछ मालदीव में घटा। मालदीव के कई लोगों ने अपने देश के खिलाफ सोशल मीडिया पर मानवाधिकारों के दुरुपयोग का आरोप लगाया और कहा कि उनके देश में लोकतंत्र का दमन हो रहा है। सुरक्षा परिषद के चुनाव में मालदीव की हार की बहुत बड़ी वजह इसे माना जा रहा है।